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विदेशों में फंसे नाविकों के नायक: हिमाचल के संजय पराशर ने अबतक 600 नाविकों को बचाया - 600 नाविकों को बचा चुके हैं संजय

कांगड़ा के संजय पराशर ने सामाजिक सरोकार निभाते हुए विदेशों में फंसे 600 से ज्यादा भारतीय नाविकों को सुरक्षित बाहर निकाला है. उन्होंने इस काम में न तो सरकार से कोई वित्तीय मदद ली और ना ही फंसे नाविकों के परिजनों से रुपये लिए हैं.

Himachal Sanjay Parashar evacuated 600 sailors
Himachal Sanjay Parashar evacuated 600 sailors
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Published : Dec 30, 2019, 1:13 PM IST

ऊना: कुछ लोग होते हैं जो अपनी जिंदगी पर नाज करते हैं और कुछ लोग होते हैं जिन पर जिंदगी नाज करती है. जिला कांगड़ा के स्वाणा गांव से संबंधित कैप्टन संजय पराशर ने समाज में ऐसी ही मिसाल दी है जिससे हर किसी को अपने देश और समाज के लिए कुछ बेहतर करने की प्रेरणा मिले.

संजय पराशर ने सामाजिक सरोकार निभाते हुए विदेशों में फंसे 600 से ज्यादा भारतीय नाविकों को सुरक्षित बाहर निकाला है. इतना ही नहीं उन्होंने इस काम में न तो सरकार से कोई वित्तीय मदद ली और ना ही फंसे नाविकों के परिजनों से रुपये लिए.

वीडियो.

विदेशों में किसी भी कारण से फंसे हुए नाविकों के लिए संजय पराशर संजीवनी से कम नहीं हैं. अगर कोई भारतीय नाविक या समुद्री जहाज विदेश में फंस जाता है, तो उसके जहन में पहला नाम संजय पराशर का ही आता है और बड़ी बात यह भी है कि संजय भी किसी को निराश नहीं करते हैं.

संजय पराशर ने बताया कि इत्तेफाक से भगवान ने उन्हें ये काम सौंप दिया है तो वे भी नाविकों की मदद के लिए अपना शत-प्रतिशत दांव पर लगा देंगे. संजय वर्तमान में मुंबई में एक शिप कंपनी के मालिक हैं और वहीं से नाविकों की मदद करते हैं.

ऐसे हुई थी नाविकों को बचाने की शुरुआत

संजय पराशर के इस अभियान की शुरुआत पांच साल पहले हुई जब ईरान में फंसे एक परित्यक्त जहाज नाविक रंजीत सिंह के परिवार ने सहायता के लिए उनसे संपर्क किया. संजय पराशर ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से संपर्क किया और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की. सुषमा स्वराज ने उन्हें सहायता का भरोसा दिलाया और इस मामले में पूरी मदद की.

इसके बाद संजय पराशर ईरान पहुंचे तो वहां पता चला कि ईरान में फंसा नाविक रंजीत सिंह की मौत हो चुकी है. ऐसे में संजय पराशर न सिर्फ रंजीत सिंह के शव को भारत लाए, बल्कि सारा खर्च भी उठाया.

संजय पराशर का कहना है कि इस दौरान उन्हें ये भी पता चला कि ऐसे दर्जनों मामले हैं जिनमें भारतीय नाविक किसी न किसी कारण से समुद्री जहाजों में फंसे हुए हैं या गैरकानूनी रूप से एजेंटों के झांसे में आकर बिना वेतन के अपनी सेवाएं दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इसके बाद नाविकों को बचाने की मुहिम शुरू कर दी.

ये भी पढ़ें- हिमाचल के वीरेंद्र शर्मा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में करेंगे अंपायरिंग, ICC अंपायर के पैनल में हुए शामिल

अब तक विदेशों से 600 नाविकों को बचा चुके हैं संजय

संजय पराशर ने बताया कि अब तक 95 मामलों में 600 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल चुके हैं. उनका कहना है कि अगर किसी ने मर्चेंट नेवी ज्वाइन करनी है तो कानूनी रूप से समुद्री जहाज में जाएं और वहां पर अपनी सेवाएं दें और अगर किसी के साथ गलत हो रहा है तो वह समस्या को उनके सामने रखें.

मर्चेंट नेवी में अपार अवसर, ठग एजेंटों से रहें सावधान

संजय पराशर ने कहा कि इस समय करीब तीन लाख नाविक जो कि भारतीय हैं, अपनी सेवाएं मर्चेंट नेवी दे दे रहे हैं. ये पूरे विश्व की नाविकों का 10% है . उन्होंने कहा कि मर्चेंट नेवी में करियर बनाने के अपार अवसर हैं, लेकिन गैरकानूनी तरीके और ठगी करने वाले एजेंटों से बचना चाहिए.

