बिलासपुर: कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर लगाए गए कर्फ्यू के कारण निजी बस ऑपरेटर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बिलासपुर जिला में निजी बस ऑपरेटर्स को प्रतिदिन करीब साढ़े सात लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. 75 दिन के लॉकडाउन में यह नुकसान 56 करोड़ रुपये से ऊपर बढ़ गया है.
अहम बात यह है कि इस में केवल बैंक, चालक, परिचालक व इंश्योरेंस का खर्चा ही सम्मिलित किया गया है. इससे निजी बस ऑपरेटर्स, चालकों व परिचालकों को जीवन यापन करना मुश्किल हो गया है. बिलासपुर जिला में 305 निजी बसें हैं. निजी बसें 22 मार्च से अब तक खड़ी हैं, हालांकि सरकार ने प्रदेश में बसों को चलाने की हरी झंडी दे दी है, लेकिन चालक व परिचालक कोरोना खौफ के कारण बसों को सड़कों पर उतारने से परहेज कर रहे हैं.
वहीं, ऑपरेटर भी इस स्थिति में ज्यादा घाटा उठाने का जोखिम नहीं ले रहे हैं. इससे निजी बस ऑपरेटर्स व इससे जुड़े चालक-परिचालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बिलासपुर में कोरोना खौफ के चलते निजी बसों के चालक व परिचालक बसें चलाने की मनाही कर रहे हैं. इससे एक्का-दुक्का बसों को छोड़ दें, तो सभी निजी बसों के पहिए थमे हुए हैं.
जिला के शहरी और ग्रामीण इलाकों में करीब 305 निजी बसें कई रूटों पर लोगों को सुविधाएं देती है. कोरोना वायरस की रोकथाम को लेकर लगाए गए कर्फ्यू के कारण बसें पिछले 75 दिनों से खड़ी है. हालांकि, बसों को चलाने के लिए सरकार की ओर से चार दिन पहले हरी झंडी मिल चुकी है, लेकिन कोरोना के खौफ के चलते चालक-परिचालक बसें चलाने से परहेज कर रहे हैं.
चालक-परिचालकों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने परिवहन निगम के चालकों और परिचालकों का बीमा तो कर दिया है, लेकिन निजी बसों के चालकों व परिचालकों के बारे में किसी ने भी विचार नहीं किया.
वहीं, निजी बस ऑपरेटर यूनियन के प्रधान राजेश पटियाल ने कहा कि कोरोना वायरस ने निजी बस ऑपरेटरों की कमर तोड़कर रख दी है. जिला में निजी बस ऑपरेटरों को अब तक 56 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो गया है. इस नुकसान में केवल बैंक, चालक, परिचालक व इंश्योरेंस को ही सम्मिलित किया गया है.