बिलासपुर: वरिष्ठ अधिवक्ता की कोरोना से शिमला आईजीएमसी में हुई मौत मामले पर जिला अधिवक्ता संघ ने सवाल उठाए हैं. बुधवार को बिलासपुर के कोर्ट परिसर में एकत्रित होकर जिलाभर के अधिवक्ताओं ने मौत मामले पर जांच की मांग उठाई है.
10 दिनों तक अधीवक्ता 11 से 2 बजे तक प्रदर्शन पर बैठेंगे, जिसमें प्रदेश सरकार से मांग करेंगे कि मौत मामले की जांच की जाए. अधिवक्ताओं का आरोप है कि वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र हांडा की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत हुई है. उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते मौत हुई है.
आरोप है कि शिमला के कोविड केयर सेंटर में उक्त वरिष्ठ अधिवक्ता का स्वास्थ्य जांच करने के लिए चिकित्सक नहीं बल्कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही कोविड सेंटर में आते रहे. इसके साथ ही उन्होंने ये भी आरोप लगाया है कि कोविड सेंटर में अधिवक्ता कई घंटो तक पानी मांगते रहे, लेकिन उनको नहीं दिया गया.
अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया है कि कोविड सेंटर में उनकी 2 बजे दोपहर को मौत हो गई थी, लेकिन उनके परिजनों को इस बारे में शाम को बताया गया. वहीं, अंतिम आरोप यह भी है कि अधिवक्ता का कोविड सेंटर में मोबाईल भी चोरी हो गया था.
ऐसे में इन सारे पहलुओं पर परिजनों सहित अधिवक्ताओं ने सवाल उठाए हैं. प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस मामले की वह खुद जांच करें. अधिवक्ताओं का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते उनकी मौत हुई है. सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि बिलासपुर में 10 दिन तक वह प्रतिदिन प्रदर्शन करेंगे.
इस दौरान अगर सरकार इस मामले की गहनता से जांच नहीं करती है तो वह 10 दिन के भीतर यही प्रदर्शन पूरे प्रदेशभर में आयोजित किए जाएंगे. हिमाचल प्रदेश अधिवक्ता संघ इस मामले की उचित जांच की मांग उठाता है.