ETV Bharat / state

गोबिंदसागर झील में साइंटिफिक स्टडी से बढ़ेगा मछली उत्पादन, शिफरी से करार

बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में पिछले कुछ सालों से निरंतर घट रहे मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार अब इसकी साइंटिफिक स्टडी करवाने जा रही है. स्टडी और रिसर्च के लिए शिफरी के साथ सरकार का एक साल के लिए 22 लाख का एमओयू साइन हुआ है. इसी महीने के अंत में विशेषज्ञों और रिसर्च स्कॉलर की टीम बिलासपुर आएगी और घटते मत्स्य उत्पादन पर स्टडी करेगी.

author img

By

Published : Dec 17, 2020, 8:44 PM IST

Scientific study will increase fish production in Gobindsagar lake
गोबिंदसागर झील में साइंटिफिक स्टडी से बढ़ेगा मछली उत्पादन

बिलासपुरः राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम कर चुकी बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में पिछले कुछ सालों से निरंतर घट रहे मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार अब इसकी साइंटिफिक स्टडी करवाने जा रही है. इसके लिए कोलकत्ता के सेंटर इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट शिफरी के साथ करार हुआ है. शिफरी की टीम दिसंबर माह के अंत में बिलासपुर आएगी और स्टडी शुरू करेगी. स्टडी और रिसर्च के लिए शिफरी के साथ सरकार का एक साल के लिए 22 लाख का एमओयू साइन हुआ है.

कोरोना के कारण दौरे में हुई देरी

शिफरी की एक्सपर्ट टीम पहले अक्तूबर अंत या नवंबर माह में सर्वे के लिए हिमाचल आने वाली थी लेकिन कोरोना संकट के चलते टीम का दौरा टल गया था. मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता टीम के दौरे के लिए लगातार शिफरी के आला अधिकारियों के साथ साथ संपर्क बनाए हुए हैं.

उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही शिफरी के डायरेक्टर से बात की है. इसी महीने के अंत में विशेषज्ञों और रिसर्च स्कॉलर की टीम बिलासपुर आएगी और घटते मत्स्य उत्पादन पर स्टडी करेगी.

मछली उत्पादन 400 मीट्रिक टन पार होने की उम्मीद

इस स्टडी के लिए कुछ विशेषज्ञ और स्कॉलर यहीं पर रहकर रिसर्च भी करेंगे. उन्होंने बताया कि गोबिंदसागर झील में हजारों मछुआरों की रोजी-रोटी चलती है और उत्पादन घटने के कारण उनकी रोजी पर भी असर पड़ा है. झील में उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग ने बड़े आकार का बीज डालना शुरू किया है.

झील में 70 से 100 एमएम साइज का मछली बीज डालना शुरू किया गया है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. इस सीजन में अब तक झील में 50 मीट्रीक टन मत्स्य उत्पादन हो चुका है और यह आंकड़ा सीजन खत्म होने तक 100 मीट्रीक टन पार होने की संभावना है. इस वर्ष झील में मछली का उत्पादन 400 मीट्रीक टन क्रॉस कर जाएगा.

ये भी पढ़ेंः बीजेपी कार्यालय से जारी किया गया पंचायत रोस्टर: कुलदीप सिंह राठौर

बिलासपुरः राष्ट्रीय स्तर पर पहचान कायम कर चुकी बिलासपुर की गोबिंदसागर झील में पिछले कुछ सालों से निरंतर घट रहे मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार अब इसकी साइंटिफिक स्टडी करवाने जा रही है. इसके लिए कोलकत्ता के सेंटर इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट शिफरी के साथ करार हुआ है. शिफरी की टीम दिसंबर माह के अंत में बिलासपुर आएगी और स्टडी शुरू करेगी. स्टडी और रिसर्च के लिए शिफरी के साथ सरकार का एक साल के लिए 22 लाख का एमओयू साइन हुआ है.

कोरोना के कारण दौरे में हुई देरी

शिफरी की एक्सपर्ट टीम पहले अक्तूबर अंत या नवंबर माह में सर्वे के लिए हिमाचल आने वाली थी लेकिन कोरोना संकट के चलते टीम का दौरा टल गया था. मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता टीम के दौरे के लिए लगातार शिफरी के आला अधिकारियों के साथ साथ संपर्क बनाए हुए हैं.

उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ही शिफरी के डायरेक्टर से बात की है. इसी महीने के अंत में विशेषज्ञों और रिसर्च स्कॉलर की टीम बिलासपुर आएगी और घटते मत्स्य उत्पादन पर स्टडी करेगी.

मछली उत्पादन 400 मीट्रिक टन पार होने की उम्मीद

इस स्टडी के लिए कुछ विशेषज्ञ और स्कॉलर यहीं पर रहकर रिसर्च भी करेंगे. उन्होंने बताया कि गोबिंदसागर झील में हजारों मछुआरों की रोजी-रोटी चलती है और उत्पादन घटने के कारण उनकी रोजी पर भी असर पड़ा है. झील में उत्पादन बढ़ाने के लिए मत्स्य विभाग ने बड़े आकार का बीज डालना शुरू किया है.

झील में 70 से 100 एमएम साइज का मछली बीज डालना शुरू किया गया है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. इस सीजन में अब तक झील में 50 मीट्रीक टन मत्स्य उत्पादन हो चुका है और यह आंकड़ा सीजन खत्म होने तक 100 मीट्रीक टन पार होने की संभावना है. इस वर्ष झील में मछली का उत्पादन 400 मीट्रीक टन क्रॉस कर जाएगा.

ये भी पढ़ेंः बीजेपी कार्यालय से जारी किया गया पंचायत रोस्टर: कुलदीप सिंह राठौर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.