बिलासपुर: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोक सभा में (union budget 2022) वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश कर दिया है. बजट को लेकर देश भर से मिली जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. वहीं, बिलास से संबंध रखने वाले आर्थिक विशेषज्ञ संदीप सांख्यान ने देश के आम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह बजट आम आदमी का बजट नहीं है बल्कि यह एक कॉरपोरेट बजट है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश करते हुए रोजगार, मकान और शिक्षा आदि के संबंध में कई बड़ी घोषणाएं तो कीं, लेकिन वह वास्तविकता से परे है. इस बार फिर से आम आदमी के लिए आयकर में कोई छूट नहीं दी गई.
संदीप सांख्यान कहते हैं कि, 'वित्त मंत्री ने इस बजट में युवाओं के लिए 60 लाख नौकरियां अवसर तैयार करने का वादा किया, लेकिन नौकरियों के सृजन कहां से होगा उसके लिए कोई प्रावधान नजर नहीं आ रहा है. जबकि वर्तमान देश में बेरोजगारी का आंकड़ा (unemployment in the country) 16 करोड़ के पार है. वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट से अगले 25 सालों तक की बुनियाद रखी गई है, लेकिन सच्चाई यह है कि एक वर्ष के प्रावधान भी पूर्ण नहीं किए गए हैं.'
संदीप सांख्यान ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सौर ऊर्जा के लिए 2030 के 280 गीगावाट के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 19,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन करने के ऐलान किया, लेकिन इस पर अनुदान प्रति व्यक्ति पर सरकार खामोश क्यों है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्य सरकार के कर्मचारियों का भी NPS में 14 फीसदी अंश अब इस दायरे से बाहर नहीं निकालना चाहती है. उन्होंने कहा कि पॉलिश किए गए हीरे, रत्नों पर सीमा शुल्क 5 प्रतिशत घटाई गई जिसकी आम आदमी को कोई जरूरत नहीं होती.
हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा दे रही केंद्र सरकार: उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट सरचार्ज 12% से घटाकर 7% किया जाएगा तो क्या उसका जी.एस.टी. पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इस बारे में वित्त मंत्री क्यों चुप हैं, जबकि जी. एस. टी. संग्रह अपेक्षाकृत कम हुआ है. क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देकर केंद्र सरकार ने हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा दिया है और इससे देश का पैसा डूबने का भय पैदा हो गया है, नोटबंदी का सारा पैसे कालाबाजारियों ने क्रिप्टोकरंसी में ही लगाया था.
संदीप ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने का साफ मतलब है कि कृषि से उत्पन्न आय को टैक्स के दायरे में लाया जाएगा, जबकि इस तकनीक का उपयोग भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किया जाना बहुत जरूरी है. बजट में डिजिटल विश्वविद्यालय (digital university in budget) की बात तो गई है लेकिन इसके वित्तीय प्रावधान पर चुप्पी गलत है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में पढ़ाई (study in corona period) का काफी नुकसान हुआ है, लेकिन डिजिटल पढ़ाई के संसाधनों की उपलब्धता के लिए आम आदमी को दूर रख गया है.
बजट से हिमाचल को क्या मिला: संदीप सांख्यान ने कहा कि भारत की विकास दर (Growth Rate of India) 9.27 फीसदी रहने का अनुमान की बात की तो गई है, जबकि वह वास्तविकता से परे है. उन्होंने कहा कि जो नोटबंदी और कोविड-19 के बाद 3 लाख उद्योग बंद हो चुके थे, उन्हें उभारने के लिए कोई भी बात नहीं की गई है. इन सबसे ऊपर केंद्रीय बजट में हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
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