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शक्तिपीठ श्री ज्वाला जी में परंपराओं का अनादर, आरती के बीच खुलवाया बंद कपाट

दरअसल मां ज्वाला जी की प्राचीन परंपराओं के अनुसार आरती के समय में कपाट बंद हो चुके थे. इसी बीच अधिकारियों का एक दल मां ज्वाला के दर्शन को आया. परंपराओं का अनादर करते हुए मंदिर के कपाटों को खुलवाया गया. मंदिर के अंदर वह दल काफी देर तक रहा और वहां पर अपने मोबाइल फोन से वीडियो व अन्य गतिविधियां करता रहा.

शक्तिपीठ श्री ज्वाला जी
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Published : Jun 6, 2019, 5:54 PM IST

कांगड़ा: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वाला जी में प्राचीन परंपराओं के अनादर का मामला सामने आया है. दरअसल ज्वाला जी मंदिर में प्राचीन परंपराओं के अनुसार मां ज्वाला की पूरे दिन में पांच आरतियां होती हैं. अंतिम आरती शाम 7 बजे हो रही थी. नियमानुसार इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे. लेकिन मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ जिससे प्राचीन परंपरा को भंग कर दिया गया.

मंगलवार को शाम 7 बजे जैसे जी मंदिर में मां की आरती के लिए कपाट बंद होने के बाद एक अजीबोगरीब घटना पेश आया जिससे मंदिर में तैनात तमाम श्रद्धालु हैरान हो गए. दरअसल मां ज्वाला की प्राचीन परंपराओं के अनुसार आरती के समय में कपाट बंद हो चुके थे. इसी बीच अधिकारियों का एक दल मां ज्वाला के दर्शन को आया. परंपराओं का अनादर करते हुए मंदिर के कपाटों को खुलवाया गया. मंदिर के अंदर वह दल काफी देर तक रहा और वहां पर अपने मोबाइल फोन से वीडियो व अन्य गतिविधियां करता रहा. अधिकारियों का दल आधे घंटे तक विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करते रहे.

ये मामला सामने आने के बाद हिंदू हिमगिरी महासभा ने इस घटना क्रम पर कड़ी आपत्ति जताई है. इस मामले में हिन्दू हिमगिरी वे मांग की है कि मंदिर बंद होने के बावजूद कैसे और किसने उन अधिकारियों को अंदर जाने की अनुमति दी, जबकि परंपरा है कि एक बार आरती के लिए बंद हो जाए तो मंदिर का कपाट नहीं खोला जाता. आरती संपन्न होने के बाद ही कपाट खुलता है. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

ये भी पढ़ें- हिमाचल में तेजी से फैल रही है ये भयानक बीमारी, जानें कैसे कर सकते हैं बचाव

कांगड़ा: विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वाला जी में प्राचीन परंपराओं के अनादर का मामला सामने आया है. दरअसल ज्वाला जी मंदिर में प्राचीन परंपराओं के अनुसार मां ज्वाला की पूरे दिन में पांच आरतियां होती हैं. अंतिम आरती शाम 7 बजे हो रही थी. नियमानुसार इस दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे. लेकिन मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ जिससे प्राचीन परंपरा को भंग कर दिया गया.

मंगलवार को शाम 7 बजे जैसे जी मंदिर में मां की आरती के लिए कपाट बंद होने के बाद एक अजीबोगरीब घटना पेश आया जिससे मंदिर में तैनात तमाम श्रद्धालु हैरान हो गए. दरअसल मां ज्वाला की प्राचीन परंपराओं के अनुसार आरती के समय में कपाट बंद हो चुके थे. इसी बीच अधिकारियों का एक दल मां ज्वाला के दर्शन को आया. परंपराओं का अनादर करते हुए मंदिर के कपाटों को खुलवाया गया. मंदिर के अंदर वह दल काफी देर तक रहा और वहां पर अपने मोबाइल फोन से वीडियो व अन्य गतिविधियां करता रहा. अधिकारियों का दल आधे घंटे तक विभिन्न प्रकार की गतिविधियां करते रहे.

ये मामला सामने आने के बाद हिंदू हिमगिरी महासभा ने इस घटना क्रम पर कड़ी आपत्ति जताई है. इस मामले में हिन्दू हिमगिरी वे मांग की है कि मंदिर बंद होने के बावजूद कैसे और किसने उन अधिकारियों को अंदर जाने की अनुमति दी, जबकि परंपरा है कि एक बार आरती के लिए बंद हो जाए तो मंदिर का कपाट नहीं खोला जाता. आरती संपन्न होने के बाद ही कपाट खुलता है. ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है. उन्होंने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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From: Nitesh Kumar <jminitesh@gmail.com>
Date: Thu, Jun 6, 2019, 3:35 PM
Subject: न्यूज 1
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में प्राचीन परंपराओं को भंग करने के प्रयास सहन नहीं होंगे : किशन शर्मा

आरोप : परंपराओं का अनादर करते हुए मंदिर के कपाटों को खुलवाया गया
ज्वालामुखी, 6 जून (नितेश): विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वाला जी मंदिर में प्राचीन परंपराओं के अनुसार मां ज्वाला की पूरे दिन में पांच आरतियां होती हैं लेकिन मंगलवार को शाम 7 बजे जैसे जी मंदिर माँ की आरती के लिए बंद हुआ तो एक ऐसा घटनाक्रम देखने में आया जिसमें मां ज्वाला की प्राचीन परंपराओं के अनुसार आरती के समय में कपाट बंद हो चुके थे अधिकारियों का एक दल मां ज्वाला के दर्शन को आया था परंपराओं का अनादर करते हुए मंदिर के कपाटों को खुलवाया गया और मंदिर के अंदर वह दल काफी देर तक रहा और वहां पर अपने मोबाइल फ़ोन से वीडियो व अन्य गतिविधियां करता रहा और आधे घंटे तक यह क्रम होता रहा हिंदू हिमगिरी महासभा को जब इस बारे श्रद्धालुओं ने अवगत करवाया कि मंदिर बंद होने के बावजूद कैसे यह दल अंदर चला गया। हिन्दू हिमगिरि महासभा प्रदेश सचिव किशन शर्मा ने मांग की है कि हिन्दू समाज जानना चाहता है कि सत्ता के नशे में चूर उन अधिकारियों को  मंदिर बंद होने के बाद कैसे और किसने उस दल को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जबकि परंपरा है कि एक बार आरती के लिए बंद हो जाए तो मंदिर को खोला नहीं जाता और मंदिर आरती संपन्न होने के बाद ही खुलता है और ये परंपरा वर्षों से है मां ज्वाला के दरबार में आने वाला हर छोटा बड़ा गरीब अमीर सब मां के दरबार में बराबर है और अधिकारी इन प्राचीन परंपराओं को दरकिनार करने की चेष्टा समय-समय पर करते रहे हैं अधिकारियों को याद रखना चाहिए कि हमारी प्राचीन परंपराओं से खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है। ऐसे में अधिकारियों को यह जान लेना चाहिए कि हिंदुओं के शक्तिपीठ हिन्दू समाज की अमूल्य धरोहर है इसलिए मां के दरबार में आरती के समय बंद हो चुके कपाटों को अपने मनोरंजन के लिए खोल कर ये साबित करने की चेष्टा करना कि वह अधिकारियों का दल बहुत रसूखदार है, न्याय संगत नहीं है और हिन्दू समाज इसे सहन नहीं करेगा।
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