हमीरपुर: मेडिकल कॉलेज (Medical college)एवं अस्पताल में दिल में छेद की बीमारी से जूझ रहे 15 दिन के नवजात को टांडा(Tanda) ले जाने के लिए एंबुलेंस(Ambulances) नहीं मिली. नवजात के दिल में छेद होने के कारण उपचार के लिए सुबह करीब 11.30 बजे टांडा मेडिकल कॉलेज(Tanda Medical College) के लिए रेफर किया गया, लेकिन रात 7:30 बजे तक नवजात को टांडा ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाई.
मामले की सूचना पर ईटीवी भारत की टीम(ETV BHARAT team) मेडिकल कॉलेज पहुंचे और अधिकारियों से बातचीत की. इसके बाद करीब रात 8 बजे एंबुलेंस उपलब्ध हुई, तब कहीं जाकर बच्चे को टांडा मेडिकल कॉलेज के लिए ले जाया गया.
नवजात के पिता सुदेश कुमार ने बताया कि उनके बच्चे के दिल में छेद है. ऐसे में बच्चे को टांडा मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया. कई घंटों तक एंबुलेंस नहीं मिल पाने से निराश बच्चे के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधकों को सवालों के कटघरे में खड़ा किया. पंचायत समिति के उपाध्यक्ष संजीव कुमार ने बताया यदि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन या 108 एंबुलेंस प्रबंधन सक्षम नहीं था, तो पहले ही परिजनों को सूचित कर देना चाहिए था, ताकि अन्य प्रबंध किया जाता.
दिल में छेद होने के कारण इसे ऑक्सीजन के साथ मशीन पर रखा गया था. मंगलवार के दिन चिकित्सकों ने नवजात को मेडिकल कॉलेज टांडा के लिए रेफर कर दिया. रेफर किए जाने की बात सुबह 10 बजे हुई, जबकि रेफर करने की सभी औपचारिकताएं करीब 11:30 बजे तक पूरी की गई. उसके बाद एंबुलेंस की तलाश शुरू हुई. कभी डॉक्टरों तो कभी प्रबंधन वर्ग के चक्कर लगाने के बाद भी मासूम के परिजनों को एंबुलेंस नहीं मिली. जब कॉल की गई तो पता चला कि एंबुलेंस कहीं बाहर है.
आरकेजीएमसी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट रमेश चौहान ने बताया बच्चे के परिजनों को कहा गया था कि यदि एंबुलेंस नहीं मिल पाएगी तो मुझसे बात करें. उसके बाद भी उन्होंने बात नहीं की. हालांकि गंभीर हालत में जीवनदायनी एबुलेंस उपलब्ध है. इस एंबुलेंस की सुविधा उन्हें समय पर मिल जाती, यदि वास्तव स्थिति के बारे में सही से बता देते. रात 8 बजे एंबुलेंस उपलब्ध कराई दी गई है.
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