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नौणी विवि सोलन में प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का आयोजन, महिला किसानों को दी गई प्राकृतिक खेती की जानकारी

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Published : Mar 9, 2022, 6:24 PM IST

नौणी विवि में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय कार्यशाला (state level agricultural workshop) का आयोजन किया गया है. कार्यशाला के दूसरे दिन प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने खेती में महिलाओं की भूमिका और प्राकृतिक खेती की जरूरत क्यों विषय पर जानकारी दी. इस तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रदेश भर की 721 उत्कृष्ट महिला किसान हिस्सा ले रही हैं.

state level agricultural workshop
नौणी विवि में स्टेट लेवल वर्कशॉप.

सोलन: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की ओर से आयोजित तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का बुधवार यानि आज दूसरा दिन है. नौणी विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती से परिवार समृद्धि विषय को लेकर आयोजित इस प्रदेश स्तरीय कार्यशाला (state level agricultural workshop) में प्रदेश भर की 721 उत्कृष्ट महिला किसान और 82 खंड तकनीकी प्रबंधक और सहायक तकनीकी प्रबंधकों ने भाग लिया. इस मौके पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने खेती में महिलाओं की भूमिका और प्राकृतिक खेती की जरूरत क्यों विषय पर जानकारी दी.


प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 1 लाख 68 हजार किसान इस खेती विधि को अपने खेतों में कर रहे हैं और इसमें से 95 हजार महिला किसान हैं. रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत के साथ मानव स्वास्थ्य में विपरीत असर देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती अभियान को चले हुए चार साल का समय हो चुका है, लेकिन अभी भी कई लोग इसे जैविक खेती से जोड़ते हैं.

उन्होंने बताया कि यह खेती विधि जैविक खेती विधि से पूरी तरह भिन्न है और इसमें किसान-बागवानों की बाजार पर से निर्भरता खत्म होती है. 8 मार्च को हमारे पड़ोसी राज्य हरियाणा ने प्राकृतिक खेती को विधिवत रूप से अपनाया है. उन्होंने बताया कि हरियाणा ने भी हमारे मॉडल को अपनाया है और अब उनकी ओर से हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षक किसानों की मांग रखी गई है.


इसके अलावा उन्होंने कहा कि कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है. ऐसे में प्राकृतिक खेती ही एकमात्र ऐसा विकल्प है जो किसान को नुकसान से बचाएगी और किसानों के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित करेगी. कार्यशाला के दौरान प्राकृतिक खेती किसानों के प्रमाणीकरण, सतत् खाद्य प्रणाली और बीज उत्पादन के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी. इस मौके पर प्रदेश के सभी जिलों से आई महिला किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। महिला किसानों ने बताया कि इस खेती को अपनाने के बाद उनके उत्पादन में किसी तरह की गिरावट नहीं आई है। बल्कि अब वे समूह बनाकर अतिरिक्त उत्पादित सब्जियों और अनाजों को बेच रही हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो रही है.

कल राज्यपाल करेंगे महिला किसानों से संवाद- तीन दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन वीरवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर महिला किसानों के साथ संवाद करेंगे. इस दौरान महिला किसान प्राकृतिक खेती पर अपने अनुभवों को उनके साथ साझा करेंगे. इस दौरान राज्यपाल किसानों को प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी देंगे. इसके अलावा इस मौके पर कृषि सचिव व प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के परिदृश्य पर प्रस्तुति देंगे.

ये भी पढ़ें: सोलन में सस्ते पानी पर राजनीति, मदन ठाकुर बोले- सरकार पर आरोप लगाने के बजाय कांग्रेस शहर की जनता से मांगे माफी

सोलन: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की ओर से आयोजित तीन दिवसीय प्रदेश स्तरीय कार्यशाला का बुधवार यानि आज दूसरा दिन है. नौणी विश्वविद्यालय में प्राकृतिक खेती से परिवार समृद्धि विषय को लेकर आयोजित इस प्रदेश स्तरीय कार्यशाला (state level agricultural workshop) में प्रदेश भर की 721 उत्कृष्ट महिला किसान और 82 खंड तकनीकी प्रबंधक और सहायक तकनीकी प्रबंधकों ने भाग लिया. इस मौके पर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने खेती में महिलाओं की भूमिका और प्राकृतिक खेती की जरूरत क्यों विषय पर जानकारी दी.


प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 1 लाख 68 हजार किसान इस खेती विधि को अपने खेतों में कर रहे हैं और इसमें से 95 हजार महिला किसान हैं. रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत के साथ मानव स्वास्थ्य में विपरीत असर देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती अभियान को चले हुए चार साल का समय हो चुका है, लेकिन अभी भी कई लोग इसे जैविक खेती से जोड़ते हैं.

उन्होंने बताया कि यह खेती विधि जैविक खेती विधि से पूरी तरह भिन्न है और इसमें किसान-बागवानों की बाजार पर से निर्भरता खत्म होती है. 8 मार्च को हमारे पड़ोसी राज्य हरियाणा ने प्राकृतिक खेती को विधिवत रूप से अपनाया है. उन्होंने बताया कि हरियाणा ने भी हमारे मॉडल को अपनाया है और अब उनकी ओर से हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षक किसानों की मांग रखी गई है.


इसके अलावा उन्होंने कहा कि कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है. ऐसे में प्राकृतिक खेती ही एकमात्र ऐसा विकल्प है जो किसान को नुकसान से बचाएगी और किसानों के दीर्घकालिक कल्याण को सुनिश्चित करेगी. कार्यशाला के दौरान प्राकृतिक खेती किसानों के प्रमाणीकरण, सतत् खाद्य प्रणाली और बीज उत्पादन के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी. इस मौके पर प्रदेश के सभी जिलों से आई महिला किसानों ने अपने अनुभव साझा किए। महिला किसानों ने बताया कि इस खेती को अपनाने के बाद उनके उत्पादन में किसी तरह की गिरावट नहीं आई है। बल्कि अब वे समूह बनाकर अतिरिक्त उत्पादित सब्जियों और अनाजों को बेच रही हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो रही है.

कल राज्यपाल करेंगे महिला किसानों से संवाद- तीन दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन वीरवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर महिला किसानों के साथ संवाद करेंगे. इस दौरान महिला किसान प्राकृतिक खेती पर अपने अनुभवों को उनके साथ साझा करेंगे. इस दौरान राज्यपाल किसानों को प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभों के बारे में जानकारी देंगे. इसके अलावा इस मौके पर कृषि सचिव व प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर प्रदेश में प्राकृतिक खेती के परिदृश्य पर प्रस्तुति देंगे.

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