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मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच को UNHRC प्रस्ताव पर मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा

यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद कथित मानवाधिकार उल्लंघनों (human rights violations) और संबंधित अपराधों की जांच के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में शुक्रवार को हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया (India did not participate in voting). संयुक्त राष्ट्र की 47 सदस्यीय परिषद में 'रूसी आक्रमण से यूक्रेन में उपजी मानवाधिकारों की स्थिति' पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ.

Russia-Ukraine war: India did not participate in voting on UNHRC resolution to investigate human rights violations
रूस-यूक्रेन युद्ध: मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच को यूनएचआरसी प्रस्ताव पर मतदान में भारत ने नहीं लिया हिस्सा
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Published : Mar 5, 2022, 8:22 AM IST

Updated : Mar 5, 2022, 3:23 PM IST

जिनेवा/संयुक्त राष्ट्र: यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद कथित मानवाधिकार उल्लंघनों (human rights violations) और संबंधित अपराधों की जांच के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में शुक्रवार को हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया(India did not participate in voting) . संयुक्त राष्ट्र की 47 सदस्यीय परिषद में 'रूसी आक्रमण से यूक्रेन में उपजी मानवाधिकारों की स्थिति' पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ.

प्रस्ताव पारित कर दिया गया. प्रस्ताव के पक्ष में 32 मत पड़े जबकि दो वोट (रूस और इरित्रिया) इसके खिलाफ पड़े. वहीं भारत, चीन, पाकिस्तान, सूडान और वेनेजुएला सहित 13 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया. प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में फ्रांस, जर्मनी, जापान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की गई. इसमें कहा गया कि प्रस्ताव ‘यूक्रेन के खिलाफ रूसी संघ की आक्रामकता के संदर्भ में कथित सभी मानवाधिकारों उल्लंघनों और हनन और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और संबंधित अपराधों की जांच करने, साथ ही ऐसे किसी भी उल्लंघन और दुर्व्यवहार के तथ्यों, परिस्थितियों और मूल कारणों को स्थापित करने के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग की स्थापना करने का फैसला करता है.’

प्रस्ताव पारित होने के एक दिन पहले, बृहस्पतिवार को भारत ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें सत्र में यूक्रेन में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में हुई तत्काल चर्चा में कहा था कि वह यूक्रेन में लगातार बिगड़ती मानवीय स्थिति पर बहुत चिंतित है. भारत ने हिंसा और शत्रुता को समाप्त करने का आग्रह किया था. भारत ने कहा था, ‘मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. मतभेदों और विवादों के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.’ भारत ने यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण और संघर्ष क्षेत्रों में सुरक्षित मानवीय पहुंच का आह्वान किया.

भारत ने कहा था, ‘हम युवा भारतीय छात्रों सहित हजारों भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं, जो अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं. हम पड़ोसी देशों के साथ मिलकर उनकी निकासी के लिए काम कर रहे हैं.’ मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष द्वारा जांच आयोग में एक वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए तीन मानवाधिकार विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे. आयोग को ‘जहां संभव हो, उन व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान करने का अधिकार होगा जो उल्लंघनों और मानवाधिकारों उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार हैं या यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, या अन्य संबंधित अपराधों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए.’

ये भी पढ़ें- रूसी का यूक्रेन के जपोरिजिया परमाणु पावर प्लांट पर कब्जा, विश्व को राहत

प्रस्ताव ने यूक्रेन में जारी मानवाधिकारों और मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई और रूस से कहा गया कि वह 'यूक्रेन में अपने मानवाधिकार उल्लंघनों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघनों को तुरंत रोके.’ प्रस्ताव में यूक्रेन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर से और यूक्रेन के पूरे क्षेत्र से रूसी सैनिकों और रूसी समर्थित सशस्त्र समूहों की ‘‘तेजी से और सत्यापन योग्य’ वापसी का भी आह्वान किया गया. भारत ने पिछले एक सप्ताह के दौरान 15 देशों की सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर दो प्रस्तावों और 193 सदस्यीय महासभा में एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया है. 193 सदस्यीय महासभा ने इस सप्ताह यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की निंदा थी और मांग की थी कि मास्को यूक्रेन के क्षेत्र से अपने सभी सैन्य बलों को 'पूरी तरह से और बिना शर्त' वापस हटा ले. भारत ने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था, जिसके पक्ष में 141 मत पड़े जबकि पांच वोट इसके खिलाफ डाले गये थे और कुल 35 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.