युवाओं के लिए प्रेणास्त्रोत

अपने पैतृक गांव पहुंचे संजय ने कहा कि मर्चेंट नेवी में जाने वाले युवा ठगी और गलत एजेंटों के पास नहीं फंसेगे तो उन्हें आगे भी कोई दिक्कत नहीं होगी. संजय पराशर ने कहा कि इस मुहिम को चलाने में उन्हें सरकार का सहयोग मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इस कार्य को सफल बनाने के लिए हिमाचल और यहां की संस्कृति का भी आभार व्यक्त करते हैं, जिनसे उन्हें समाज के लिए कुछ करने की प्ररेणा मिलती है.

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ये भी पढ़ें- प्रियंका वाड्रा के साथ UP में हुए दुर्व्यवहार पर बोले कुलदीप राठौर, कहा: जल्द खत्म होगा जंगल राज

ऊना: कुछ लोग होते हैं जो अपनी जिंदगी पर नाज करते हैं और कुछ लोग होते हैं जिन पर जिंदगी नाज करती है. जिला कांगड़ा के स्वाणा गांव से संबंधित कैप्टन संजय पराशर ने समाज में ऐसी ही मिसाल दी है जिससे हर किसी को अपने देश और समाज के लिए कुछ बेहतर करने की प्रेरणा मिले.

संजय पराशर ने सामाजिक सरोकार निभाते हुए विदेशों में फंसे 600 से ज्यादा भारतीय नाविकों को सुरक्षित बाहर निकाला है. इतना ही नहीं उन्होंने इस काम में न तो सरकार से कोई वित्तीय मदद ली और ना ही फंसे नाविकों के परिजनों से रुपये लिए.

वीडियो.

विदेशों में किसी भी कारण से फंसे हुए नाविकों के लिए संजय पराशर संजीवनी से कम नहीं हैं. अगर कोई भारतीय नाविक या समुद्री जहाज विदेश में फंस जाता है, तो उसके जहन में पहला नाम संजय पराशर का ही आता है और बड़ी बात यह भी है कि संजय भी किसी को निराश नहीं करते हैं.

संजय पराशर ने बताया कि इत्तेफाक से भगवान ने उन्हें ये काम सौंप दिया है तो वे भी नाविकों की मदद के लिए अपना शत-प्रतिशत दांव पर लगा देंगे. संजय वर्तमान में मुंबई में एक शिप कंपनी के मालिक हैं और वहीं से नाविकों की मदद करते हैं.

ऐसे हुई थी नाविकों को बचाने की शुरुआत

संजय पराशर के इस अभियान की शुरुआत पांच साल पहले हुई जब ईरान में फंसे एक परित्यक्त जहाज नाविक रंजीत सिंह के परिवार ने सहायता के लिए उनसे संपर्क किया. संजय पराशर ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से संपर्क किया और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की. सुषमा स्वराज ने उन्हें सहायता का भरोसा दिलाया और इस मामले में पूरी मदद की.

इसके बाद संजय पराशर ईरान पहुंचे तो वहां पता चला कि ईरान में फंसा नाविक रंजीत सिंह की मौत हो चुकी है. ऐसे में संजय पराशर न सिर्फ रंजीत सिंह के शव को भारत लाए, बल्कि सारा खर्च भी उठाया.

संजय पराशर का कहना है कि इस दौरान उन्हें ये भी पता चला कि ऐसे दर्जनों मामले हैं जिनमें भारतीय नाविक किसी न किसी कारण से समुद्री जहाजों में फंसे हुए हैं या गैरकानूनी रूप से एजेंटों के झांसे में आकर बिना वेतन के अपनी सेवाएं दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इसके बाद नाविकों को बचाने की मुहिम शुरू कर दी.

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अब तक विदेशों से 600 नाविकों को बचा चुके हैं संजय

संजय पराशर ने बताया कि अब तक 95 मामलों में 600 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल चुके हैं. उनका कहना है कि अगर किसी ने मर्चेंट नेवी ज्वाइन करनी है तो कानूनी रूप से समुद्री जहाज में जाएं और वहां पर अपनी सेवाएं दें और अगर किसी के साथ गलत हो रहा है तो वह समस्या को उनके सामने रखें.

मर्चेंट नेवी में अपार अवसर, ठग एजेंटों से रहें सावधान

संजय पराशर ने कहा कि इस समय करीब तीन लाख नाविक जो कि भारतीय हैं, अपनी सेवाएं मर्चेंट नेवी दे दे रहे हैं. ये पूरे विश्व की नाविकों का 10% है . उन्होंने कहा कि मर्चेंट नेवी में करियर बनाने के अपार अवसर हैं, लेकिन गैरकानूनी तरीके और ठगी करने वाले एजेंटों से बचना चाहिए.

