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इस हॉस्टल के खिलाड़ी युवाओं के लिए बन रहे मिसाल, असुविधा के बावजूद देश-दुनिया में चमका रहे नाम - साई हॉस्टल बिलासपुर

वर्ष 1987 में खुले साई के इस प्रशिक्षण केंद्र ने कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं. हालांकि खेल छात्रावास का इसकी क्षमता के अनुसार विस्तार नहीं हो पाया, लेकिन अब साई ने छात्रावास को विस्तार देने का पूरा खाका तैयार कर लिया है. इसी के साथ जयपाल चंदेल ने बताया कि खेल और खिलाड़ियों के भविष्य को तराश रहे भारतीय खेल प्राधिकरण के बिलासपुर छात्रावास का दायरा बढ़ेगा.

साई होस्टल बिलासपुर
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Published : Oct 18, 2019, 8:02 PM IST

बिलासपुर: साई हॉस्टल बिलासपुर के पास अपना खेल का मैदान, इंडोर व सिंथेटिक ट्रैक न होने के बावजूद भी यहां के खिलाड़ी देश दुनिया में नाम चमका रहे हैं. आए साल इस हॉस्टल से कोई न कोई खिलाड़ी देश-विदेश में खेलने के लिए जाता है. वहीं, भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान अजय ठाकुर ने भी इसी हॉस्टल से ट्रेनिंग ली है.

ऊना जिला के विशाल भारद्वाज ने भी अपनी जगह बनाई है, लेकिन भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रावास प्रभारी व कब्बडी कोच जयपाल चंदेल का अहम योगदान रहा है. जयपाल चंदेल का कहना है कि वर्ष 2013 में विशाल ने बिलासपुर के साई खेल छात्रावास में जब दाखिला लिया था, उस समय ही उसमें खेल भावना कूट कूटकर भरी हुई थी. उसे देखकर उस समय भी यही लगता था कि यह एक दिन बुलंदियों के शिखर तक पहुंचेगा. मैदान पर भी वह अन्य खिलाड़ियों की तुलना में कुछ हटकर करने की चाहत रखता था. इसी चाहत ने आज विशाल को टीम इंडिया में जगह पक्की करने में कामयाबी दिलाई है, जो सही मायने में उसका हकदार भी था.

वीडियो.

गौर हो कि वर्ष 1987 में खुले साई के इस प्रशिक्षण केंद्र ने कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं. हालांकि खेल छात्रावास का इसकी क्षमता के अनुसार विस्तार नहीं हो पाया, लेकिन अब साई ने छात्रावास को विस्तार देने का पूरा खाका तैयार कर लिया है. इसी के साथ जयपाल चंदेल ने बताया कि खेल और खिलाड़ियों के भविष्य को तराश रहे भारतीय खेल प्राधिकरण के बिलासपुर छात्रावास का दायरा बढ़ेगा. अब लुहनु स्थित राज्य खेल छात्रावास के पास नए व बड़े भवन का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए भूमि का चयन भी कर लिया गया है.

आधारभूत ढांचे की कमी पर शिफ्ट हुआ था एथेलेटिक्स

बता दें कि छात्रावास में इससे पहले एथेलेटिक्स खेल के खिलाड़ियों का प्रशिक्षण भी होता था, लेकिन आधारभूत ढांचे की कमी के चलते इसे यहां से शिफ्ट कर दिया गया था. नए भवन के निर्माण के बाद छात्रावास में फिर से एथेलेटिक्स खेल को शुरू किया जा सकता है.

क्या कहते हैं बॉक्सिंग के कोच विजय नेगी

बॉक्सिंग के कोच विजय नेगी का कहना है कि बिलासपुर से अभी तक 2 इंटरनेशनल और 25 नेशनल प्लेयर बॉक्सिंग खेल चुके हैं. उनका मानना है कि बिलासपुर का जिला स्तरीय प्रतियोगिता होनी चाहिए. क्योंकि इससे खिलाड़ियों के भीतर प्रतियोगिता की भावना पैदा होती है. बिलासपुर हॉस्टल में खिलाड़ियों को बॉक्सिंग के लिए हर एक दाव पेंच सिखाए जाते हैं.

वहीं, साई द्वारा शुरू की गई 'आओ और खेलो योजना' के तहत भी बाहरी खिलाड़ियों को निशुल्क कोचिंग दी जाती है. इस योजना में खिलाड़ियों को बॉलीबॉल, कबड्डी और बॉक्सिंग की बारीकियों को सिखाया जाता है. यूरोप में आयोजित बॉक्सिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल प्राप्त कर चुके नवराज चौहान ने बताया कि यहां पर उन्हें अच्छा प्रशिक्षण दिया जाता है. इसी के साथ वह आगे भी ओर चैम्पियनशिप के लिए तैयारी कर रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं ये खिलाड़ी

  • कबड्डी - अजय ठाकुर, रवि शर्मा, राकेश चंदेल, विशाल भारद्वाज, रोहित राणा, शिवम, हेमंत, हिमंत ठाकुर
  • वॉलीबॉल- अजय पटियाल, दलीप, मनोज, सुरजीत
  • बॉक्सिंग- शिव चौदरी, अनुराग शर्मा, गीतानंद, मनीश चौदरी
  • एथेलेटिक्स- कमलेश कुमारी, राकेश कुमारी, बनिता ठाकुर, अमन सैनी

