हमीरपुर: जिला हमीरपुर के नादौन उपमंडल लगभग 80 फीसदी दृष्टिहीन महिला सुदेश करीब 3 साल से उपायुक्त कार्यालय हमीरपुर और पंचायती राज विभाग के चक्कर काट रही है. प्रशासन और विभाग की अनदेखी के कारण यह दिव्यांग महिला दर-दर भटकने को मजबूर है.
बता दें कि वर्ष 2016 में तत्कालीन डीसी राकेश प्रजापति के समय महिला को जिला प्रशासन के माध्यम से शौचालय बनाने के लिए ₹12000 की राशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन विभाग और अधिकारियों की अनदेखी के कारण अभी तक महिला कार्यालयों के चक्कर काट रही है, लेकिन स्वीकृत राशि उसे नहीं मिल सकी है. महिला की आर्थिक हालत इतनी दयनीय है कि दो कमरों के मकान में न तो पलस्तर हुआ है और न ही खिड़कियां और दरवाजे हैं.
महिला का कहना है कि उपायुक्त राकेश प्रजापति के समय ये राशि स्वीकृत हुई थी, लेकिन अभी तक उसे ना तो पैसा मिला है और ना ही अधिकारी सही ढंग से जवाब दे रहे हैं. महिला तलाकशुदा है और पिछली बरसात में उसका कच्चा मकान भी ढह गया था. विभाग और प्रशासन की कारगुजारी से केंद्र और प्रदेश सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना पर भी सवाल उठ रहे हैं. एक बेसहारा महिला जिसका तलाक हो चुका है और आमदनी का कोई जरिया भी नहीं है उसके लिए एक शौचालय तक का निर्माण होना भी काफी हैरानी की बात है, जबकि जिला प्रशासन की ओर से इसके लिए पैसा भी स्वीकृत हो चुका है. महिला का दावा है कि उसे जनमंच में भी शिकायत करने से पंचायत प्रतिनिधियों और विभाग के कर्मचारियों ने रोका और शिकायत करने पर उसे धमकाया भी जा रहा है.
सुदेश ने कहा कि वह तत्कालीन उपायुक्त राकेश प्रजापति के समय से उपायुक्त कार्यालय और विभाग के कार्यालयों के चक्कर काट रही है, लेकिन अभी तक स्वीकृत राशि उसे नहीं मिल सकी है. पंचायत प्रधान और पंचायत सेक्टरी भी उसको सहयोग नहीं कर रहे हैं. उसने जब जनमंच में शिकायत रखनी चाही तो उसे शिकायत करने से रोक गया.
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