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हमीरपुर से जुड़ी हैं स्वतंत्रता सेनानी एवं लेखक यशपाल की जड़ें, पढ़ें पूरी कहानी

पंजाब के फिरोजपुर में 3 दिसंबर 1930 को जन्मे लेखक एवं क्रांतिकारी यशपाल के पूर्वज हमीरपुर जिला के भूंपल गांव के वासी थे. उनके दादा गरडू राम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते और भोरंज तहसील में टिक्कर भरियां व खर्वारियां के खेतिहर और निवासी थे. पिता हीरालाल दुकानदार और तहसील के हरकारे थे. वे जिला महासू के अंतर्गत अर्की रियासत के चांदपुर ग्राम से हमीरपुर में शिफ्ट हुए थे.

Freedom fighter Yashpal
स्वतंत्रता सेनानी यशपाल
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Published : Aug 15, 2020, 8:34 AM IST

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के महान स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जड़ें हमीरपुर से जुड़ी हैं. देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर के साथी रहे महान क्रांतिकारी एवं लेखक यशपाल के पैतृक घर जिला हमीरपुर में है.

पंजाब के फिरोजपुर में 3 दिसंबर 1930 को जन्मे लेखक एवं क्रांतिकारी यशपाल के पूर्वज हमीरपुर जिला के भूंपल गांव के वासी थे. उनके दादा गरडू राम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते और भोरंज तहसील में टिक्कर भरियां व खर्वारियां के खेतिहर और निवासी थे, जबकि पिता हीरालाल दुकानदार और तहसील के हरकारे थे.

Yashpal's relative showing his photograph
फोटो.

वे जिला महासू के अंतर्गत रियासत अर्की के चांदपुर ग्राम से हमीरपुर में शिफ्ट हुए थे. पिछले साल ही धर्मशाला में उनके बेटे की उपस्थिति में जीवन गाथा की डॉक्यूमेंट्री लांच की गई थी. वर्ष 1929 में यशपाल ने ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इरविन की रेलगाड़ी के नीचे बम विस्फोट किया था.

स्वतंत्रता सेनानी यशपाल को जब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, तब वे महज 28 वर्ष के थे. वर्ष 1937 में यशपाल को जेल से मुक्त तो कर दिया गया, लेकिन उनके पंजाब प्रांत जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. लखनऊ जेल से रिहाई के बाद यशपाल ने संयुक्त प्रांत की राजधानी लखनऊ में ही बस जाने का फैसला ले लिया था.

यशपाल का निधन 26 दिसंबर 1976 को अपने संस्मरणों सिंहावलोकन का चौथा भाग लिखते समय हुआ था. नादौन में यशपाल साहित्य सदन और पुस्तकालय है. यहां पर यशपाल के नाम से चौक पर प्रतिमा भी स्थापित है.

Postage stamp issued on freedom fighter Yashpal
स्वतंत्रता सेनानी यशपाल पर जारी डाक टिकट

बता दें कि कहानीकार व उपन्यासकार यशपाल को भारत सरकार ने वर्ष 1970 में पद्मभूषण से नवाजा. सरकार ने यशपाल की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है. उनके जन्मदिवस पर हर साल राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन और संगोष्ठी का आयोजन भी किया जाता है.

स्वतंत्रता सेनानी एवं महान लेखक यशपाल की जमीन हिमाचल प्रदेश से भू सुधार एवं मुजारा अधिनियम की भेंट चढ़ी है. काफी संघर्ष के बाद जिला प्रशासन हमीरपुर ने उनकी पैतृक जमीन को ढूंढ निकाला, लेकिन यह जमीन वर्ष 1977 में काश्त कार के मुजारे में चली गयी है. इसके चलते इस जमीन का मालिकाना हक वर्तमान में जमीन जोतने वाले परिवार के पास है.

ये भी पढ़ें: 95 साल की उम्र में भी इस स्वतंत्रता सेनानी का हौसला बुलंद, खुद चलाते हैं गाड़ी

हमीरपुर: हिमाचल प्रदेश के महान स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जड़ें हमीरपुर से जुड़ी हैं. देश की आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी, भगत सिंह और चंद्रशेखर के साथी रहे महान क्रांतिकारी एवं लेखक यशपाल के पैतृक घर जिला हमीरपुर में है.

पंजाब के फिरोजपुर में 3 दिसंबर 1930 को जन्मे लेखक एवं क्रांतिकारी यशपाल के पूर्वज हमीरपुर जिला के भूंपल गांव के वासी थे. उनके दादा गरडू राम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते और भोरंज तहसील में टिक्कर भरियां व खर्वारियां के खेतिहर और निवासी थे, जबकि पिता हीरालाल दुकानदार और तहसील के हरकारे थे.

Yashpal's relative showing his photograph
फोटो.

वे जिला महासू के अंतर्गत रियासत अर्की के चांदपुर ग्राम से हमीरपुर में शिफ्ट हुए थे. पिछले साल ही धर्मशाला में उनके बेटे की उपस्थिति में जीवन गाथा की डॉक्यूमेंट्री लांच की गई थी. वर्ष 1929 में यशपाल ने ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इरविन की रेलगाड़ी के नीचे बम विस्फोट किया था.

स्वतंत्रता सेनानी यशपाल को जब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, तब वे महज 28 वर्ष के थे. वर्ष 1937 में यशपाल को जेल से मुक्त तो कर दिया गया, लेकिन उनके पंजाब प्रांत जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. लखनऊ जेल से रिहाई के बाद यशपाल ने संयुक्त प्रांत की राजधानी लखनऊ में ही बस जाने का फैसला ले लिया था.

यशपाल का निधन 26 दिसंबर 1976 को अपने संस्मरणों सिंहावलोकन का चौथा भाग लिखते समय हुआ था. नादौन में यशपाल साहित्य सदन और पुस्तकालय है. यहां पर यशपाल के नाम से चौक पर प्रतिमा भी स्थापित है.

Postage stamp issued on freedom fighter Yashpal
स्वतंत्रता सेनानी यशपाल पर जारी डाक टिकट

बता दें कि कहानीकार व उपन्यासकार यशपाल को भारत सरकार ने वर्ष 1970 में पद्मभूषण से नवाजा. सरकार ने यशपाल की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया है. उनके जन्मदिवस पर हर साल राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन और संगोष्ठी का आयोजन भी किया जाता है.

स्वतंत्रता सेनानी एवं महान लेखक यशपाल की जमीन हिमाचल प्रदेश से भू सुधार एवं मुजारा अधिनियम की भेंट चढ़ी है. काफी संघर्ष के बाद जिला प्रशासन हमीरपुर ने उनकी पैतृक जमीन को ढूंढ निकाला, लेकिन यह जमीन वर्ष 1977 में काश्त कार के मुजारे में चली गयी है. इसके चलते इस जमीन का मालिकाना हक वर्तमान में जमीन जोतने वाले परिवार के पास है.

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