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आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा ये गांव, न एंबुलेंस न मिली पेयजल सुविधा - कैंथघाट-सिद्धसूह-श्मशान घाट

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने खुद अपने पैसे एकत्रित करके दो दिन पहले ही कच्ची सड़क को ठीक कराया है. कच्ची सड़क होने के कारण गांव सलोआ तक एम्बुलेंस नहीं आ रही है. जिस कारण गर्भवती महिला व बीमार को अस्पताल पहुंचाने में चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

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Published : Apr 8, 2019, 1:24 PM IST

बिलासपुर: जिला बिलासपुर के नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सलोआ गांव आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. जिसके चलते ग्रामीणों ने अब तक रही सभी सरकारों के खिलाफ गहरा रोष व्याप्त है.

bilaspur, Road and water problem in Saloha village of Bilaspur
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गुस्साए ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता उनसे वोट मांगने आते हैं, लेकिन बाद में सभी वायदे भूल जाते हैं. अबकी बार जनता द्वारा सभी दलों के नेताओं को सबक सिखाया जाएगा. नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र के सलोआ गांव के लिये कई साल पहले पंचायत द्वारा कच्ची सम्पर्क सड़क बनाई गई थी जो आज भी उसी हालत में दिखाई पड़ती हैं.

सलोआ गांव के ग्रामीणों ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके गांव में सिर्फ एक हैंडपम्प लगा है, जो गर्मी के मौसम में हर बार खराब हो जाता है. यही हाल प्राकृतिक जल स्रोत का है. ग्रामीणों का कहना है कि पीने के पानी के लिये उन्हें एकमात्र बाबड़ी पर निर्भर रहना पड़ता है. गर्मी के मौसम में अब ये बाबड़ी भी सूखने शुरू हो गई है.

ग्रामीणों का कहना है कि हालांकि उनके समीप सिधसूह में एक मिडल स्कूल की व्यवस्था हिमाचल सरकार द्वारा की गई है, लेकिन आठवीं के बाद उच्च शिक्षा के लिये उनके बच्चों व लड़कियों को पढ़ने के लिये दूर-दराज जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है.

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने खुद अपने पैसे एकत्रित करके दो दिन पहले ही कच्ची सड़क को ठीक कराया है. कच्ची सड़क होने के कारण गांव सलोआ तक एम्बुलेंस नहीं आ रही है. जिस कारण गर्भवती महिला व बीमार को अस्पताल पहुंचाने में चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

वीडियो

ग्रामीणों का कहना है कि कैंथघाट-सिद्धसूह-श्मशान घाट तक जाने वाली उक्त तीन किलोमीटर सड़क कच्ची होने के कारण अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बिलासपुर: जिला बिलासपुर के नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सलोआ गांव आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है. जिसके चलते ग्रामीणों ने अब तक रही सभी सरकारों के खिलाफ गहरा रोष व्याप्त है.

bilaspur, Road and water problem in Saloha village of Bilaspur
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गुस्साए ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता उनसे वोट मांगने आते हैं, लेकिन बाद में सभी वायदे भूल जाते हैं. अबकी बार जनता द्वारा सभी दलों के नेताओं को सबक सिखाया जाएगा. नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र के सलोआ गांव के लिये कई साल पहले पंचायत द्वारा कच्ची सम्पर्क सड़क बनाई गई थी जो आज भी उसी हालत में दिखाई पड़ती हैं.

सलोआ गांव के ग्रामीणों ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके गांव में सिर्फ एक हैंडपम्प लगा है, जो गर्मी के मौसम में हर बार खराब हो जाता है. यही हाल प्राकृतिक जल स्रोत का है. ग्रामीणों का कहना है कि पीने के पानी के लिये उन्हें एकमात्र बाबड़ी पर निर्भर रहना पड़ता है. गर्मी के मौसम में अब ये बाबड़ी भी सूखने शुरू हो गई है.

ग्रामीणों का कहना है कि हालांकि उनके समीप सिधसूह में एक मिडल स्कूल की व्यवस्था हिमाचल सरकार द्वारा की गई है, लेकिन आठवीं के बाद उच्च शिक्षा के लिये उनके बच्चों व लड़कियों को पढ़ने के लिये दूर-दराज जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है.

ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने खुद अपने पैसे एकत्रित करके दो दिन पहले ही कच्ची सड़क को ठीक कराया है. कच्ची सड़क होने के कारण गांव सलोआ तक एम्बुलेंस नहीं आ रही है. जिस कारण गर्भवती महिला व बीमार को अस्पताल पहुंचाने में चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है.

वीडियो

ग्रामीणों का कहना है कि कैंथघाट-सिद्धसूह-श्मशान घाट तक जाने वाली उक्त तीन किलोमीटर सड़क कच्ची होने के कारण अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


---------- Forwarded message ---------
From: bilaspur news <subhashh2@gmail.com>
Date: Mon, Apr 8, 2019, 11:04 AM
Subject: नयनादेवी इलाके के सलोआ गांव के ग्रामीणों में सरकार के ख़िलाफ़ रोष। कच्ची व बदहाल सड़क पर नहीं आती एम्बुलेंस। पेयजल स्रोत बाबड़ी सूखे। गांव में सिर्फ एक हैंडपम्
To: <hpdesk@etvbharat.com>, <rajneeshkumar@etvbharat.com>



 
 जिला बिलासपुर का नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सलोआ गांव आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहा है। जिसके चलते ग्रामीणों ने अब तक रही सभी सरकारों के ख़िलाफ़ गहरा रोष व्याप्त है। गुस्साये ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता उनसे वोट मांगने आते है लेकिन बाद में सभी वायदे भूल जाते हैं। अब की बार जनता सभी दलों के नेताओं को सबक सिखाया जायेगा।
              क़ाबिलेगौर बात यह है कि नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र के सलोआ गांव के लिये कई साल पहले पंचायत द्वारा कच्ची सम्पर्क सड़क बनाई गई थी जो आज भी उसी हालत में दिखाई पड़ती हैं। उक्त व्यवस्था के चलते उक्त सड़क पर गाड़ी नहीं सिर्फ बच्चों की घोड़ागाड़ी चलती है। जैसा कि आप वीडियो  में अच्छी तरह से देख सकते हो।
    सलोआ गांव के ग्रामीणों बुजुर्ग ब्रह्मानन्द शर्मा व हरिकृष्ण, तथा विजय कुमार शर्मा, साधू राम, आशा देवी, रमेश चंद, चरणसिंह उर्फ लक्की राणा,अशोक कुमार, नीतीश राणा व शशिपाल ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके गांव में सिर्फ एक हैंडपम्प लगा है। जो गर्मी के मौसम में हर बार ज़बाब देने लगता है। यही हाल प्राकृतिक जल स्रोत का है। ग्रामीणों का कहना है कि पीने के पानी के लिये उन्हें एकमात्र बाबड़ी पर निर्भर रहना पड़ता हैं। गर्मी के मौसम में अब ये बाबड़ी भी सूखने शुरू हो गई है। 
   सलोआ गांव के उपरोक्त ग्रामीणों का कहना है कि हालांकि उनके समीप सिधसूह में एक मिडल स्कूल की व्यवस्था हिमाचल सरकार द्वारा की गई है। लेकिन आठवीं के बाद उच्च शिक्षा के लिये उनके बच्चों व लड़कियों को पढ़ने के लिये दूर-दराज जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है।
   ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने खुद अपने पैसे एकत्रित करके दो दिन पहले ही कच्ची सड़क को ठीक कराया है।  कच्ची सड़क होने के कारण गांव सलोआ तक एम्बुलेंस नहीं आ रही है। जिस कारण गर्भवती महिला व बीमार को अस्पताल पहुंचाने में चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है।
   ग्रामीणों का कहना है कि कैंथघाट-सिद्धसूह-श्मशान घाट तक जाने वाली उक्त तीन किलोमीटर सड़क कच्ची होने के कारण अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिये गुस्साये ग्रामीण का नेताओ के प्रति भारी आक्रोश 
"""फोटो फाईल:---(1)सलोआ गांव की तीन किलोमीटर बदहाल कच्ची सम्पर्क सड़क।
(2) सलोआ गांव की बदहाल पेयजल स्रोत में पानी पीते बच्चे।
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