बिलासपुर: साई हॉस्टल बिलासपुर के पास अपना खेल का मैदान, इंडोर व सिंथेटिक ट्रैक न होने के बावजूद भी यहां के खिलाड़ी देश दुनिया में नाम चमका रहे हैं. आए साल इस हॉस्टल से कोई न कोई खिलाड़ी देश-विदेश में खेलने के लिए जाता है. वहीं, भारतीय कबड्डी टीम के कप्तान अजय ठाकुर ने भी इसी हॉस्टल से ट्रेनिंग ली है.

ऊना जिला के विशाल भारद्वाज ने भी अपनी जगह बनाई है, लेकिन भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रावास प्रभारी व कब्बडी कोच जयपाल चंदेल का अहम योगदान रहा है. जयपाल चंदेल का कहना है कि वर्ष 2013 में विशाल ने बिलासपुर के साई खेल छात्रावास में जब दाखिला लिया था, उस समय ही उसमें खेल भावना कूट कूटकर भरी हुई थी. उसे देखकर उस समय भी यही लगता था कि यह एक दिन बुलंदियों के शिखर तक पहुंचेगा. मैदान पर भी वह अन्य खिलाड़ियों की तुलना में कुछ हटकर करने की चाहत रखता था. इसी चाहत ने आज विशाल को टीम इंडिया में जगह पक्की करने में कामयाबी दिलाई है, जो सही मायने में उसका हकदार भी था.

वीडियो.

गौर हो कि वर्ष 1987 में खुले साई के इस प्रशिक्षण केंद्र ने कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए हैं. हालांकि खेल छात्रावास का इसकी क्षमता के अनुसार विस्तार नहीं हो पाया, लेकिन अब साई ने छात्रावास को विस्तार देने का पूरा खाका तैयार कर लिया है. इसी के साथ जयपाल चंदेल ने बताया कि खेल और खिलाड़ियों के भविष्य को तराश रहे भारतीय खेल प्राधिकरण के बिलासपुर छात्रावास का दायरा बढ़ेगा. अब लुहनु स्थित राज्य खेल छात्रावास के पास नए व बड़े भवन का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए भूमि का चयन भी कर लिया गया है.

आधारभूत ढांचे की कमी पर शिफ्ट हुआ था एथेलेटिक्स

बता दें कि छात्रावास में इससे पहले एथेलेटिक्स खेल के खिलाड़ियों का प्रशिक्षण भी होता था, लेकिन आधारभूत ढांचे की कमी के चलते इसे यहां से शिफ्ट कर दिया गया था. नए भवन के निर्माण के बाद छात्रावास में फिर से एथेलेटिक्स खेल को शुरू किया जा सकता है.

क्या कहते हैं बॉक्सिंग के कोच विजय नेगी

बॉक्सिंग के कोच विजय नेगी का कहना है कि बिलासपुर से अभी तक 2 इंटरनेशनल और 25 नेशनल प्लेयर बॉक्सिंग खेल चुके हैं. उनका मानना है कि बिलासपुर का जिला स्तरीय प्रतियोगिता होनी चाहिए. क्योंकि इससे खिलाड़ियों के भीतर प्रतियोगिता की भावना पैदा होती है. बिलासपुर हॉस्टल में खिलाड़ियों को बॉक्सिंग के लिए हर एक दाव पेंच सिखाए जाते हैं.

वहीं, साई द्वारा शुरू की गई 'आओ और खेलो योजना' के तहत भी बाहरी खिलाड़ियों को निशुल्क कोचिंग दी जाती है. इस योजना में खिलाड़ियों को बॉलीबॉल, कबड्डी और बॉक्सिंग की बारीकियों को सिखाया जाता है. यूरोप में आयोजित बॉक्सिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल प्राप्त कर चुके नवराज चौहान ने बताया कि यहां पर उन्हें अच्छा प्रशिक्षण दिया जाता है. इसी के साथ वह आगे भी ओर चैम्पियनशिप के लिए तैयारी कर रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं ये खिलाड़ी

  • कबड्डी - अजय ठाकुर, रवि शर्मा, राकेश चंदेल, विशाल भारद्वाज, रोहित राणा, शिवम, हेमंत, हिमंत ठाकुर
  • वॉलीबॉल- अजय पटियाल, दलीप, मनोज, सुरजीत
  • बॉक्सिंग- शिव चौदरी, अनुराग शर्मा, गीतानंद, मनीश चौदरी
  • एथेलेटिक्स- कमलेश कुमारी, राकेश कुमारी, बनिता ठाकुर, अमन सैनी
Intro:
-देश दुनिया मे साईं की धाक
-असुविधाओं के अभाव होने पर भी खिलाड़ियों के नही रुके कदम
-कंपीटिशन कम होने के बावजूद भी साईं के खिलाड़ी हमेशा अव्वल
-नही है अपना इंडोर, सिंथेटिक और मैदान

