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प्रदेश को अग्निकांड से हर साल होता है करोड़ों का नुकसान, इन जिलों को हुआ सबसे अधिक नुकसान

प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के 12 में से 9 जिलों के कई जंगलों में आगजनी की घटनाएं अब भी जारी है. आगजनी की वजह से पिछले 3 सालों में 9 लोगों के जान जा चुकी है.

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Published : Jun 29, 2019, 7:02 AM IST

जंगलों में लगी आग

शिमला: प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के 12 में से 9 जिलों के कई जंगलों में आगजनी की घटनाएं अब भी जारी है. आगजनी की वजह से पिछले 3 सालों में 9 लोगों के जान जा चुकी है.

गर्मी के मौसम में प्रदेश के जंगल आग की भेंट चढ़ रहे हैं. राज्य में कई जगहों पर रुक- रुक कर बारिश का दौर जारी है, लेकिन जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा आग की घटनाएं चीड़ के जंगलों में घटित हो रही है. राज्य सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

वहीं, अगर सरकारी आंकड़ों की बात की जाए, तो पिछले पांच साल में राज्य के कई जिलों में आग्निकांड की घटनाओं में इजाफा हुआ है. 2015-16 में कुल, 5, 749 हेक्टेयर जमीन के तहत 672 जंगलों में आग लगी थी, जिसमें 1 करोड़ 34 लाख 77 हजार रुपये की वन संपदा जल्द कर राख हो गयी थी. वहीं, साल 2016 - 17 में 19, 535 हेक्टेयर भूमी के तहत राज्य भर के 1832 जंगलों में आगजनी से 3 करोड़ 50 लाख रूपए की वन संपदा नष्ट हुई थी.

जानकारी देते अतिरिक्त कंजरवेटर पीएल चौहान

इसके अलावा 2017-18 में 9 हजार 408 हेक्टेयर जमीन के तहत 1164 जंगलों में आग से 1 करोड़ 96 लाख 41 हजार की वन संपदा जलकर राख हुई थी. 2018 - 19 में 25 , 859 हेक्टेयर जमीन पर बने 2544 जंगलों में आग से 3 करोड़ 25 लाख 48 हजार रुपये नुकसान हुआ था. वहीं, इस साल 22 जून तक राज्य के 1011 जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं, जिससे 95 लाख 23 हजार रुपये का वन विभाग को नुकसान हुआ है.

वन विभाग के अतिरिक्त कंजरवेटर पीएल चौहान ने बताया कि आगजनी से ना सिर्फ करोड़ों रुपये की वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, बल्की ऐसी घटनाओं में पशु-पक्षियों के साथ ही इंसानों को भी अपनी जान गवानी पड़ती है. उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में आग पर काबू पाते हुए एक फारेस्ट रेंजर समेत कुल 9 लोगों की जान जा चुकी है.

शिमला: प्रदेश के जंगलों में आग लगने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. राज्य के 12 में से 9 जिलों के कई जंगलों में आगजनी की घटनाएं अब भी जारी है. आगजनी की वजह से पिछले 3 सालों में 9 लोगों के जान जा चुकी है.

गर्मी के मौसम में प्रदेश के जंगल आग की भेंट चढ़ रहे हैं. राज्य में कई जगहों पर रुक- रुक कर बारिश का दौर जारी है, लेकिन जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा आग की घटनाएं चीड़ के जंगलों में घटित हो रही है. राज्य सरकार ने आग पर काबू पाने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

वहीं, अगर सरकारी आंकड़ों की बात की जाए, तो पिछले पांच साल में राज्य के कई जिलों में आग्निकांड की घटनाओं में इजाफा हुआ है. 2015-16 में कुल, 5, 749 हेक्टेयर जमीन के तहत 672 जंगलों में आग लगी थी, जिसमें 1 करोड़ 34 लाख 77 हजार रुपये की वन संपदा जल्द कर राख हो गयी थी. वहीं, साल 2016 - 17 में 19, 535 हेक्टेयर भूमी के तहत राज्य भर के 1832 जंगलों में आगजनी से 3 करोड़ 50 लाख रूपए की वन संपदा नष्ट हुई थी.

