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2 साल से कोमा में है पति, परिवार चलाने में हो रही परेशानी, सरकार से मदद की आस

हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी एक परिवार की कहानी हर किसी का दिल पसीज देने वाली है. करीब 2 साल पहले लंबी बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया था. जिसके बाद से लेकर आज दिन तक संजीव कुमार कोमा की हालत में हैं. पति के इलाज के लिए पत्नी ने बचाई हुई तमाम धनराशि खत्म कर दी. संजीव के भाइयों ने भी यथासंभव अपने भाई के परिवार की मदद की, चाहे वह परिवार के पालन पोषण की बात हो या फिर संजीव की दवाओं के खर्चे की, लेकिन अब उनके भी हाथ खड़े हो गए हैं.

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Published : Aug 18, 2021, 3:17 PM IST

luthde village una news, लूठड़े गांव ऊना न्यूज
फोटो.

ऊना: परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला मुखिया 2 साल से कोमा में है. ब्रेन के काम न करने के चलते वह जड़ अवस्था में ऐसे ही बिस्तर पर लेटा हुआ है. परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे किस तरह जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं, यह वही जानते हैं. जो हम आपको बताने जा रहे है यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी संजीव कुमार के परिवार की.

करीब 2 साल पूर्व डिप्रेशन की बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया. वहीं, परिवार को संजीव के भाइयों ने यथासंभव सहायता भी प्रदान की. जिनमें परिवार के पालन-पोषण के साथ-साथ खुद संजीव कुमार की दवा का भी खर्चा उठाया गया. अब जब सबके हाथ खड़े हो गए हैं तो ऐसे में संजीव की पत्नी मोनिका जमीन बेचकर पति का इलाज करवाना चाहती है.

जब परिवार ने सरकार से सहायता मांगी तो लाखों के बिलों के बदले अभी तक केवल मात्र 15 हजार की मदद ही हो पाई है, जबकि इस माह से संजीव को दो हजार रूपये की पेंशन भी शुरू हो गई है. इस परिवार ने डीसी ऊना को अपना को दुखड़ा सुनाया तो उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.

वीडियो.

हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी एक परिवार की कहानी हर किसी का दिल पसीज देने वाली है. करीब 2 साल पहले लंबी बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया था. जिसके बाद से लेकर आज दिन तक संजीव कुमार कोमा की हालत में हैं.

पति के इलाज के लिए पत्नी ने बचाई हुई तमाम धनराशि खत्म कर दी. संजीव के भाइयों ने भी यथासंभव अपने भाई के परिवार की मदद की, चाहे वह परिवार के पालन पोषण की बात हो या फिर संजीव की दवाओं के खर्चे की, लेकिन अब उनके भी हाथ खड़े हो गए हैं.

ऐसी परिस्थिति में अब मोनिका ने अपने पति के इलाज के लिए जमीन जायदाद को बेचने का फैसला लिया तो इन परिस्थितियों में भी कानून आड़े आ गया और अब उसने पति के नाम वाली जमीन बेचने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

ऐसा नहीं है कि इस परिवार ने सरकार से मदद नहीं मांगी, सरकार को परिवार ने लाखों रूपये के बिल भेजे हैं, लेकिन अभी तक इस परिवार को मात्र 15 हजार रूपये की आर्थिक मदद ही सरकार की तरफ से मिली है. वहीं, लंबी जद्दोजहद के बाद संजीव को इस माह से ही दो हजार रूपये की पेंशन भी शुरू हो गई है, लेकिन संजीव के इलाज पर हर माह हजारों का खर्च होने और परिवार के पालन पोषण करने के लिए दो हजार रूपये कहां तक मददगार साबित होंगे.

वहीं, संजीव के भाई सिद्धू राम कहना है कि वो संजीव के परिवार की मदद करते आ रहे हैं, लेकिन अब आगे मदद करना उनके लिए भी मुश्किल होता जा रहा है. सिद्धू राम ने सरकार से संजीव के परिवार की मदद की गुहार लगाई है.

ये भी पढ़ें- भरमौर में जनसभा के बहाने मंडी संसदीय उपचुनाव के लिए सीएम ने भरी ह़ुंकार, एक तीर से साधे 2 निशाने

ऊना: परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला मुखिया 2 साल से कोमा में है. ब्रेन के काम न करने के चलते वह जड़ अवस्था में ऐसे ही बिस्तर पर लेटा हुआ है. परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे किस तरह जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं, यह वही जानते हैं. जो हम आपको बताने जा रहे है यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी संजीव कुमार के परिवार की.

करीब 2 साल पूर्व डिप्रेशन की बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया. वहीं, परिवार को संजीव के भाइयों ने यथासंभव सहायता भी प्रदान की. जिनमें परिवार के पालन-पोषण के साथ-साथ खुद संजीव कुमार की दवा का भी खर्चा उठाया गया. अब जब सबके हाथ खड़े हो गए हैं तो ऐसे में संजीव की पत्नी मोनिका जमीन बेचकर पति का इलाज करवाना चाहती है.

जब परिवार ने सरकार से सहायता मांगी तो लाखों के बिलों के बदले अभी तक केवल मात्र 15 हजार की मदद ही हो पाई है, जबकि इस माह से संजीव को दो हजार रूपये की पेंशन भी शुरू हो गई है. इस परिवार ने डीसी ऊना को अपना को दुखड़ा सुनाया तो उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.

वीडियो.

हरोली उपमंडल के लूठड़े गांव निवासी एक परिवार की कहानी हर किसी का दिल पसीज देने वाली है. करीब 2 साल पहले लंबी बीमारी के बाद संजीव कुमार का ब्रेन काम करना बंद कर गया था. जिसके बाद से लेकर आज दिन तक संजीव कुमार कोमा की हालत में हैं.

पति के इलाज के लिए पत्नी ने बचाई हुई तमाम धनराशि खत्म कर दी. संजीव के भाइयों ने भी यथासंभव अपने भाई के परिवार की मदद की, चाहे वह परिवार के पालन पोषण की बात हो या फिर संजीव की दवाओं के खर्चे की, लेकिन अब उनके भी हाथ खड़े हो गए हैं.

ऐसी परिस्थिति में अब मोनिका ने अपने पति के इलाज के लिए जमीन जायदाद को बेचने का फैसला लिया तो इन परिस्थितियों में भी कानून आड़े आ गया और अब उसने पति के नाम वाली जमीन बेचने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

ऐसा नहीं है कि इस परिवार ने सरकार से मदद नहीं मांगी, सरकार को परिवार ने लाखों रूपये के बिल भेजे हैं, लेकिन अभी तक इस परिवार को मात्र 15 हजार रूपये की आर्थिक मदद ही सरकार की तरफ से मिली है. वहीं, लंबी जद्दोजहद के बाद संजीव को इस माह से ही दो हजार रूपये की पेंशन भी शुरू हो गई है, लेकिन संजीव के इलाज पर हर माह हजारों का खर्च होने और परिवार के पालन पोषण करने के लिए दो हजार रूपये कहां तक मददगार साबित होंगे.

वहीं, संजीव के भाई सिद्धू राम कहना है कि वो संजीव के परिवार की मदद करते आ रहे हैं, लेकिन अब आगे मदद करना उनके लिए भी मुश्किल होता जा रहा है. सिद्धू राम ने सरकार से संजीव के परिवार की मदद की गुहार लगाई है.

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