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पानी से भरी होने के बाद भी सूनी पड़ी गोबिंद सागर झील, स्पोर्टस सेंटर बना मैरिज कॉम्पलेक्स - Gobind Sagar

सरकार की बेरूखी के कारण बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में वाटर स्पोर्टस पर विराम लग गया है.लाखों की लागत से बना यह भवन अब सिर्फ मैरिज कॉम्पलेक्स बनकर रह गया है

स्पोर्टस सेंटर बना मैरिज कॉम्पलेक्स
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Published : Aug 27, 2019, 6:00 PM IST

बिलासपुर: प्रदेश सरकार पर्यटन की विकसित करने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जो अनदेखी के कारण पर्यटकों की नजरों से कोसों दूर हैं. कुछ ऐसा ही हाल बिलासपुर की गोबिंदसागर झील का है. यहां वाटर स्पोर्टस की अच्छी संभावनाएं हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां कोई भी वाटर स्पोर्टस इवेंट नहीं हुआ है.

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उत्तरी भारत में बिलासपुर एक ऐसा जिला है जहां पर जल, थल और नभ की खेलें एक साथ होती है. प्रशासन और सरकार की बेरूखी के कारण बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में वाटर स्पोर्टस पर विराम लग गया है. कहने को नगर के लुहणुघाट पर वॉटर स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स भी है, जहां से वाटर स्पोर्टस के इवेंट्स का संचालन होता रहता है.

लाखों की लागत से बना यह भवन अब सिर्फ मैरिज कॉम्पलेक्स बनकर रह गया है. वहीं, यहां पर लाखों की लागत से रखे गए मोटर वोट, काइक वोट और वाटर स्पोर्टस के दूसरे उपकरण धूल फांक रहे हैं. जिसकी देख-रेख करना विभाग भूल गया है.

ये भी पढ़ेें: पराला मंडी में बागवानों से मिले नरेंद्र बरागटा, कांग्रेस पर साधा निशाना

गौरतलब है कि यहां पर 2007 में काइकिंग एंड क्नोइंग नेशनल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. जिसमें यहां पर दर्जनों खिलाड़ी पूरे भारत से आए हुए थे. वहीं, हैरान करने की बात है कि गोबिंद सागर झील पूरे साल पानी से भरी रहती है. यहां पर नेशनल स्तर की प्रतियोगिता हर साल आयोजित करवाई जा सकती है, लेकिन प्रशासन की इस ओर कोई रूची नही हैं.

काइकिंग एंड क्नोईंग वाटस स्पोर्टस एसोसिएशन के सचिव इशान अख्तर ने कहा कि बिलासपुर में 75 किलोमीटर तक यह गोबिंदसागर झील फैली हुई है. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि भविष्य में वॉटर स्पोर्टस गतिविधियां यहां करवाई जाएं और इससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.

बिलासपुर: प्रदेश सरकार पर्यटन की विकसित करने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जो अनदेखी के कारण पर्यटकों की नजरों से कोसों दूर हैं. कुछ ऐसा ही हाल बिलासपुर की गोबिंदसागर झील का है. यहां वाटर स्पोर्टस की अच्छी संभावनाएं हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां कोई भी वाटर स्पोर्टस इवेंट नहीं हुआ है.

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उत्तरी भारत में बिलासपुर एक ऐसा जिला है जहां पर जल, थल और नभ की खेलें एक साथ होती है. प्रशासन और सरकार की बेरूखी के कारण बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में वाटर स्पोर्टस पर विराम लग गया है. कहने को नगर के लुहणुघाट पर वॉटर स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स भी है, जहां से वाटर स्पोर्टस के इवेंट्स का संचालन होता रहता है.

लाखों की लागत से बना यह भवन अब सिर्फ मैरिज कॉम्पलेक्स बनकर रह गया है. वहीं, यहां पर लाखों की लागत से रखे गए मोटर वोट, काइक वोट और वाटर स्पोर्टस के दूसरे उपकरण धूल फांक रहे हैं. जिसकी देख-रेख करना विभाग भूल गया है.

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गौरतलब है कि यहां पर 2007 में काइकिंग एंड क्नोइंग नेशनल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. जिसमें यहां पर दर्जनों खिलाड़ी पूरे भारत से आए हुए थे. वहीं, हैरान करने की बात है कि गोबिंद सागर झील पूरे साल पानी से भरी रहती है. यहां पर नेशनल स्तर की प्रतियोगिता हर साल आयोजित करवाई जा सकती है, लेकिन प्रशासन की इस ओर कोई रूची नही हैं.

काइकिंग एंड क्नोईंग वाटस स्पोर्टस एसोसिएशन के सचिव इशान अख्तर ने कहा कि बिलासपुर में 75 किलोमीटर तक यह गोबिंदसागर झील फैली हुई है. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि भविष्य में वॉटर स्पोर्टस गतिविधियां यहां करवाई जाएं और इससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.

सुविधाओं के बावजूद बिलासपुर में जलक्रीडाओं पर लगा ग्रहण
जल, थल और नभ क्रीडाओं का संगम है बिलासपुर
पिछले एक दशक से सरकार ने नहीं ली है सुध
शादी समारोह तक सीमित रह गया बिलासपुर का वाटर स्पोर्टसं

शुभम राही
बिलासपुर। 
हिमाचल प्रदेश सरकार पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के लिए नए आयाम स्थापित कर रही है। किंतु कुछ स्थल ऐसे हैं जो अनदेखी के कारण पर्यटकों की नजरों से कोसों दूर है। जी, हां यहां बात हो रही है बिलासपुर में अथाह जल से भरी गोबिंदसागर झील की। यहां पर पिछले एक दशक से कोई भी वॉटर स्पोर्टस इवेंट नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि उत्तरी भारत में बिलासपुर एक ऐसा जिला है जहां पर जल, थल और नभ की खेलें एक साथ होती है। प्रशासन और सरकार की बेरूखी के कारण बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में पानी की खेलों पर पूर्णतया विराम लग गया है। कहने को नगर के लुहणुघाट पर वॉटर स्पोर्टस कांम्पलेक्स भी है, जहां से पानी की खेलों के इवेंट्स का संचालन होता रहता है। लाखों की लागत से बना यह भवन अब सिर्फ मैरिज कॉम्पलेक्स बनकर रह गया है। वहीं, यहां पर लाखों की लागत से रखे गए मोटर वोट, काइकिंग व अन्य वाटर स्पोर्टस के उपकरण धूल फांक  रहे है। जिसकी देखरेख करना विभाग भूल गया है। गौरतलब है कि यहां पर 2007 में काइकिंग एंड क्नोइंग नेशनल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। जिसमें यहां पर दर्जनों खिलाड़ी पूरे भारत से आए हुए थे। वहीं, हैरान करने की बात है कि यहां पर हर साल पानी पूरे यौवन के साथ चढ़ता है। जिसके चलते यहां पर नेशनल स्तर की प्रतियोगिता हर साल आयोजित करवाई जा सकती है। लेकिन प्रशासन की इस ओर कोई रूची न होने के चलते आज के समय में यह सिर्फ
शादी समारोह के लिए ही बनकर रह गया है।

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह करता हूं कि बिलासपुर में ं75 किलोमीटर तक यह गोबिंदसागर झील फैली हुई है। भविष्य में वॉटर स्पोर्टस गतिविधियों को करवाई जाए और इससे पर्यटक को बढ़ावा मिल सके।
इशान अख्तर, काइकिंग एंड क्नोईंग वाटस स्पोर्टस एसोसिएशन सचिव बिलासपुर।
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