बिलासपुरः राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम कर चुकी बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में पिछले कुछ सालों से निरंतर घट रहे मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार अब इसकी साइंटिफिक स्टडी करवाने जा रही है. इसके लिए कोलकत्ता के सेंटर इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट शिफरी के साथ करार हुआ है. शिफरी की टीम दिसंबर माह के अंत में बिलासपुर आएगी और स्टडी शुरू करेगी. स्टडी और रिसर्च के लिए शिफरी के साथ सरकार का एक साल के लिए 22 लाख का एमओयू साइन हुआ है.
कोरोना के कारण दौरे में हुई देरी
शिफरी की एक्सपर्ट टीम पहले अक्तूबर अंत या नवंबर माह में सर्वे के लिए हिमाचल आने वाली थी लेकिन कोरोना संकट के चलते टीम का दौरा टल गया था. मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता टीम के दौरे के लिए लगातार शिफरी के आला अधिकारियों के साथ साथ संपर्क बनाए हुए हैं.
उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही शिफरी के डायरेक्टर से बात की है. इसी महीने के अंत में विशेषज्ञों और रिसर्च स्कॉलर की टीम बिलासपुर आएगी और घटते मत्स्य उत्पादन पर स्टडी करेगी.
मछली उत्पादन 400 मीट्रिक टन पार होने की उम्मीद
इस स्टडी के लिए कुछ विशेषज्ञ और स्कॉलर यहीं पर रहकर रिसर्च भी करेंगे. उन्होंने बताया कि गोबिंदसागर झील में हजारों मछुआरों की रोजी-रोटी चलती है और उत्पादन घटने के कारण उनकी रोजी पर भी असर पड़ा है. झील में उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग ने बड़े आकार का बीज डालना शुरू किया है.
झील में 70 से 100 एमएम साइज का मछली बीज डालना शुरू किया गया है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. इस सीजन में अब तक झील में 50 मीट्रीक टन मत्स्य उत्पादन हो चुका है और यह आंकड़ा सीजन खत्म होने तक 100 मीट्रीक टन पार होने की संभावना है. इस वर्ष झील में मछली का उत्पादन 400 मीट्रीक टन क्रॉस कर जाएगा.
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