चंबा: इंद्रदेव की परीक्षा में मिली बड़ी चुनौतियों से पार पाते हुए कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां से मणिमहेश यात्रियों का दल पांच दिनों बाद होली (चंबा) पहुंचा. जालसू दर्रे को पार करते ही अंबर भी टूट पड़ा और शुरू हुई मूसलाधार बारिश भी इन शिवभक्तों का हौसला नहीं तोड़ पाई. संयम और भगवान भोले नाथ के प्रति इनकी गूढ़ आस्था की बदौलत उफनते नाले पर बह चुके पुल के स्थान पर पेड़ों को काट कर अस्थाई पुल बनाया और सभी सुरक्षित होली भी पहुंच गए. बहरहाल अब यह दल मौसम और रास्ते की वास्तुस्थिति का पता करने के बाद होली के कलाह गांव से होकर मणिमहेश परिक्रमा यात्रा पर निकलेगा.
यात्रा पर 36वीं मर्तबा आए नगरोटा बगवां के त्रिलोक धीमान बताते है कि पांच दिनों के सफर के दौरान वह प्रेई, जालसू, चन्नी और लाके वाली माता मंदिर में ठहराव किया. इस दौरान स्थानीय लोगों व दुकानदारों ने उनका भरपूर सहयोग किया और रहने व खाने पीने की व्यवस्था भी की. उन्होंने बताया कि खराब मौसम के चलते 200 के करीब यात्री जालसू पास से घरों की और लौट गए. जिनमें मंडी के सरकाघाट के एक सौ से अधिक यात्री भी शामिल थे. उन्होंने बताया कि बारिश के कारण चन्नी पुल बह चुका था और उफनते नाले को पार करना मुमकिन नहीं था, लेकिन यात्रियों के दल ने पांच घंटों की कड़ी मशक्कत कर पेड़ों को नाले के आर-पार कर अस्थाई पुल बनाया. जिसके बाद करीब सौ यात्री नाले को पार करते हुए होली पहुंचे हैं.
बता दें कि भरमौर की होली घाटी से भी डल झील की ओर जाने वाला रास्ता है. इस रास्ते से भी हर साल हजारों की तादाद में शिवभक्त मणिमहेश परिक्रमा यात्रा करते हैं. अहम है कि मणिमहेश डल झील तक पहुंचने के तीन रास्ते है. जिनमें भरमौर-हड़सर होते हुए डल झील तक जाने वाला रास्ता मुख्य है. इनके अलावा कुगती जोत को पार कर यात्री कमलकुंड और जालसू जोत से वाया कलाह होते डल में पवित्र स्नान कर मणिमहेश परिक्रमा यात्रा करते है. बता दें कि भरमौर की होली घाटी से मणिमहेश परिक्रमा यात्रा करने वालो की संख्या में साल दर साल इजाफा हो रहा है.
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