बिलासपुर: कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने अपनी ही सरकार के ब्यूरोक्रेट्स पर सवाल खडे़ कर दिए हैं. रामलाल ठाकुर ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के अंदर डॉक्टरों का जो प्रदर्शन हो रहा है, वह सरकार की गलती नहीं बल्कि एक ब्यूरोक्रेट्स की अहम गलती है. उन्होंने कहा कि उक्त अधिकारी ने मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को बिना कॉन्फिडेंस में लेकर सीधे यह निर्णय ले डाला, जिसका असर अब प्रदेश के अस्पतालों में देखने को मिल रहा है.
रामलाल ठाकुर ने ब्यूरोक्रेट्स पर लगाए आरोप: बिलासपुर में पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने कहा कि एनपीए उस समय में लागू किया गया था, जब कांग्रेस में स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री हुआ करत थे. वह स्वास्थ्य विभाग के कुछ निर्णय खुद लेते थे. ऐसे में उस समय लिया गया एनपीए का निर्णय निरंतर चला आ रहा था. रामलाल ठाकुर ने कहा कि डॉक्टरों की मेहनत और अन्य सारी चीजें काबिले तारीफ हैं. ऐसे में अब एनपीए को बंद करने से प्रदेश के अस्पतालों में हो रहे आंदोलन का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया है कि इस मसले पर वह स्वयं हस्ताक्षेप करें और सारी स्थितियों को देखते हुए इन निर्णय पर जरूर विचार करें.
इसलिए बंद किया एनपीए: आर्थिक संकट से जूझ रही सुक्खू सरकार ने स्वास्थ्य, मेडिकल एजुकेशन, डेंटल और पशुपालन विभाग में भविष्य में तैनात होने वाले डॉक्टरों का एनपीए बंद करने का निर्णय लिया है. सरकार के इस निर्णय पर डॉक्टर बेहद रोष में हैं. वर्तमान में सेवारत्त डॉक्टरों को पहले की तरह एनपीए मिलता रहेगा.
सैलरी का 20% मिलता है NPA: डॉक्टरों को उनकी बेसिक सैलरी का 20 फीसदी NPA मिलता है. एनपीए के माध्यम से सरकार डॉक्टरों को उनकी बेहतर डॉक्टरी सेवाओं मरीजों को देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. भारत सरकार की सिफारिश पर देश के सभी राज्यों के डॉक्टरों को एनपीए दिया जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश की वित्तीय हालात को देखते हुए सुक्खू सरकार ने इसे बंद करने का फैसला लिया है.
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