शिमला: प्रदेश सरकार मछुआरों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने सतुलज नदी पर मानव निर्मित जलाशय गोबिंद सागर के निर्माण के कारण विस्थापित हुए लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए हैं.
वर्तमान वर्ष के दौरान गोबिंद सागर जलाशय में करीब 500 मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया है. इसमें 3963 मछुआरों की आय में बढ़ोतरी हुई है. इनमें 2169 लाइसेंस धारक विस्थापित परिवारों से हैं. वहीं, 34 सहकारी समितियों से संबंधित हैं.
ऊना और बिलासपुर जिला में नदी घाटी परियोजना के पूरा होने के कारण विस्थापित हुए कुल 2,000 से अधिक परिवारों को गोविंद सागर जलाशय में मछली पकड़ने, परिवहन, मछली की पैकिंग और विपणन में लगाया गया है.
मत्स्य पालन विभाग ने गोबिंद सागर जलाशय में अक्टूबर 2020 तक 195.34 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन किया. अक्टूबर 2019 के दौरान 164.35 मीट्रिक टन मछली उत्पादन दर्ज किया गया था. गोबिंद सागर में गर्मियों के दौरान उत्पादित मछली की कीमत 126 रुपये प्रति किलोग्राम और सर्दियों के दौरान मछली की कीमत 182 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है.
साल 2020 के दौरान मछुआरों को करीब 8 करोड़ रुपये की आय हुई है. गोबिंद सागर झील में वर्ष 2019-2020 के दौरान 23.78 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन दर्ज किया गया था, जिसकी वर्ष 2020-2021 के दौरान बढ़कर 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने की संभावना है.