बिलासपुर: प्रदेश में सरकारी नौकरी पर तैनात बड़े अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा बीपीएल और अंत्योदय के फर्जीवाड़ा मामले पर एक बड़ी कार्रवाई खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग करने जा रहा है. इस मामले में सामने आए प्रदेश के 125 अधिकारियों में से विभाग ने 104 की पहचान कर ली है.
बता दें कि 104 अधिकारी किस विभाग में है और किस पद पर तैनात है, इसकी सारी जांच पड़ताल खाद्य आपूर्ति विभाग ने कर ली है. इस पूरे मामले को लेकर खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्री राजेंद्र गर्ग ने बताया कि पहचान किए गए 104 अधिकारियों के विभागों को खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा एक पत्र लिखा जा रहा है. इस पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि इन अधिकारियों से सारी रिकवरी की जाएगी.
राजेंद्र गर्ग ने साफ तौर पर कहा है कि जितने भी सालों से यह अधिकारी गरीबों के राशन पर अपना हक जमाए हुए थे, तब तक की सारी रिकवरी अब की जाएगी. मंत्री राजेंद्र गर्ग ने कहा कि अन्य और बचे अधिकारियों की भी पहचान की जा रही है. इन सभी अधिकारियों से रिकवरी करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. सीएम जयराम ठाकुर स्वयं इस मामले की सारी जानकारी ले रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में 125 सरकारी अफसर ऐसे पाए गए हैं जो स्कूल प्रवक्ता, मेडिकल अफसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एक्साइज टेक्नीशियन और अधीक्षक पद पर तैनात होने के बावजूद गरीब लोगों को मिलने वाला सस्ता राशन डकार रहे हैं. वहीं, मुख्यमंत्री खुद विधायको-मंत्रियों, अफसरों से राशन सब्सिडी छोड़ने की अपील कर चुके हैं.
खाद्य आपूर्ति विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए ग्रामीण विकास विभाग को पत्र लिखकर पूछा है कि किस आधार पर इन्हें अंत्योदय और बीपीएल की श्रेणी में लाया गया है. विभाग के भेजे पत्र से अब हड़कंप मच गया है. इससे पंचायत प्रधानों, पंचायत सचिवों, बीडीओ की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है.
ग्रामीण विकास विभाग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित बीडीओ से रिकॉर्ड तलब किया है. सरकार में बड़े ओहदे पर बैठे अफसर भी अंत्योदय और बीपीएल में शामिल हुए हैं. यह बात रिकॉर्ड में सामने आई है.
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