हमीरपुर: देश में सोने के बढ़ते दामों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पिछले कुछ दिनों से लगातार सोने के दामों में तेजी देखने को मिल रही है. हिमाचल में भी सोने में आ रही इस पर तेजी का खासा असर देखने को मिल रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सोने के दामों में और तेजी देखी जा सकती है. हिमाचल में भी सोने के दाम 62 हजार पार हो गए हैं. स्वर्णकारों ने आशंका जताई है कि सोने के दाम आने वाले दिनों में और भी बढ़ सकते हैं. 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 65 हजार तक जा सकती है.
शादियों के सीजन ऑफ होने की वजह से बाजार में डिमांड पहले ही कम है. वहीं, दाम में तेजी आने की वजह से कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. आमतौर पर अप्रैल महीना शादियों का सीजन होता था, लेकिन इस बार अप्रैल में भी शादियां नहीं हो रही हैं. ऐसे में शादियों के ना होने से छाई मंदी अब दामों में तेजी के कारण और विकराल रुप धारण कर रही है. हिमाचल प्रदेश में भी सोने के दाम 24 कैरेट प्रति 10 ग्राम ₹62000 के पार है, जबकि 22 कैरेट सोना 55000 प्रति 10 ग्राम बिक रहा है.
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स्वर्णकार सुरेश हांडा का कहना है कि आमतौर पर जब Share Market में गिरावट आती है तो सोने की कीमतें तेजी पकड़ती हैं. उन्होंने कहा कि 2 से 3 महीने के दौरान सोने की कीमतें ऊपर नीचे जा रही थी, लेकिन अब पिछले कुछ दिनों से सोने के दामों में लगातार तेजी आ रही है. उन्होंने कहा कि 24 कैरेट प्रति 10 ग्राम सोने की कीमत ₹65000, 22 कैरेट सोने की कीमत 62 हजार प्रति 10 ग्राम पहुंचने की आशंका है. वर्तमान में वित्तीय वर्ष खत्म हो रहा है और नए वित्तीय वर्ष के शुरुआत में भी Himachal में शादियों का सीजन शुरू नहीं हुआ है. सुरेश हांडा कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध के हालात सोने की वजह से भी सोने के दामों में तेजी आती है.
स्वर्णकार प्रदीप का मानना है कि International Crisis की वजह से सोने के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात को देखकर ऐसा लग रहा है कि अभी सोने के दामों में अभी और तेजी आ सकती है. उन्होंने कहा कि फिलहाल बाजार में डिमांड बेहद कम है. सीजन के दौरान सोने की डिमांड बढ़ती है. एक तरफ बाजार में डिमांड कम है वहीं, दूसरी ओर दाम बढ़ने से डिमांड पर और असर हो रहा है. उन्होंने कहा कि मध्यमवर्गीय जो खरीदार हैं उसकी पहुंच से सोना बाहर होता जा रहा है. बाजार में 20% उपभोक्ता तो घट चुके हैं, जबकि 80% जो उपभोक्ता हैं वह बढ़े हुए दामों की वजह से खरीदारी की हिम्मत नहीं कर रहे हैं.