शुभम राही
बिलासपुर।

साईं होस्टल बिलासपुर के पास अपना खेल का मैदान, इंडोर व सिंथेटिक ट्रैक न होने के बावजूद भी यहां के खिलाड़ी देश दुनिया मे नाम चमका रहे है। आए साल इस होस्टल से कोई न कोई खिलाड़ी देश विदेश में खेलने के लिए जाता है। वहीं, भारतीय कब्बडी टीम के कप्तान अजय ठाकुर भी इस होस्टल की पौध है। इसी के साथ ऊना जिला के विशाल भारद्वाज ने भी अपनी जगह बनाई है। लेकिन भारतीय खेल प्राधिकरण के खेल छात्रवास प्रभारी व कब्बडी कोच जयपाल चंदेल का अहम योगदान रहा है। जयपाल चंदेल कहते है कि वर्ष 2013 में विशाल ने बिलासपुर के साईं खेल छात्रावास में जब दाखिला लिया था, उस समय ही उसमें खेल भावना कूट कूटकर भरी हुई थी। उसे देखकर उस समय भी यही लगता था कि यह एक दिन बुलंदियों के शिखर तक पहुंचेगा। मैदान पर भी वह अन्य खिलाड़ियों की तुलना में कुछ हटकर करने की चाहत रखता था। इसी हटकर करने की चाहत ने आज विशाल को टीम इंडिया में जगह पक्की करने में कामयाबी दिलाई है, जो सही मायने में उसका हकदार भी था।
गौर हो कि वर्ष 1987 में खुले साईं के इस प्रशिक्षण केंद्र ने कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिए है। अलबत्ता खेल छात्रावास का इसकी क्षमता के अनुरूप विस्तार नही हो पाया। लेकिन अब साई ने छात्रावास को विस्तार देने का पूरा खाका तैयार कर लिया है। इसी के साथ जयपाल चंदेल ने बताया कि खेल और खिलाड़ियों के भविष्य को तराश रहे भारतीय खेल प्राधिकरण के बिलासपुर छात्रावास का दायरा बढेगा। शहर की मुख्य मार्किट स्थित साई के पुराने छात्रावास के साथ साई द्वारा अब लुहनु स्थित राज्य खेल छात्रावास के पास नए व बड़े भवन का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए भूमि का चयन कर लिया गया है।




Body:आधारभूत ढांचे की कमी पर शिफ्ट हुआ था एथेलेटिक्स
बॉक्स...
छात्रावास में इससे पहले एथेलेटिक्स खेल के खिलाड़ियों का प्रशिक्षण भी होता था। लेकिन आधारभूत ढांचे की कमी कर चलते इसे यहां से शिफ्ट कर दिया गया था। नए भवन के निर्माण के बाद छात्रवास में फिर से एथेलेटिक्स खेल को शुरू किया जा सकता है।

क्या कहते है कि बॉक्सिंग के कोच विजय नेगी
बॉक्स...
बॉक्सिंग के कोच विजय नेगी कहते है कि बिलासपुर से अभी तक 2 इंटरनेशनल और 25 नेशनल प्लेयर बॉक्सिंग खेल चुके है। उनका मानना है कि बिलासपुर का जिला स्तरीय प्रतियोगिता होनी चाहिए। क्योंकि इससे खिलाड़ियो के भीतर कंपीटिशन कि भावना पैदा होती है। बिलासपुर होस्टल में खिलाड़ियों को बॉक्सिंग के लिए हर एक दाव पेंच सिखाए जाते है। वही, साई द्वारा शुरू की गई आओ और खेलो योजना के तहत भी बाहरी खिलाड़ियों को निशल्क कोचिंग दी जाती है। इस योजना में खिलाड़ियों बॉलीबॉल, कब्बडी और बॉक्सिंग की बारीकिया को सिखाया जाता है।

यह खिलाड़ी खेल चुके है इंटरनेशनल
बॉक्स...
अजय ठाकुर - कबड्डी
रवि शर्मा। - कब्बडी
राकेश चंदेल - कब्बडी
विशाल भारद्वाज- कब्बडी
रोहित राणा - कब्बडी
शिवम। - कब्बडी
हेमंत - कब्बडी
हिमंत ठाकुर- कब्बडी
अजय पटियाल- बॉलीवाल
दलीप - बॉलीवाल
मनोज - बॉलीवाल
सुरजीत-बॉलीवाल
शिव चौदरी- बाक्सिंग
अनुराग शर्मा-बाक्सिंग
गीतानंद- बाक्सिंग
मनीश चौदरी- बाक्सिंग
कमलेश कुमारी- एथेलेटिक्स
राकेश कुमारी-एथेलेटिक्स
बनिता ठाकुर-एथेलेटिक्स
अमन सैनी-एथेलेटिक्स


Conclusion:बाइट...
यूरोप में आयोजित बॉक्सिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल प्राप्त कर चुके नवराज चौहान ने बताया कि यहाँ पर उन्हें अच्छा प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी के साथ वह आगे भी ओर चैम्पियल शिप के लिए तईयारी कर रहे है।

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