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चिंता में जयराम के सबसे ताकतवर मंत्री! बिना स्टाफ कैसे चलेगी सिंचाई परियोजनाएं

माकपा विधायक राकेश सिंघा ने आईपीएच डिपार्टमेंट में स्टाफ की कमी और एक साल में रिटायर हुए कर्मियों से जुड़ा सवाल किया. राकेश सिंघा ने चिंता जताई कि यदि इतने पद खाली हैं तो परियोजनाएं कैसे चलेंगी.

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Published : Feb 12, 2019, 7:22 PM IST

शिमलाः जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पावरफुल कैबिनेट मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह अपने विभाग में स्टाफ की कमी पर चिंतित हैं. वर्ष 2005 में उस समय की सरकार ने फैसला लिया था कि सिंचाई व जन-स्वास्थ्य विभाग में जो कर्मचारी रिटायर होगा, वो पद खत्म कर दिया जाएगा. इस तरह 15 हजार से अधिक पद डाइंग काडर में चले गए. इससे स्टाफ की कमी हुई और सिंचाई परियोजनाओं को आउटसोर्स करना पड़ा. अब आउटसोर्स की गई परियोजनाओं में मशीनरी आदि खराब हो गई हैं. स्टाफ नहीं है और एक साल में 1916 अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हो गए.

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ये तथ्य हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सामने आए हैं. दरअसल, माकपा विधायक राकेश सिंघा ने आईपीएच डिपार्टमेंट में स्टाफ की कमी और एक साल में रिटायर हुए कर्मियों से जुड़ा सवाल किया था. राकेश सिंघा ने चिंता जताई कि यदि इतने पद खाली हैं तो परियोजनाएं कैसे चलेंगी. सिंघा का कहना था कि यदि एक साल में 1916 अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हुए हैं तो 5 साल में 9580 कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे. ऐसे में सिंचाई, पेयजल योजनाओं सहित अन्य कार्य कैसे चलेगा. जवाब में कैबिनेट मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह ने कहा कि वे विधायक की चिंता से सहमत हैं.


उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी अवगत करवा दिया गया है. मंत्री ने आशा जताई कि सरकार सिंचाई योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूर कुछ न कुछ उपाय करेगी. मंत्री ने कहा कि यदि स्कूल व अस्पताल खुलते हैं तो उनके लिए उचित स्टाफ की व्यवस्था की जाती है. ऐसे ही सिंचाई परियोजनाओं के लिए भी किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रिटायरमेंट के बाद खाली होने वाले पदों को डाइंग काडर में डाल दिया था. इससे आईपीएच की पेयजल व सिंचाई परियोजनाओं में स्टाफ की कमी हो गई. वर्ष 2005 में विभाग के पास परियोजनाओं के लिए 17,966 पद थे, जो अब घटकर महज 7864 रह गए हैं. सरकार को 564 परियोजनाओं को आउटसोर्स करना पड़ा है.

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उन्होंने स्पष्ट किया कि उक्त 564 परियोजनाएं पूर्व कांग्रेस सरकार ने आउटसोर्स की थी और मौजूदा सरकार के समय एक भी स्कीम आउटसोर्स नहीं की गई है. महेंद्र सिंह ने सदन में बताया कि वर्ष 2018 में विभाग से 43 अधिकारियों सहित 1916 कर्मचारी सेवानिवृत हुए. मंत्री ने कहा कि स्टाफ की कमी से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी चिंतित हैं. महेंद्र सिंह के अनुसार उनके महकमे ने सीएम के समक्ष सारी वस्तुस्थिति रखी है. अनुपूरक सवाल में राकेश सिंघा ने पूछा कि जो परियोजनाएं आउटसोर्स की गई थीं, उनके ठेकेदारों ने लापरवाही की है और मशीनरी को बर्बाद किया गया है. क्या सरकार ऐसे ठेकेदारों से नुकसान की रिकवरी करेगी. इस पर महेंद्र सिंह ने भरोसा दिलाया कि जहां कहीं भी सरकार का नुकसान हुआ है, संबंधित ठेकेदार से रिकवरी की जाएगी.

शिमलाः जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पावरफुल कैबिनेट मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह अपने विभाग में स्टाफ की कमी पर चिंतित हैं. वर्ष 2005 में उस समय की सरकार ने फैसला लिया था कि सिंचाई व जन-स्वास्थ्य विभाग में जो कर्मचारी रिटायर होगा, वो पद खत्म कर दिया जाएगा. इस तरह 15 हजार से अधिक पद डाइंग काडर में चले गए. इससे स्टाफ की कमी हुई और सिंचाई परियोजनाओं को आउटसोर्स करना पड़ा. अब आउटसोर्स की गई परियोजनाओं में मशीनरी आदि खराब हो गई हैं. स्टाफ नहीं है और एक साल में 1916 अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हो गए.

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ये तथ्य हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सामने आए हैं. दरअसल, माकपा विधायक राकेश सिंघा ने आईपीएच डिपार्टमेंट में स्टाफ की कमी और एक साल में रिटायर हुए कर्मियों से जुड़ा सवाल किया था. राकेश सिंघा ने चिंता जताई कि यदि इतने पद खाली हैं तो परियोजनाएं कैसे चलेंगी. सिंघा का कहना था कि यदि एक साल में 1916 अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हुए हैं तो 5 साल में 9580 कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे. ऐसे में सिंचाई, पेयजल योजनाओं सहित अन्य कार्य कैसे चलेगा. जवाब में कैबिनेट मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह ने कहा कि वे विधायक की चिंता से सहमत हैं.


उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी अवगत करवा दिया गया है. मंत्री ने आशा जताई कि सरकार सिंचाई योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूर कुछ न कुछ उपाय करेगी. मंत्री ने कहा कि यदि स्कूल व अस्पताल खुलते हैं तो उनके लिए उचित स्टाफ की व्यवस्था की जाती है. ऐसे ही सिंचाई परियोजनाओं के लिए भी किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रिटायरमेंट के बाद खाली होने वाले पदों को डाइंग काडर में डाल दिया था. इससे आईपीएच की पेयजल व सिंचाई परियोजनाओं में स्टाफ की कमी हो गई. वर्ष 2005 में विभाग के पास परियोजनाओं के लिए 17,966 पद थे, जो अब घटकर महज 7864 रह गए हैं. सरकार को 564 परियोजनाओं को आउटसोर्स करना पड़ा है.

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उन्होंने स्पष्ट किया कि उक्त 564 परियोजनाएं पूर्व कांग्रेस सरकार ने आउटसोर्स की थी और मौजूदा सरकार के समय एक भी स्कीम आउटसोर्स नहीं की गई है. महेंद्र सिंह ने सदन में बताया कि वर्ष 2018 में विभाग से 43 अधिकारियों सहित 1916 कर्मचारी सेवानिवृत हुए. मंत्री ने कहा कि स्टाफ की कमी से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी चिंतित हैं. महेंद्र सिंह के अनुसार उनके महकमे ने सीएम के समक्ष सारी वस्तुस्थिति रखी है. अनुपूरक सवाल में राकेश सिंघा ने पूछा कि जो परियोजनाएं आउटसोर्स की गई थीं, उनके ठेकेदारों ने लापरवाही की है और मशीनरी को बर्बाद किया गया है. क्या सरकार ऐसे ठेकेदारों से नुकसान की रिकवरी करेगी. इस पर महेंद्र सिंह ने भरोसा दिलाया कि जहां कहीं भी सरकार का नुकसान हुआ है, संबंधित ठेकेदार से रिकवरी की जाएगी.

चिंता में जयराम सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री, बिना स्टाफ कैसे चलेंगी सिंचाई परियोजनाएं, डाइंग कॉडर में डाले हजारों पद
शिमला। जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के पावरफुल कैबिनेट मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह अपने विभाग में स्टाफ की कमी पर चिंतित हैं। वर्ष 2005 में उस समय की सरकार ने फैसला लिया था कि सिंचाई व जनस्वास्थ्य विभाग में जो कर्मचारी रिटायर होगा, वो पद खत्म कर दिया जाएगा। इस तरह 15 हजार से अधिक पद डाइंग काडर में चले गए। इससे स्टाफ की कमी हो गई और सिंचाई परियोजनाओं को आउटसोर्स करना पड़ा। अब आउटसोर्स की गई परियोजनाओं में मशीनरी आदि खराब हो गई हैं। स्टाफ है नहीं और एक साल में 1916 अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हो गए। ये तथ्य हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान सामने आए। दरअसल, माकपा विधायक राकेश सिंघा ने आईपीएच डिपार्टमेंट में स्टाफ की कमी और एक साल में रिटायर हुए कर्मियों से जुड़ा सवाल किया था। राकेश सिंघा ने चिंता जताई कि यदि इतने पद खाली हैं तो परियोजनाएं कैसे चलेंगी? सिंघा का कहना था कि यदि एक साल में 1916 अधिकारी व कर्मचारी रिटायर हुए हैं तो 5 साल में होंगे 9580 कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में सिंचाई, पेयजल योजनाओं सहित अन्य कार्य कैसे चलेगा? जवाब में कैबिनेट मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह ने कहा कि वे विधायक की चिंता से सहमत हैं। उन्होने कहा कि इस संदर्भ में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी अवगत करवा दिया गया है। मंत्री ने आशा जताई कि सरकार सिंचाई योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए जरूर कुछ न कुछ उपाय करेगी। मंत्री ने कहा कि यदि स्कूल व अस्पताल खुलते हैं तो उनके लिए उचित स्टाफ की व्यवस्था की जाती है। ऐसे ही सिंचाई परियोजनाओं के लिए भी किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रिटायरमेंट के बाद खाली होने वाले पदों को डाइंग काडर में डाल दिया था। इससे आईपीएच की पेयजल व सिंचाई परियोजनाओं में स्टाफ की कमी हो गई। वर्ष 2005 में विभाग के पास परियोजनाओं के लिए 17,966 पद थे, जो अब घटकर महज 7864 रह गए हैं। सरकार को 564 परियोजनाओं को आउटसोर्स करना पड़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उक्त 564 परियोजनाएं पूर्व कांग्रेस सरकार ने आउटसोर्स की थी और मौजूदा सरकार के समय एक भी स्कीम आउटसोर्स नहीं की गई है। महेंद्र सिंह ने सदन में बताया कि वर्ष 2018 में विभाग से 43 अधिकारियों सहित 1916 कर्मचारी सेवानिवृत हुए। मंत्री ने कहा कि स्टाफ की कमी से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी चिंतित हैं। महेंद्र सिंह के अनुसार उनके महकमे ने सीएम के समक्ष सारी वस्तुस्थिति रखी है। अनुपूरक सवाल में राकेश सिंघा ने पूछा कि जो परियोजनाएं आउटसोर्स की गई थीं, उनके ठेकेदारों ने लापरवाही की है और मशीनरी को बर्बाद किया है। क्या सरकार ऐसे ठेकेदारों से नुकसान की रिकवरी करेगी? इस पर महेंद्र सिंह ने भरोसा दिलाया कि जहां कहीं भी सरकार का नुकसान हुआ है, संबंधित ठेकेदार से रिकवरी की जाएगी।

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