शिमला: प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के 12 में से 9 जिलों के कई जंगलों में आगजनी की घटनाएं अब भी जारी है. आगजनी की वजह से पिछले 3 सालों में 9 लोगों के जान जा चुकी है.
गर्मी के मौसम में प्रदेश के जंगल आग की भेंट चढ़ रहे हैं. राज्य में कई जगहों पर रुक- रुक कर बारिश का दौर जारी है, लेकिन जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा आग की घटनाएं चीड़ के जंगलों में घटित हो रही है. राज्य सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
वहीं, अगर सरकारी आंकड़ों की बात की जाए, तो पिछले पांच साल में राज्य के कई जिलों में आग्निकांड की घटनाओं में इजाफा हुआ है. 2015-16 में कुल, 5, 749 हेक्टेयर जमीन के तहत 672 जंगलों में आग लगी थी, जिसमें 1 करोड़ 34 लाख 77 हजार रुपये की वन संपदा जल्द कर राख हो गयी थी. वहीं, साल 2016 - 17 में 19, 535 हेक्टेयर भूमी के तहत राज्य भर के 1832 जंगलों में आगजनी से 3 करोड़ 50 लाख रूपए की वन संपदा नष्ट हुई थी.
इसके अलावा 2017-18 में 9 हजार 408 हेक्टेयर जमीन के तहत 1164 जंगलों में आग से 1 करोड़ 96 लाख 41 हजार की वन संपदा जलकर राख हुई थी. 2018 - 19 में 25 , 859 हेक्टेयर जमीन पर बने 2544 जंगलों में आग से 3 करोड़ 25 लाख 48 हजार रुपये नुकसान हुआ था. वहीं, इस साल 22 जून तक राज्य के 1011 जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं, जिससे 95 लाख 23 हजार रुपये का वन विभाग को नुकसान हुआ है.
वन विभाग के अतिरिक्त कंजरवेटर पीएल चौहान ने बताया कि आगजनी से ना सिर्फ करोड़ों रुपये की वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, बल्की ऐसी घटनाओं में पशु-पक्षियों के साथ ही इंसानों को भी अपनी जान गवानी पड़ती है. उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में आग पर काबू पाते हुए एक फारेस्ट रेंजर समेत कुल 9 लोगों की जान जा चुकी है.