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अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला संपन्न, शहर में निकाली गई शोभायात्रा

सात दिन तक चला अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले का समापन रविवार को परंपरागत तरीके से हो गया, समापन समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए, विसर्जन रस्म को लेकर प्रदेश के लोग अपने परंपरागत पहनावे में नजर आए.

अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला संपन्न
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Published : Aug 4, 2019, 11:21 PM IST

चंबा: सात दिन तक चला अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले का समापन रविवार को हुआ. समापन समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए.
बता दें कि मिंजर मेला जुलाई माह के आखिरी रविवार से शुरू हुआ था और एक सप्ताह तक चला. इस दौरान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है और कुंजरी-मल्हार गाए जाते हैं. मिंजर विसर्जन इस त्योहार की महत्वपूर्ण रस्म है.

मिंजर मेले के स्मापन समारोह के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की. इस मौके पर लक्ष्मीनारायण मंदिर से शोभा यात्रा निकली, जिसमें चंबा जिले के हजारों लोगों ने भाग लिया. मुख्यमंत्री के साथ विधान सभा उपाध्यक्ष हंस राज और मंत्री सरवीन चौधरी भी समारोह में शामिल रहे.

अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला संपन्न

मिंजर विसर्जन रस्म को लेकर प्रदेश के लोग अपने परंपरागत पहनावे में नजर आए. मिंजर का विसर्जन करने के लिए रावी नदी तक मुख्यमंत्री सहित चंबा के हजारों लोगों के मिंजर का समापन किया.

आपको बता दें कि समापन समारोह में मुख्य अतिथि मंत्रोच्चारण के बीच मिंजर, एक रुपया, नारियल, द्रूब और फूल को नदी में प्रवाहित करते हुए वरुण देवता को अर्पित करते हैं. इसके साथ मिंजर मेला समापन हो जाता है. देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और शाही ध्वज को वापस महल में ले जाया जाता है. जिसके बाद फिर अगले साल का इंतजार शुरू होता है.

चंबा: सात दिन तक चला अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेले का समापन रविवार को हुआ. समापन समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए.
बता दें कि मिंजर मेला जुलाई माह के आखिरी रविवार से शुरू हुआ था और एक सप्ताह तक चला. इस दौरान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है और कुंजरी-मल्हार गाए जाते हैं. मिंजर विसर्जन इस त्योहार की महत्वपूर्ण रस्म है.

मिंजर मेले के स्मापन समारोह के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की. इस मौके पर लक्ष्मीनारायण मंदिर से शोभा यात्रा निकली, जिसमें चंबा जिले के हजारों लोगों ने भाग लिया. मुख्यमंत्री के साथ विधान सभा उपाध्यक्ष हंस राज और मंत्री सरवीन चौधरी भी समारोह में शामिल रहे.

अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला संपन्न

मिंजर विसर्जन रस्म को लेकर प्रदेश के लोग अपने परंपरागत पहनावे में नजर आए. मिंजर का विसर्जन करने के लिए रावी नदी तक मुख्यमंत्री सहित चंबा के हजारों लोगों के मिंजर का समापन किया.

आपको बता दें कि समापन समारोह में मुख्य अतिथि मंत्रोच्चारण के बीच मिंजर, एक रुपया, नारियल, द्रूब और फूल को नदी में प्रवाहित करते हुए वरुण देवता को अर्पित करते हैं. इसके साथ मिंजर मेला समापन हो जाता है. देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और शाही ध्वज को वापस महल में ले जाया जाता है. जिसके बाद फिर अगले साल का इंतजार शुरू होता है.

Intro:अंतराष्ट्रीय मिंजर मेले के समापन अवसर के दौरान मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर की अगुवाई में निकली शोभा यात्रा कई क्षेत्रों के सेकड़ों लोगों ने नाचते गाते हुए किया मिंजर मेले का समापन .

चंबा जिला का एतिहासिक मिंजर मेला आठ दिनों तक चला और आखिर आज मिंजर मेले का स्मपान हो गया इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुख्य अतिथि के तौर पे शिरकत की , जिसके चलते लक्ष्मीनारायण मंदिर से शोभा यात्रा निकली जिसमे चंबा जिला के हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया इसमें मुख्यमंत्री के साथ विधान सभा उपाध्यक्ष हंस राज और महिला मंत्री सरवीन चौधरी भी मुख्यंत्री के काफिले में शामिल रहे हालंकि मिंजर विसर्जन को लेकर अलग अलगक्षेत्र से अलग अलग वेशभूषा में सेकड़ों जाती धर्मों के लोगों ने भाग लिया और और मिंजर को विसर्जन करने के लिए रावी नदी तक मुख्यमंत्री सहित चंबा के हजारों लोगों के मिंजर का समापन हुआ .Body:मेले का आगाज और समापन
मिंजर मेला जुलाई माह के आखिरी रविवार से शुरू होता है और एक हफ्ते तक चलता है। इसे चंबा के ऐतिहासिक चौहान मैदान में नाया जाता है। इस दौरान लक्ष्मी-नारायण मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है। कुंजरी-मल्हार गाए जाते हैं। मिंजर विसर्जन इस त्योहार की महत्वपूर्ण रस्म है और इसके साथ ही मेले का समापन होता है। ऐसा करने से पहले चंबा के राजा के अखंड चंडी महल में स्थित भगवान रघुवीर के मंदिर से शोभा यात्रा निकाली जाती है। साथ में अन्य देवी-देवताओं की पालकियां भी चलती हैंConclusion:समापन समारोह के मुख्य अतिथि मंत्रोच्चारण के बीच मिंजर, एक रुपया, नारियल, दूब और फूल को नदी में प्रवाहित करते हुए उन्हें वरुण देवता को अर्पित करते हैं। इसी के साथ मिंजर मेला समाप्त हो जाता है। देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और शाही ध्वज को वापस महल में ले जाया जाता है। इसके बाद फिर इंतजार शुरू होता है अगले साल का.
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