बिलासपुर: 38 सालों के बाद बिलासपुर के बरमाणा स्थित एसीसी सीमेंट प्लांट (Acc Cement Factory Barmana Bilaspur) में एक बार फिर पहले जैसे हालात दिख रहे हैं. 1984 में भी इस प्लांट में कार्य पूरे तरह से बंद हो गया था. जिससे यह आंदोलन इतना उग्र हो गया था कि यहां पर स्थानीय ऑपरेटरों और बाहरी राज्यों से आए ठेकेदारों के बीच दंगा भड़का था.(Cement issues in Himachal).
दरअसल, उस समय देश की नामी कंपनी नार्थन हिल के ठेकेदार अपने ट्रक लेकर बिलासपुर पहुंच गए थे और कंपनी प्रबंधन द्वारा बाहरी राज्यों के ठेकेदारों को काम दिया जा रहा था. जिसके चलते स्थानीय लोगों ने इसका विरोध भी किया था. लेकिन ये आंदोलन इतना उग्र हुआ की बाहरी राज्यों के ठेकेदारों की गाड़ियां तक फूंकी दी गई थी. इस दंगे में सैंकड़ों लोग घायल हुए थे.
ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व बीडीटीएस सचिव व वरिष्ठ ट्रांसपोर्टर प्रेम लाल ठाकुर ने बताया कि जब से यह सीमेंट फैक्टी लगी है, तब से वह यहां पर बतौर ट्रक ऑपरेटर काम कर रहे हैं. ट्रक ऑपरेटरों और कंपनी के बीच चल रहे विवाद पर उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कंपनी बाहरी राज्यों के ठेकेदारों या ऑपरेटरों को यहां लाती है और उनको कार्य देती है तो यह बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो 1984 में हुआ घटनाक्रम एक बार फिर ताजा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि उस समय बिलासपुर में मात्र 163 गाड़ियां थी, लेकिन अब यहां 3,800 ऑपरेटर हैं. ऐसे में कंपनी को इस पर सोच विचार करना चाहिए.
उधर, इस संदर्भ में जब बरमाणा स्थित प्लांट हेड अमिताव सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि परिवहन और कच्चे माल की लागत में वृद्धि और बाजार की मौजूदा स्थितियों के कारण सीमेंट ढुलाई में भारी कमी आई है, जिससे कंपनी के बाजार हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए प्लांट से संबंधित सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से बंद करने के लिए प्रबंधन मजबूर है और सभी कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि अगले निर्देश तक कार्य पर उपस्थित न हों.
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