सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी (Nauni University of Solan) में बुधवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय केवीक सम्मेलन का शुभारंभ हुआ. सम्मेलन (National KVK Conference at Nauni University) का मुख्य उद्देश्य देशभर से आए वैज्ञानिकों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करना है. सम्मेलन का शुभारंभ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया. इस दौरान वर्चुअल माध्यम से इस सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर भी शरीक हुए. कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और हिमाचल के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर भी मौजूद रहे.
इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) ने सम्मेलन में लगाई गई विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी का भी जायजा लिया. उन्होंने लोगों से जाना कि किस तरह से हिमाचल के साथ-साथ अन्य राज्यों में प्राक्रतिक खेती को बेहतर किया जा सकता है. वहीं, सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल में प्राकृतिक खेती के जनक है.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने देशभर में खाद्यान्नों को बढ़ाने का प्रयास किया है. 60 साल पहले पर्यावरण की स्थिति कुछ और थी आज कुछ और है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के किसानों की उन्नति और खुशहाली को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं. ऐसे में वैज्ञानिक एक संकल्प लेकर इस सम्मेलन से निकलें, ताकि किसान उन्नत हो सके.
जहर मुक्त खेती अपनाएं किसान: इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आज का सम्मेलन हिमाचल प्रदेश के लिए गौरव का विषय है, क्योंकि देशभर के केवीके केंद्रों से आए वैज्ञानिक उन खेतों में जाएंगे जहां हिमाचल के किसान प्राकृतिक खेती (Natural farming in Himachal) अपना रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत को कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए केंद्र सरकार तेजी से कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में हिमाचल का किसान लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी स्थिति संतोषजनक नहीं है. उन्होंने कहा कि हिमाचल के किसान जहर मुक्त खेती करें, ताकि इस ओर कार्य किया जा सके.
खेती को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की जरूरत: सम्मेलन के दौरान राज्य कृषि मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि हिमाचल प्राकृतिक खेती के संदर्भ में देश भर में एक मॉडल बनकर उभरा है. प्राकृतिक खेती को किस तरह से बढ़ाया जा सकता है, किस तरह से किसान इसको अपनाकर जहर मुक्त खेती कर सकते है, इस पर दो दिन तक इस सम्मेलन में विचार विमर्श किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करके जहां किसान जहर मुक्त खेती कर सकते हैं, वहीं दूसरी तरफ अपनी आय भी बढ़ा सकते है.
उन्होंने कहा कि आज के दौर में कृषि विज्ञान केंद्र किसानों के लिए बेहतर कार्य कर रहा है. नई टेक्नोलॉजी की खेती कैसे किसानों के खेतों तक पहुंचे, इसको लेकर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का सपना है कि किसानों की आय बढ़े, ऐसे में जब किसानों की फसल उन्नत होगी, तो निश्चित रूप से उनकी आय भी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि किसानो को वैज्ञानिकों द्वारा नई टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए.
1200 कृषि वैज्ञानिक जानेंगे प्राकृतिक खेती के गुर: इस राष्ट्रीय सम्मलेन में पूरे देश से लगभग 1200 कृषि वैज्ञानिक जिनमें देश के हर जिले में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों के अध्यक्ष, प्रसार शिक्षा निदेशक, अटारी के निदेशक, देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक एवं सभी उप महनिदेशक हिस्सा लें रहें है. वहीं, नीति आयोग सहित देश के विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं के प्रतिनिधि भी इस दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल हुए है.