(पीटीआई-भाषा)

जिनेवा/संयुक्त राष्ट्र: यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद कथित मानवाधिकार उल्लंघनों (human rights violations) और संबंधित अपराधों की जांच के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग गठित करने पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में शुक्रवार को हुए मतदान में भारत ने हिस्सा नहीं लिया(India did not participate in voting) . संयुक्त राष्ट्र की 47 सदस्यीय परिषद में 'रूसी आक्रमण से यूक्रेन में उपजी मानवाधिकारों की स्थिति' पर एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ.

प्रस्ताव पारित कर दिया गया. प्रस्ताव के पक्ष में 32 मत पड़े जबकि दो वोट (रूस और इरित्रिया) इसके खिलाफ पड़े. वहीं भारत, चीन, पाकिस्तान, सूडान और वेनेजुएला सहित 13 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया. प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में फ्रांस, जर्मनी, जापान, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं. प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की गई. इसमें कहा गया कि प्रस्ताव ‘यूक्रेन के खिलाफ रूसी संघ की आक्रामकता के संदर्भ में कथित सभी मानवाधिकारों उल्लंघनों और हनन और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन और संबंधित अपराधों की जांच करने, साथ ही ऐसे किसी भी उल्लंघन और दुर्व्यवहार के तथ्यों, परिस्थितियों और मूल कारणों को स्थापित करने के लिए तत्काल एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग की स्थापना करने का फैसला करता है.’

प्रस्ताव पारित होने के एक दिन पहले, बृहस्पतिवार को भारत ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें सत्र में यूक्रेन में मानवाधिकार की स्थिति के बारे में हुई तत्काल चर्चा में कहा था कि वह यूक्रेन में लगातार बिगड़ती मानवीय स्थिति पर बहुत चिंतित है. भारत ने हिंसा और शत्रुता को समाप्त करने का आग्रह किया था. भारत ने कहा था, ‘मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है. मतभेदों और विवादों के समाधान के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है.’ भारत ने यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण और संघर्ष क्षेत्रों में सुरक्षित मानवीय पहुंच का आह्वान किया.

भारत ने कहा था, ‘हम युवा भारतीय छात्रों सहित हजारों भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं, जो अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं. हम पड़ोसी देशों के साथ मिलकर उनकी निकासी के लिए काम कर रहे हैं.’ मानवाधिकार परिषद के अध्यक्ष द्वारा जांच आयोग में एक वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए तीन मानवाधिकार विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे. आयोग को ‘जहां संभव हो, उन व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान करने का अधिकार होगा जो उल्लंघनों और मानवाधिकारों उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार हैं या यूक्रेन में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, या अन्य संबंधित अपराधों के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए कि जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए.’

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प्रस्ताव ने यूक्रेन में जारी मानवाधिकारों और मानवीय संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई और रूस से कहा गया कि वह 'यूक्रेन में अपने मानवाधिकार उल्लंघनों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघनों को तुरंत रोके.’ प्रस्ताव में यूक्रेन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर से और यूक्रेन के पूरे क्षेत्र से रूसी सैनिकों और रूसी समर्थित सशस्त्र समूहों की ‘‘तेजी से और सत्यापन योग्य’ वापसी का भी आह्वान किया गया. भारत ने पिछले एक सप्ताह के दौरान 15 देशों की सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर दो प्रस्तावों और 193 सदस्यीय महासभा में एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया है. 193 सदस्यीय महासभा ने इस सप्ताह यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की निंदा थी और मांग की थी कि मास्को यूक्रेन के क्षेत्र से अपने सभी सैन्य बलों को 'पूरी तरह से और बिना शर्त' वापस हटा ले. भारत ने प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था, जिसके पक्ष में 141 मत पड़े जबकि पांच वोट इसके खिलाफ डाले गये थे और कुल 35 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Mar 5, 2022, 3:23 PM IST
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