बिलासपुर: मानसून में पनपने वाली बीमारियों से स्वास्थ्य विभाग की चिंता और जिम्मेदारी दोनों बढ़ जाती है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के दौरान की गई साफ-सफाई ने डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के खतरे को कम कर दिया है.
हिमाचल में हर साल जल जनित रोगों से सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं. मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा बिलासपुर में रहती थी. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इस बार मरीजों की संख्या में न के बराबर इजाफा हुआ है.
सफाई के प्रति लोग हुए जागरूक
हजारों में आने वाले डेंगू के मामले अब एक पर पहुंच गए हैं. ऐसा तब हुआ है जब यहां पर प्रशासनिक अमला सहित यहां की स्थानीय जनता जागरूक हुई है. कोविड के साथ डेंगू न फैले इसका भी विशेष ध्यान बिलासपुर की जनता रख रही है. डेंगू का इलाज साफ-सफाई है, यह बात बिलासपुर के लोग समझ चुके है. लोग अपने घरों को साफ रखने के साथ-साथ आसपास के इलाकों की भी सफाई कर रहे हैं.
2018 में लागू हुआ था एपेडेमिक एक्ट
2018 सत्र में बिलासपुर के प्रभावित क्षेत्रों मे एपेडेमिक एक्ट भी लागू कर दिया था. ऐसे में अगर किसी के घर में गंदगी या फिर डेंगू का लारवा पाया जाता है तो उसका चालान काटा जाएगा. लेकिन 2020 में अब यह एक्ट हटा दिया गया है, क्योंकि अब यहां पर डेंगू पूरी तरह से कंट्रोल में है.
जगह-जगह स्वास्थ्य विभाग ने लगाए पोस्टर
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यहां पर एक बार फिर से डेंगू फैलता है तो कोविड सहित डेंगू का मिश्रण लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने जिलाभर में कोविड और डेंगू के पोस्टर व पर्चे बांटना शुरू कर दिए. शहर के चौराहों में प्रशासन कोविड सहित डेंगू के बोर्ड लगाए हुए है. जिसमें कोविड और डेंगू के लक्षण सहित बचाव के बारे में बताया जा रहा है.
सेनिटाइजेशन के साथ-साथ हो रही फॉगिंग
नगर परिषद की पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष उर्वशी वालिया बताती हैं कि कोरोना महामारी पर कंट्रोल पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ नगर परिषद भी सतर्क है. शहरी और ग्रामीण इलाकों में सेनिटाइजेशल के साथ फॉगिंग भी की जा रही है ताकि कोरोना के साथ-साथ डेंगू का भी खतरा कम हो जाए.
मौसमी बीमारियों के आंकड़ों पर एक नजर
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2018 में बिलासपुर में दो हजार से ज्यादा मामले सामने आए थे. साल 2019 में 38 आए थे, जबकि 2020 में यही मामले घटकर एक पर सिमट गए हैं. वहीं, इस साल मलेरिया के 2 और चिकनगुनिया के एक भी मामले नहीं आए हैं.