जानकारी देते अतिरिक्त कंजरवेटर पीएल चौहान

इसके अलावा 2017-18 में 9 हजार 408 हेक्टेयर जमीन के तहत 1164 जंगलों में आग से 1 करोड़ 96 लाख 41 हजार की वन संपदा जलकर राख हुई थी. 2018 - 19 में 25 , 859 हेक्टेयर जमीन पर बने 2544 जंगलों में आग से 3 करोड़ 25 लाख 48 हजार रुपये नुकसान हुआ था. वहीं, इस साल 22 जून तक राज्य के 1011 जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं, जिससे 95 लाख 23 हजार रुपये का वन विभाग को नुकसान हुआ है.

वन विभाग के अतिरिक्त कंजरवेटर पीएल चौहान ने बताया कि आगजनी से ना सिर्फ करोड़ों रुपये की वन संपदा को नुकसान पहुंचता है, बल्की ऐसी घटनाओं में पशु-पक्षियों के साथ ही इंसानों को भी अपनी जान गवानी पड़ती है. उन्होंने बताया कि पिछले तीन सालों में आग पर काबू पाते हुए एक फारेस्ट रेंजर समेत कुल 9 लोगों की जान जा चुकी है.

Intro:हिमाचल प्रदेश में जंगलो में आग का तांडव थमने का नाम नही ले रहा है ! हालंकि हिमाचल में बारिश हो रही है लेकिन जंगल अभी भी धू - धू करके जल रहे हैं। राज्य के 12 में से 9 जिलों के कई जंगलों में आगजनी की घटनाएं अब भी जारी है ।हालांकी वन विभाग और सरकार आग पर काबू पाने का दावा कर रहे हैं लेकिन हिमाचल के जंगलों में भडकी आग थमने का नाम नहीं ले रही है । वहीँ जंगलों में आगजनी की वजह से पिछले 3 सालों में ही 9 लोगों के जान जा चुकी है ।
Body:गर्मी के मौसम के बीच हिमाचल प्रदेश के कीमती जंगल भी आग की भेंट चढ़ रहे हैं ।राज्य में कई जगहों पर रुक रुक कर बारिश का दौर भी जारी बाबजूद इसके जंगलों में आग का तांडव जारी है । सबसे ज़्यादा आघ्नी की घटनाएं क्राज्य के चीड़ के जंगलों में पेश आ रही है ।राज्य सरकार ने आगजनी पर काबू पाने के लिए कई योजनाएं भी शुरू की हैं लेकिन इसका कोई ख़ास फायदा होता नहीं दिख रहा है ।सरकारी आंकड़ों पर नज़र दौडाई जाए तो पिछले पांच सालों में राज्य के कई जिलों में आगजनी की घटनाओं में इजाफा हुआ है .. 2015 - 16 में कुल , 5, 749 हेक्टेयर भूमी के तहत 672 जंगलों में आग लगी थी जिसमें वन सम्पदा की 1 करोड़ , 34 लाख 77 हज़ार रूपए की वन सम्पदा जल्द कर खाख हो गयी थी । साल 2016 - 17 में 19, 535 हेक्टेयर भूमी के तहत राज्य भर के 1832 जंगलों में आगजनी से 3 करोड़ , 50 लाख रूपए की वन सम्पदा नष्ट हुई थी.. 2017 - 18 में 9 हज़ार 408 हेक्टेयर भूमी के तहत 1164 जंगलों में आग ने जबर्दस्त खर बपाते हुए 1 करोड़ 96 लाख 41 हज़ार की वन सम्पदा को बर्बाद कर दिया था ... 2018 - 19 में 25 , 859 हेक्टेयर ज़मीन पर बने 2544 जंगलों में आग ने 3 करोड़ 25 लाख 48 हज़ार रूपए का ज़बरदस्त नुक्सान पहुंचाया था जबकी ओस साल 22 जून तक राज्य के 1011 जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं जिससे अब तक 95 लाख 23 हज़ार रूपए का वन विभाग को नुक्सान हुआ है ।Conclusion:वन विभाग के अतिरिक्त कंजरवेटर पीएल चौहान ने कहा कि आगजनी से ना सिर्फ करोड़ों रूपए की वन सम्पदा को नुक्सान पहुंचता है बल्की ऐसी घटनाओं में पशु पक्षियों के साथ ही इंसानों को भी अपनी जान गवानी पड़ती है । पिछले तीन सालों में ही अब तक आग पर काबू पाते हुए एक फारेस्ट रेंजर समेत कुल 9 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है ।हालांकी वन विभ्हाग अब दावा कररहा है की उसने आगजनी का पता लगाने के अलावा उसपर पर काबू पाने के लिए अधिक संसाधनों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है ।
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