युवाओं के लिए प्रेणास्त्रोत

अपने पैतृक गांव पहुंचे संजय ने कहा कि मर्चेंट नेवी में जाने वाले युवा ठगी और गलत एजेंटों के पास नहीं फंसेगे तो उन्हें आगे भी कोई दिक्कत नहीं होगी. संजय पराशर ने कहा कि इस मुहिम को चलाने में उन्हें सरकार का सहयोग मिल रहा है. उन्होंने कहा कि इस कार्य को सफल बनाने के लिए हिमाचल और यहां की संस्कृति का भी आभार व्यक्त करते हैं, जिनसे उन्हें समाज के लिए कुछ करने की प्ररेणा मिलती है.

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Intro:सामाजिक सरोकार निभाते हुए विदेश में फंसे 600 से ज्यादा भारतीय नाविकों को सुरक्षित बाहर निकालाBody:कुछ लोग होते हैं जो अपनी जिंदगी पर नाज करते हैं और कुछ लोग होते हैं जिन पर जिंदगी नाज करती है। चिंतपूर्णी के स्वाणा गांव से तालुल्क रखने वाले कैप्टन संजय पराशर ने समाज में ऐसी ही मिसाल दी है। उन्होंने समाज में ऐसा संदेश दिया है, जिससे कि हर किसी को कुछ अच्छा करने की प्रेरणा मिल सके। सामाजिक सरोकार निभाते हुए विदेश में फंसे 600 से ज्यादा भारतीय नाविकों को सुरक्षित बाहर निकाला। बड़ी बात यह भी है कि इस पुनीत कार्य में उन्हाेंने न तो सरकार से कोई वित्तीय मदद ली और न ही फंसे नाविकों को परिजनों से एक नया पैसा लिया। वन मैन आर्मी वाले संजय पराशर को फंसे हुए नाविक भगवान से कम का दर्जा नहीं देते हैं और ब भी अगर कोई भारतीय नाविक समुद्री जहाज या विदेश में फंस जाता है, तो उसके जहन में पहला नाम संजय का आता है और बड़ी बात यह भी है कि संजय भी किसी को निराश नहीं करते। संजय का भी यही कहना है कि अगर इतफाक से भगवान ने उन्हें यह काम सौंप दिया है तो वह भी नाविकों की मदद के िलए अपना शत-प्रतिशत दांव पर लगा देगें। संजय वर्तमान में मुंबई में एक शिप कंपनी के मालिक हैं और वहीं से नाविकों की मदद करते हैं।

जब 5 वर्ष पूर्व ईरान में फंसे एक भारतीय नाविक के बारे में उनके परिजनों से संपर्क किया तो उन्होंने भारत सरकार में तत्कालीन विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज से सहायता मांगी। इस दौरान स्वराज ने उन्हें सहायता का भरोसा दिलाया और इस मामले में पूरी मदद की। इसके बाद संजय पराशर ईरान पहुंचे तो वहां ज्ञात हुआ कि ईरान में फंसा युवक रंजीत सिंह जो कि पंजाब के मुकेरिया का रहने वाला था की मौत हो चुकी थी और उसके शव को पहा शव गृह में रखा हुआ था। ऐसे में संजय पराशर न सिर्फ रंजीत सिंह के शव को भारत लाए, बल्कि इसका सारा खर्च उन्होंने उठाया। संजय का कहना था की उन्हें यह जानकारी ईरान में मिली की कि कई और भी भारतीय नाविक ऐसे ही समुद्री जहाजों में फंसे हुए हैं, जो कि गैरकानूनी रूप से एजेंटों के माध्यम से समुद्री जहाजों में बिना वेतन से अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद यह मुहिम चला दी की अगर कोई भारतीय नाविक किसी गैरकानूनी रूप से समुद्री जहाज में अपनी सेवाएं दे रहा हो और उसके साथ वहां पर किसी प्रकार का उत्पीड़न हो रहा है ,तो वह निश्चित रूप से ऐसे किसी भी नाविक की सहायता करेंगे। संजय पाराशर का कहना है कि अब तक है 95 मामलों में 600 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल चुके हैं । उनका कहना था कि अगर किसी ने मर्चेंट नेवी ज्वाइन करनी है तो कानूनी रूप से समुद्री जहाज में जाए और वहां पर अपनी सेवाएं दे और अगर किसी के साथ गलत हो रहा है तो वह समस्या को उनके समक्ष रखे। संजय पराशर ने कहा कि इस समय करीब तीन नाविक जो कि भारतीय हैं, अपनी सेवाएं मर्चेंट नेवी दे दे रहे हैं , जोकि पूरे विश्व की नाविकाें का 10% है । उन्होंने कहा कि मर्चेंट नेवी में कैरियर बनाने के अपार अवसर हैं, लेकिन गैरकानूनी तरीके और ठगी करने वाले एजेंटों से बचना चाहिए। अपने पैतृक गांव स्वाणा में पहुंचे संजय ने कहा कि मर्चेंट नेवी में जाने वाले युवा ठगी और गलत एजेंटों के पास नहीं फंसेगे तो उन्हें आगे भी कोई दिक्कत नहीं होगी।Conclusion:
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