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श्रम कानून के विरोध में सड़कों पर उतरा भारतीय मजदूर संघ, सरकार के खिलाफ की नारेबाजी - बिलासपुर न्यूज

केंद्र सरकार द्वारा श्रम नियमों में किए गए संशोधनों के विरोध में बिलासपुर भारतीय मजदूर संघ ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कार्यकर्तओं ने सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

Bharatiya Mazdoor Sangh protested against labor law in Bilaspur
बिलासपुर भारतीय मजदूर संघ
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Published : Oct 29, 2020, 4:51 PM IST

बिलासपुर: श्रम नियमों में किए गए संशोधनों के विरोध में बुधवार को बिलासपुर में भारतीय मजदूर संघ सड़कों पर उतर पड़ा. भामस कार्यकर्ताओं ने डीसी आफिस कांप्लेक्स में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और अपनी कई अन्य मांगों को लेकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने एडीसी तोरुल एस रवीश के माध्यम से प्रधानमंत्री और श्रम मंत्री को ज्ञापन भी प्रेषित किया.

भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष शालीग्राम और सचिव नानकचंद ठाकुर की अगवाई में डीसी आफिस कांप्लेक्स पहुंचे. कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में श्रम नियमों में संशोधन किए हैं. इनमें किए गए कई प्रावधान मजदूर विरोधी हैं. औद्योगिक अधिनियम में 100 से कम श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को छंटनी या फैक्टरी बंद करने के लिए सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती. इसी तरह पूर्व में 20 मजदूरों की नियुक्त एजेंसी पर ठेका अधिनियम प्रभावी होता था, लेकिन अब कर्मचारियों की सीमा बढ़ाकर 50 कर दी गई है. उन्होंने कहा कि यह भी यह भी मजदूरों के हितों के खिलाफ है.

कार्यकर्ताओं ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कानूनों को मजबूत करने के बजाय कमजोर बनाया गया है. ट्रेड यूनियन की कई अन्य मांगों को दरकिनार करते हुए कई श्रमिक विरोध संशोधन किए गए हैं. इनमें तुरंत प्रभाव से सुधार किया जाए, अन्यथा संगठन को कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा.

बिलासपुर: श्रम नियमों में किए गए संशोधनों के विरोध में बुधवार को बिलासपुर में भारतीय मजदूर संघ सड़कों पर उतर पड़ा. भामस कार्यकर्ताओं ने डीसी आफिस कांप्लेक्स में पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली और अपनी कई अन्य मांगों को लेकर सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. इसके बाद कार्यकर्ताओं ने एडीसी तोरुल एस रवीश के माध्यम से प्रधानमंत्री और श्रम मंत्री को ज्ञापन भी प्रेषित किया.

भारतीय मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष शालीग्राम और सचिव नानकचंद ठाकुर की अगवाई में डीसी आफिस कांप्लेक्स पहुंचे. कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल ही में श्रम नियमों में संशोधन किए हैं. इनमें किए गए कई प्रावधान मजदूर विरोधी हैं. औद्योगिक अधिनियम में 100 से कम श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों को छंटनी या फैक्टरी बंद करने के लिए सरकार से अनुमति नहीं लेनी पड़ती. इसी तरह पूर्व में 20 मजदूरों की नियुक्त एजेंसी पर ठेका अधिनियम प्रभावी होता था, लेकिन अब कर्मचारियों की सीमा बढ़ाकर 50 कर दी गई है. उन्होंने कहा कि यह भी यह भी मजदूरों के हितों के खिलाफ है.

कार्यकर्ताओं ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कानूनों को मजबूत करने के बजाय कमजोर बनाया गया है. ट्रेड यूनियन की कई अन्य मांगों को दरकिनार करते हुए कई श्रमिक विरोध संशोधन किए गए हैं. इनमें तुरंत प्रभाव से सुधार किया जाए, अन्यथा संगठन को कठोर कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा.

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