चंबा: जोत समुद्र तल से 2300 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यहां हर साल दुनिया भर से पर्यटक पहुंचते हैं. जोत का वातावरण और यहां के पहाड़ों के नजारे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. अब यह जगह जोत नाम से मशहूर हो चुकी है, लेकिन इसका असली नाम “वसोदन” जोत है और बहुत कम लोग इस नाम से परिचित हैं.
यंहा का सूर्यास्त बेहद आकर्षक होता है. ऊंचे पहाड़ से सूरज को धरती पर डूबते देखना दिल को सुकून देने वाला नजारा होता है. बारिश के बाद बनने वाला इंद्रधनुष भी मन को एक अलग शांति का अनुभव देता है. जोत की ऊंची चोटी से एक तरफ चुवाड़ी और दूसरी ओर चंबा नजर आता है. यहां के पहाड़ों से मणिमहेश का मनमोहक नजारा भी दिखाई देता है. जोत के साथ ही खुले पठारी घास के मैदान हैं और ऊंचे-ऊंचे देवदार के पेड़ हैं, जंहा से पर्यटक मनमोहक पहाड़ों के नजारे लेते हैं. सर्दियों में जोत का नजारा देखने लायक होता है. पहाड़ों पर बीछी सफेद बर्फ की चादर और यहां का शांत माहौल धरती पर जन्नत की सैर करने जैसा है.
मुख्य शहरों से जोत की दूरी
जोत आते समय आप रास्ते में पर्यटन स्थल चुवाड़ी में घूमने का आनंद भी ले सकते हैं. ये खूबसूरत शहर जोत से 23 किलोमीटर की दूरी पर है. चंबा मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर ये स्थान चुवाड़ी और चंबा को जोड़ता है. पठानकोट से जोत लगभग 80 किलोमीटर दूर है.
बॉलीवुड की पसंद भी है जोत
बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म गदर के कुछ दृश्य जोत की खूबसूरत वादियों में दर्शाए गए थे. इसके अलावा जोत में फिल्म ताल की भी शूटिंग भी हुई है.
आकर्षण का केंद्र हैं गुज्जर समुदाय के कोठे
जोत में गुज्जर समुदाय के लोग गर्मी में अपने पशुओं के साथ आते हैं और यहीं अस्थाई घर बनाकर रहते हैं. इन घरों को कोठे कहा जाता है. ये लोग सर्दियां शुरू होते ही वापिस मैदानी इलाकों की ओर लौट जाते हैं.
जोत में की जा सकती है ट्रैकिंग
जोत से सुंदर पहलवानी माता के मंदिर तक ट्रैकिंग पर जाया जा सकता है. यहां पर प्रसिद्ध सुंडल नाग भी आस्था का केंद्र है और यहां बसे कैंथली गांव के बीच घने जंगल से होकर भी ट्रैकिंग की जा सकती है.
अफसोस इस बात का है कि जोत को इतना अधिक प्रसिद्ध करने में हिमाचल पर्यटन विभाग विफल रहा है. यहां पहुंचने वाले पर्यटक ही यहां गंदगी डालकर चले जाते हैं. अपनी मस्ती के लिए लोग यंहा शराब की खाली बोतलें फैंक कर चले जाते हैं. जोत पहुंचने वाले पर्यटकों को यहां हमेशा ठहरने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हिमाचल टूरिज़्म को चाहिए कि यंहा पर कूड़ा प्रबंधन के साथ-साथ पर्यटकों को सही सुविधाएं उपलब्ध करवाएं.