चंबा: दुर्लभ वन्य प्राणियों की मौजूदगी को लेकर चर्चा में रहने वाले जिला चंबा का नाम सुर्खियों में है. जिले में लंगूर की विश्व भर से अलग प्रजाति पाई गई है. जिले में लंगूर की गउला नामक प्रजाति पाई गई है, जो सिर्फ चंबा में ही पाई जाती है.
रोचक है कि देश में लंगूर की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें उत्तर भारत में तीन शामिल हैं. वहीं, गउला नामक लंगूर की प्रजाति पूरे विश्व में सिर्फ चंबा में पाई जाती है. हांलाकि, कश्मीर और पाकिस्तान में इनकी मौजूदगी की संभावनाएं जरूर अभी तक जताई जा रही हैं.
सात वर्षों से चंबा जिले में गउला पर रिसर्च कर रहे विशाल आहूजा ने ये दावा किया है. बहरहाल, लंगूर की दुर्लभ प्रजाति मिलने के बाद वन्य प्राणी विभाग भी इसके संरक्षण को लेकर कोशिश करने लगा है.
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वाइल्ड लाइफ डिवीजन चंबा के डीएफओ निशांत मंढौत्रा का कहना है कि गउला प्रजाति के लंगूर सिर्फ चंबा में ही पाए जाते हैं. इसके संरक्षण को लेकर विभाग की ओर से जल्द कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से इस प्रजाति की यहां मौजूदगी को लेकर बोर्ड भी लगाए जा रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, लंगूर की गउला प्रजाति को स्केयर्ड लंगूर के नाम से भी जाना जाता है. ये फल, बीज, फूल, जड़ें, छाल और कलियां खाते हैं. गउला प्रजाति के लंगूर 20 से 30 के समूह में रहते हैं. जिले में ये प्रजाति प्रदेश की दूसरी बड़ी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी कुगती के अलावा कालाटोप, खज्जियार, भांदल, जसौरगढ़, दियोला आदि क्षेत्रों में पाई गई है. इसके अलावा भरमौर क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में भी इस प्रजाति के लंगूर देखे जा सकते हैं.
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