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मणिमहेश यात्रा: शाही स्नान के लिए शिव चेलों ने जमाया डेरा, सोमवार को निभाएंगे डल तोड़ने की रस्म

प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा को लेकर राधाअष्टमी के शाही स्नान में डल तोड़ने की रस्म निभाने के लिए त्रिलोचन महादेव के वंशज एवं संचूई के शिव चेले शनिवार को चौरासी मंदिर परिसर पहुंचे. शिव मंदिर में माथा टेकने के बाद चेलों ने बाहर डेरा जमा लिया है. आज और रविवार को शिव चेले यात्रा पर जाने वालों को अनुमति देंगे और सोमवार को डल तोड़ने की रस्म निभाने के लिए चौरासी से डल झील की तरफ जाएंगे.

Manimahesh Yatra
मणिमहेश यात्रा
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Published : Aug 22, 2020, 5:40 PM IST

चंबा:इस साल कोरोना माहामारी के चलते प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा में महज रस्मों और परंपराओं को निभाने का फैसला लिया है, जिसके लिए पड़ोसी राज्य जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से आने वाली छड़ियों समेत अन्योंं को एक सीमित संख्या में ही परंपराओं को निभाने के लिए डल झील जाने की अनुमति रहेगी. यात्रा के शाही स्नान के आरंभ होने से पहले डल झील को आर-पार करने की परंपरा को निभाने के लिए संचूई के चेले परंपराओं को निभाने शनिवार को चौरासी मंदिर पहुंचे गए हैं.

वीडियो

बता दें कि डल झील पर इस बार सीमित रूप से शिव चेलों के डल तोड़ने (शाही स्नान) की रस्म की अदायगी के साथ पूजा-अर्चना ही होगी. किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान नवाला इत्यादि आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी. चंबा से दशनामी अखाड़ा चंबा की देव छड़ी के 11 मुख्य कारदारों और शिव चेलों को अनुमति चंबा प्रशासन ने राधा अष्टमी के शाही स्नान के लिए प्रदान की है.

भरमौर प्रशासन कार्तिक स्वामी कुगति के 4 चेले, हड़सर के चार पुजारियों को और ग्राम पंचायत सचूईं के 12 शिव चेलों को वह चार वाद्य यंत्रियों को डल झील पर जाने की अनुमति प्रदान की गई. संचूई के शिव गुर (चेला) विजय कुमार का कहना है कि प्रशासन ने 15 चेलों को डल की ओर जाने की अनुमति दी है. मास्क और सोशल डिस्टेंसिग की पालन करते हुए डल तोड़ने की रस्म निभाई जाएगी.

ये भी पढ़ें :वेतन न मिलने पर सीटू ने बजोली-होली पावर प्रोजेक्ट प्रबंधन के खिलाफ खोला मोर्चा

चंबा:इस साल कोरोना माहामारी के चलते प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा में महज रस्मों और परंपराओं को निभाने का फैसला लिया है, जिसके लिए पड़ोसी राज्य जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से आने वाली छड़ियों समेत अन्योंं को एक सीमित संख्या में ही परंपराओं को निभाने के लिए डल झील जाने की अनुमति रहेगी. यात्रा के शाही स्नान के आरंभ होने से पहले डल झील को आर-पार करने की परंपरा को निभाने के लिए संचूई के चेले परंपराओं को निभाने शनिवार को चौरासी मंदिर पहुंचे गए हैं.

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बता दें कि डल झील पर इस बार सीमित रूप से शिव चेलों के डल तोड़ने (शाही स्नान) की रस्म की अदायगी के साथ पूजा-अर्चना ही होगी. किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान नवाला इत्यादि आयोजित करने की अनुमति नहीं होगी. चंबा से दशनामी अखाड़ा चंबा की देव छड़ी के 11 मुख्य कारदारों और शिव चेलों को अनुमति चंबा प्रशासन ने राधा अष्टमी के शाही स्नान के लिए प्रदान की है.

भरमौर प्रशासन कार्तिक स्वामी कुगति के 4 चेले, हड़सर के चार पुजारियों को और ग्राम पंचायत सचूईं के 12 शिव चेलों को वह चार वाद्य यंत्रियों को डल झील पर जाने की अनुमति प्रदान की गई. संचूई के शिव गुर (चेला) विजय कुमार का कहना है कि प्रशासन ने 15 चेलों को डल की ओर जाने की अनुमति दी है. मास्क और सोशल डिस्टेंसिग की पालन करते हुए डल तोड़ने की रस्म निभाई जाएगी.

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