हमीरपुर: संसद में पारित कृषि बिल के खिलाफ उपायुक्त कार्यालय हमीरपुर के बाहर प्रदर्शन सीटू ने धरना प्रदर्शन किया. सीटू पदाधिकारियों का कहना है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम, न्यूनतम समर्थन मूल्य, संबंधित कानून में संशोधन कर किसानों और देश की जनता के साथ विश्वासघात किया गया है.
सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले किसानों की आमदनी दोगुना करने का नारा दिया, जोकि झूठा साबित हुआ. किसानों की आमदनी तो दोगुना नहीं हुई, लेकिन कृषि लागत जरूर दो से तीन गुना बढ़ गई. साथ ही खाद, बीज व अन्य उपकरणों की कीमतें भी बढ़ गई.
अभी सरकार ने कृषि संबंधी कानूनों में बदलाव कर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी वंचित कर दिया और अनाज व अन्य फसलों के लिए देसी व विदेशी कंपनियों को व्यापार करने की खुली छूट दे दी है. इनसे देश में अनाज मंडी या तो खत्म हो जाएंगी और अनाज का व्यापार देश और विदेशों की बड़ी कंपनियों के हाथ में चला जाएगा. इससे किसान बर्बाद होगा. साथ ही व्यापारी व छोटा कारोबारी जैसे रेहड़ी फहड़ी और आढ़ती वाले भी बर्बाद हो जाएंगे.
सीटू नेताओं का कहना है कि सरकार के इन संशोधनों के कारण जनता को अनाज व सब्जियां महंगे दामों पर मिला करेंगी. खेती में ठेका कृषि का प्रावधान केंद्र सरकार ने कर दिया है. इससे किसान अपने ही खेतों में खेत मजदूर के रुप में काम करने को मजबूर हो जाएंगे. देश की जनता को अडानी अंबानी अन्य कुछ विदेशी कंपनियों जैसे वालमार्ट, अमेजन आदि के आगे गुलामों की तरह रख दिया है.
सीटू नेताओं ने कहा कि देश का मजदूर, किसान और गरीब जनता इन किसान विरोधी बदलावों के खिलाफ डट कर लड़ेगा और सरकार को इन नीतियों को बदलने के लिए मजबूर कर देगा. सीटू ने मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत इन 3 विधेयकों में किसान विरोधी प्रावधानों को निरस्त करें.
सीटू ने राष्ट्रपति से भी अपील की है कि वह इन तीन विधेयकों में किए गए संशोधन को मंजूरी न प्रदान करें. केंद्र सरकार के इन किसान व जनता विरोधी प्रावधानों को वापस न लेने पर जनता, किसान व मजदूर वर्ग आंदोलन को तेज करने पर मजबूर होगा.
ये भी पढ़ें: 40 करोड़ श्रमिकों के हितों को सुरक्षित करेंगे मोदी सरकार के नए श्रमिक विधेयक: अनुराग ठाकुर