बिलासपुर: कोरोना काल में मानसिक रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. महामारी के दौर में बच्चों से लेकर बूढ़ों में डिप्रेशन के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास बढ़ती ओपीडी इस ओर इशारा कर रही है कि कोरोना काल में इम्यूनिटी ही नहीं बल्कि मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखना भी जरूरी है.
लॉकडाउन के बाद लंबे अंतराल से घरों में कैद हुए लोग जब स्थिति सामान्य होने पर बाहर निकले तो मानसिक रोगियों की संख्या में अचानक से बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई. बिलासपुर जिला अस्पताल में कोरोना महामारी से पहले जहां हर महीने मानसिक रोग के 36 के करीब रोगी आते थे. वहीं, लॉकडाउन के बाद ओपीडी खुलने पर मरीजों की संख्या प्रति माह 80 पहुंच गई है. इन मरीजों में लॉकडाउन के दौरान बेरोजगार हुए लोग और स्टूडेंट्स शामिल हैं
तनाव के लक्षण
शरीर पर असरः बार-बार सिरदर्द होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना, थकान और बल्ड प्रेशन में उतार-चढ़ाव
भावनात्मक असर: चिंता, गुस्सा, डर, चिड़चिड़पना, उदासी और उलझन
दिमाग पर असर: बार-बार बुरे खयाल आना, कॉन्सनट्रेशन में कमी.
वर्तमान दौर में हर व्यक्ति के लाइफ में थोड़ा-बहुत डिप्रेशन रहता है. इसके लिए रहन-सहन, खानपान भी कहीं-कहीं न कहीं जिम्मेवार है. दिनचर्या में बदलाव करके इससे बचा जा सकता है. अगर ये लक्षण किसी व्यक्ति को 6 महीने या उससे अधिक समय से हैं तो मरीज को काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है.
कोरोना महामारी के चलते स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ा है. लंबे समय से घरों में कैद बच्चों की ग्राउंड एक्टिविटी ना के बराबर है. क्लास रूम की जगह अब ऑनलाइन स्टडी ने ले ली है. बच्चों पर सलेबस कंपलिट करने का दवाब बढ़ रहा है. इस वजह से स्कूली छात्रों में भी अवसाद के लक्षण देखे जा रहे हैं.
चाइल्ड काउंसलर डॉ. रंजना शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी से बच्चों की स्कूल लाइफ खत्म हो गई है. बच्चे अपने घरों में कैद हो गए हैं. स्कूल में अपने दोस्तों के साथ अलग-अलग एक्टिविटी करने वाले बच्चों को जब इस तरह के दौर से गुजरना पड़ रहा है तो कहीं ना कहीं उनकी मेंटल हेल्थ पर असर पड़ना लाजमी है.
मानसिक तनाव की स्थिति से बाहर निकलना जरूरी है. वरना इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. इसमें दवाई से ज्यादा अन्य छोटी-छोटी बातों का अनुसरण करना जरूरी है. इसमें अपने परिजनों और दोस्तों से बातें शेयर करना, घर से बाहर खुले वातावरण में निकलना, निगेटिव बातों पर बात न करना, अपनों के साथ रिश्तों को मजबूत करना, थोड़ी देर के लिए सूरज की रोशनी में रहना, काउंसलिंग लेना शामिल है. इन बातों का ध्यान रखकर काफी हद तक मानसिक तनाव से बचा जा सकता है.