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एनजीटी के फैसले के खिलाफ अब सप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जनकल्याण समिति, बनाई जॉइंट एक्शन कमेटी

ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर एनजीटी की रोक को हटाने और  भवनों को नियमित कराने को लेकर अब उप नगरीय जन कल्याण समिति द्वारा जॉइंट एक्शन कमेटी का गठन किया जाएगा. ये कमेटी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास जाने की संभावनाओं पर मंथन करेगी.

समिति के समन्वयक गोविंद चितरांटा
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Published : Jul 2, 2019, 3:21 PM IST

शिमला: राजधानी के ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर एनजीटी की रोक को हटाने और भवनों को नियमित कराने को लेकर अब उप नगरीय जन कल्याण समिति द्वारा जॉइंट एक्शन कमेटी का गठन किया जाएगा. ये कमेटी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास जाने की संभावनाओं पर मंथन करेगी.

दरअसल उप नगरीय जन कल्याण समिति द्वारा मंगलवार को कालीबाड़ी हाल में बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें आगामी रणनीति तैयार करने पर चर्चा की गई. इसी बीच समिति ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया. उनका आरोप है कि इन भवनों से नगर निगम द्वारा प्रोपर्टी टैक्स लिया जा रहा है, जब नियमित करने को कहा जाता है तो इसे अवैध कहा जाता है.

समिति के समन्वयक गोविंद चितरांटा ने बताया कि सरकार ने फंड लेने के लिए नगर निगम का दायरा बढ़ाया है, जिसमें हजारों भवन आए हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर भवन पंचायत के तहत थे, लेकिन जब नगर निगम में ये एरिया आया है, तो इन भवनों को अवैध घोषित कर दिया गया.

जानकारी देते समिति के समन्वयक गोविंद चितरांटा

गोविंद चितरांटा ने बताया कि शिमला में हाईकोर्ट का भवन 11 मंजिला, रोप का 13 मंजिला, टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग का भवन 7 मंजिला भवन है, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली की तरह वन टाइम सेटेलमेंट में भवन मालिकों को राहत दे.

शिमला: राजधानी के ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर एनजीटी की रोक को हटाने और भवनों को नियमित कराने को लेकर अब उप नगरीय जन कल्याण समिति द्वारा जॉइंट एक्शन कमेटी का गठन किया जाएगा. ये कमेटी सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पास जाने की संभावनाओं पर मंथन करेगी.

दरअसल उप नगरीय जन कल्याण समिति द्वारा मंगलवार को कालीबाड़ी हाल में बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें आगामी रणनीति तैयार करने पर चर्चा की गई. इसी बीच समिति ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया. उनका आरोप है कि इन भवनों से नगर निगम द्वारा प्रोपर्टी टैक्स लिया जा रहा है, जब नियमित करने को कहा जाता है तो इसे अवैध कहा जाता है.

समिति के समन्वयक गोविंद चितरांटा ने बताया कि सरकार ने फंड लेने के लिए नगर निगम का दायरा बढ़ाया है, जिसमें हजारों भवन आए हैं. उन्होंने बताया कि अधिकतर भवन पंचायत के तहत थे, लेकिन जब नगर निगम में ये एरिया आया है, तो इन भवनों को अवैध घोषित कर दिया गया.

जानकारी देते समिति के समन्वयक गोविंद चितरांटा

गोविंद चितरांटा ने बताया कि शिमला में हाईकोर्ट का भवन 11 मंजिला, रोप का 13 मंजिला, टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग का भवन 7 मंजिला भवन है, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली की तरह वन टाइम सेटेलमेंट में भवन मालिकों को राहत दे.

Intro:शिमला के ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर एनजीटी की रोक को हटाने ओर शिमला में भवनों को नियमित करवाने को लेकर अब उप नगरीय जन कल्याण समिति जॉइंट एक्शन कमेटी का गठन करेगी। ये कमेटी सरकार के समक्ष ओर सुप्रीम कोर्ट जाने की सम्भावनाओ पर मंथन करेगी। समिति ने मंगलवार को कालीबाड़ी हाल में बैठक का आयोजन किया जिसमें आगामी रणनीति तैयार करने पर चर्चा की गई। समिति ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने के आरोप लगाए है। उनका आरोप है कि इन भवनों से नगर निगम द्वारा प्रोपर्टी टेक्स लिया जा रहा है तब भवन वैद है और जब नियमित करने को कहा जाता है तो इसे अवैध कहा जा रहा है। समिति के समन्वयक गोविंद चितरांटा ने कहा कि सरकार ने फंड लेने के लिए नगर निगम का दायरा बढ़ाया गया है जिसमे हजारों भवन आए है। जोकि पंचायत के तहत थे। लेकिन जब नगर निगम में ये एरिया आया है उसके बाद इन भवनों को अवैध करार दिया गया और लोगो का पक्ष नही सुना गया।


Body:उन्होंने आरोप लगाया की शिमला में हाई कोर्ट का भवन 11 मंजिला है रोप पे 13 मंजिला है टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग का अपना भवन 7 मंजिला हैं । लेकिन जिन्होंने ढाई बिस्वा में भवन बनाए है जिन्हीने 2 ढाई बिस्वा में भवन बनाए है उन ओर नियम थोपे जा रहे है। उन्होंने सरकार से मांग की की सरकार एक मुशक्त मे वन टाइम सेटेलमेंट में इन भवन मालिको को राहत दे।जबकि सभी राज्यो पंजाब हरियाणा दिल्ली ने भवन मालिको ने राहत दी और हिमाचल सरकार भी न्यूनतम फीस ले कर नियमित किया जाए।


Conclusion:यही नही उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में दोहरी नीति अपना रही है । अब समिति इसको लेकर जॉइंट एक्शन कमेटी बनाने जा रहे है। जो इन मसलों को लेकर सरकार के समक्ष मामला उठाएगी ओर जरूरत पड़ेगी तो समिति सुप्रीम कोर्ट भी जाएगी।
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