सोलनः सोलन के मॉल रोड पर सोमवार को समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल की अध्यक्षता में सीएए के समर्थन रैली का आयोजन किया गया. इस दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सीएए के समर्थन में नारेबाजी की और लोगों की इस कानून की जानकारी दी.
कैबिनेट मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि इन दिनों सीएए देश में चर्चा का विषय है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दल लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने और अपनी राजनीतिक हसरतों को पूरा करने के लिए लोगों में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर भ्रम फैला रहे हैं.
राजीव सैजल ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक दल देश में दंगे फैलाने का कार्य कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि इस रैली के माध्यम से वह ऐसे लोगों का विरोध करते हैं जो सीएए का विरोध कर रहे हैं और लोगों में भ्रम फैला रहे हैं.
सीएए ऐसे लोगों का मुद्दा है जो भारत की तरफ उम्मीद की नजर से देखते हैं, पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में जिस तरह से अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और माताओं बहनों के बलात्कार की खबरें आती हैं. उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है. भारत एक ऐसा देश है जहां हर एक धर्म के लोग शरण लेने के लिए यहां आते हैं.
पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति दयनीय
राजीव सैजल ने आरोप लगाया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पर विपक्षी दल सियासत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम को 3 पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ता झेल रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने के उद्देश्य से लाई है. उन्होंने कहा कि इस अधिनियम से किसी की भी नागरिकता नहीं जाएगी और ये बिल न ही यह किसी समुदाय या सम्प्रदाय के खिलाफ है.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि धर्म के आधार पर स्थापित हमारे तीन मुख्य पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की जनसंख्या घट रही है.
पाकिस्तान में वर्ष 1947 में अल्पसंख्यक जहां 23 प्रतिशत थे. वहीं, वर्ष 2011 में ये घटकर मात्र 3 प्रतिशत रह गए हैं. बांग्लादेश में हिन्दूओं की जनसंख्या 28 प्रतिशत से घटकर मात्र 08 प्रतिशत रह गई है. ये आंकड़े इन देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति बताने के लिए काफी हैं.
सिक्खों के पवित्र स्थल ननकाना साहिब में मजहबी नारे लगाना ये सिद्ध करता है कि कितने बुरे हालातों में अल्पसंख्यक रह रहें हैं. देशहित से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और सभी भारतीयों को यह समझना चाहिए कि यह अधिनियम देशहित के साथ-साथ भारत की वैश्विक प्रतिबद्धताओं के अनुरूप भी है.