बिलासपुर: प्रदेश सरकार पर्यटन की विकसित करने के लिए कई प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ स्थल ऐसे भी हैं जो अनदेखी के कारण पर्यटकों की नजरों से कोसों दूर हैं. कुछ ऐसा ही हाल बिलासपुर की गोबिंदसागर झील का है. यहां वाटर स्पोर्टस की अच्छी संभावनाएं हैं, लेकिन पिछले एक दशक से यहां कोई भी वाटर स्पोर्टस इवेंट नहीं हुआ है.
उत्तरी भारत में बिलासपुर एक ऐसा जिला है जहां पर जल, थल और नभ की खेलें एक साथ होती है. प्रशासन और सरकार की बेरूखी के कारण बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में वाटर स्पोर्टस पर विराम लग गया है. कहने को नगर के लुहणुघाट पर वॉटर स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स भी है, जहां से वाटर स्पोर्टस के इवेंट्स का संचालन होता रहता है.
लाखों की लागत से बना यह भवन अब सिर्फ मैरिज कॉम्पलेक्स बनकर रह गया है. वहीं, यहां पर लाखों की लागत से रखे गए मोटर वोट, काइक वोट और वाटर स्पोर्टस के दूसरे उपकरण धूल फांक रहे हैं. जिसकी देख-रेख करना विभाग भूल गया है.
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गौरतलब है कि यहां पर 2007 में काइकिंग एंड क्नोइंग नेशनल प्रतियोगिता आयोजित की गई थी. जिसमें यहां पर दर्जनों खिलाड़ी पूरे भारत से आए हुए थे. वहीं, हैरान करने की बात है कि गोबिंद सागर झील पूरे साल पानी से भरी रहती है. यहां पर नेशनल स्तर की प्रतियोगिता हर साल आयोजित करवाई जा सकती है, लेकिन प्रशासन की इस ओर कोई रूची नही हैं.
काइकिंग एंड क्नोईंग वाटस स्पोर्टस एसोसिएशन के सचिव इशान अख्तर ने कहा कि बिलासपुर में 75 किलोमीटर तक यह गोबिंदसागर झील फैली हुई है. उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से आग्रह किया कि भविष्य में वॉटर स्पोर्टस गतिविधियां यहां करवाई जाएं और इससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके.