सोलन: प्रदेश में मलेरिया के संदेहास्पद मामलों में मरीजों को रिपोर्ट (Malaria will now be tested at home ) के लिए 48 से 72 घंटे तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा. स्वास्थ्य विभाग अब हिमाचल में कोविड रैपिड किट (covid rapid kit in himachal) के तर्ज पर मलेरिया जांच कार्ड यानी रैपिड डायग्नोस्टिक किट हथियार के रूप में प्रयोग करेगा. खास बात यह है कि कार्ड टेस्ट रिपोर्ट मरीजों को 30 मिनट के भीतर मिल जाएगी. मलेरिया की रिपोर्ट जल्द आने से मरीज का इलाज भी जल्द संभव हो सकेगा. वहीं, स्वास्थ्य विभाग कार्ड टेस्ट के माध्यम से मरीज के घरद्वार ही मलेरिया की जांच होगी. प्रदेश में ऐसा पहली बार होगा कि मलेरिया की जांच भी कार्ड के जरिए की जाएगी.
गौर रहे कि अभी तक प्रदेश में मलेरिया की जांच स्लाइड (सूक्ष्मदर्शी जांच) के माध्यम से की जाती थी. स्लाइड माध्यम के जरिए सैंपल लेकर करीब 72 घंटे तक मशीन में जांचे जाते थे. इससे मरीजों को करीब तीन दिन तक रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता था और इसी बीच कोई इलाज शुरू नहीं हो पाता था. वहीं, कई बार सैंपल खराब होने से सही रिपोर्ट भी नहीं आती थी.
साथ ही लैब टेक्नीशियनों की कमी (shortage of lab technicians in himachal) के कारण भी जांच में देरी होती थी. इससे मरीज को परेशानी झेलनी पड़ती थी, लेकिन अब इस समस्या का समाधान कर दिया गया है और घर पर जाकर मरीजों के सैंपल जांचे जाएंगे. इसके लिए हेल्थ केयर वर्करों की ड्यूटी लगाई जाएगी. जो गांव-गांव में जाकर सैंपल लेकर मौके पर ही परीक्षण करेंगे और मौके पर ही रिपोर्ट तैयार कर मरीजों को सौंपेगे.
ये बोले अधिकारी: सोलन के जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. एके सिंह ने बताया कि मरीजों को प्रदेश में मलेरिया की जांच में ओर सुविधा दी जा रही है. रैपिड किट के माध्यम से जल्द मरीज अपनी जांच करवा सकते हैं. कार्ड टेस्ट के माध्यम से मरीज की आधे घंटे तक रिपोर्ट मिल जाएगी. प्रदेश में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की विशेष टीम (World Health Organization special team) ने भी दौरा किया है, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंपी हैं.
डब्ल्यूएचओ की टीम ने किया था दौरा: हिमाचल प्रदेश में हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की टीम ने मलेरिया को लेकर सर्वे किया. टीम ने यह सर्वे जिला सोलन, ऊना, सिरमौर, कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर समेत चंबा के कुछ इलाकों में सर्वे कर रिपोर्ट तैयार की. रिपोर्ट में लैब टेक्नीशियनों की कमी का भी उल्लेख किया गया. साथ ही रैपिड किट के हिमाचल में इस्तेमाल करने की अनुमति के लिए लिखा गया था. वहीं, रिपोर्ट में 72 घंटे में मलेरिया सैंपल के कोई औचित्य न होने की बात भी कही गई.
चिकित्सक व अन्य को दिया गया प्रशिक्षण: रैपिड किट से जांच के लिए चिकित्सकों और हेल्थ केयर वर्करों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. वहीं, जिला में किट भी उपलब्ध हो गई है. जल्द ही इन कीटों को पीएचसी तक पहुंचाया जाएगा ताकि मरीजों की जांच जल्द इसके माध्यम से शुरू हो सके.