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हिमाचल पर पूरी दुनिया की निगाहें, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की एक दिन में बनती हैं 2 लाख से 1 करोड़ टेबलेट्स

कोरोना वायरस से लड़ाई में अहम मानी जा रही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का उत्पादन बीबीएन के 10 उद्योगों में हो रहा है. इस दवा के उत्पादन के लिए प्रदेश में करीब 50 उद्योगों को सरकार ने लाइसेंस दिया है. ये उद्योग एक दिन में 2 लाख से 1 करोड़ गोलियों के उत्पादन की क्षमता रखते हैं.

Hydroxy chloroquine drug production in himachal pradesh
कोरोना से लड़ाई में गेमचेंजर बनी हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन
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Published : Apr 15, 2020, 8:56 PM IST

Updated : Apr 16, 2020, 11:41 AM IST

सोलन: कोरोना वायरस से लड़ाई में गेमचेंजर मानी जा रही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा को बनाने वाले उद्योगों पर इन दिनों देश ही नहीं विश्व की नजरें भी टिकी हुई हैं. हालांकि, यह दवा मलेरिया की है लेकिन कोरोना के इलाज में इस दवा का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कारण देश और विदेश में इस दवा की अचानक डिमांड बढ़ गई है. बीबीएन क्षेत्र प्रदेश की ही नहीं, बल्कि देश और विदेश से हो रही दवा की डिमांड को भी पूरा करने में सक्षम है. अमेरिका ने भी इस दवा के लिए भारत से डिमांड की थी.

कोरोना वायरस से जंग में अहम भूमिका निभाने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के उत्पादन में कच्चा माल रोड़ा बन रहा है. यही कारण है कि प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित करीब 38 उद्योगों में इसका उत्पादन शुरू नहीं हुआ है. वर्तमान में बीबीएन में करीब 10 उद्योगों में इस दवा का उत्पादन हो रहा है. यह उत्पादन उन उद्योगों में हो रहा है जिनके पास कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

वीडियो रिपोर्ट.

हिमाचल के 50 उद्योगों के पास दवा उत्पादन का लाइसेंस

डिप्टी ड्रग कंट्रोलर हिमाचल प्रदेश मनीष कपूर ने बताया कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के उत्पादन का लाइसेंस हिमाचल में करीब 50 उद्योगों के पास है. वहीं जिला सोलन के बीबीएन क्षेत्र में करीब 23 ऐसे उद्योग हैं जो इस दवा को बनाते हैं. एक उद्योग में प्रतिदिन 2 लाख से 1 करोड़ तक की गोलियां प्रतिदिन तैयार करने की क्षमता रखते हैं.

भारत में इस दवा का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को बीबीएन में स्थापित जिड्स कैडिला, सिपला, टोरेंट फार्मा और डॉ. रेड्डी लैब को लॉकडाउन में उद्योग को चलाने में आ रही सभी दिक्कतों को दूर करने के निर्देश दिए थे. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने इनके साथ-साथ अन्य फार्मा उद्योगों को दूसरे राज्यों और प्रदेश के अन्य जिलों में फंसे कर्मचारियों को लाने के लिए वन टाइम अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. करीब 10 उद्योगों को अब तक यह अनुमति मिल चुकी है. इससे लग रहा है कि आने वाले दिनों में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का बड़ी मात्रा में उत्पादन होगा.

हिमाचल में होता है 40 फीसदी दवा का उत्पादन

आपको बता दें कि देश में कुल दवा के उत्पादन का 40 फीसद उत्पादन हिमाचल में ही होता है. यही कारण है कि इस दवा के लिए देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की नजर बीबीएन पर टिकी हुई है. बीबीएन की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में इस दवा का उत्पादन होता है. यह कंपनियां देश को आपूर्ति करने के साथ-साथ विदेशों को भी निर्यात करती है. हिमाचल प्रदेश में करीब 50 ऐसे उद्योग है जो हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का उत्पादन करते हैं. वहीं अगर बात जिला सोलन के बद्दी, बरोटिवाला, नालागढ़ क्षेत्र की की जाए तो जिला सोलन में 23 उद्योग है जो उस दवा को बनाते हैं.

ब्राजील ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की संजीवनी से की थी तुलना

दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है और भारत हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का भारत सबसे बड़ा निर्यातक हैं. इस लिए अमेरिकी समेत करीब 30 देशों ने भारत से इस दवा के निर्यात की मांग की थी. ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने पीएम मोदी लिखे पत्र में कहा था कि, "जिस तरह से हनुमान ने भगवान राम के भाई लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हिमालय से संजीवनी लाए थे, उसी तरह भारत की ओर से यह मदद लोगों की जिंदगी बचाएगी".

सोलन: कोरोना वायरस से लड़ाई में गेमचेंजर मानी जा रही हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा को बनाने वाले उद्योगों पर इन दिनों देश ही नहीं विश्व की नजरें भी टिकी हुई हैं. हालांकि, यह दवा मलेरिया की है लेकिन कोरोना के इलाज में इस दवा का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कारण देश और विदेश में इस दवा की अचानक डिमांड बढ़ गई है. बीबीएन क्षेत्र प्रदेश की ही नहीं, बल्कि देश और विदेश से हो रही दवा की डिमांड को भी पूरा करने में सक्षम है. अमेरिका ने भी इस दवा के लिए भारत से डिमांड की थी.

कोरोना वायरस से जंग में अहम भूमिका निभाने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा के उत्पादन में कच्चा माल रोड़ा बन रहा है. यही कारण है कि प्रदेश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित करीब 38 उद्योगों में इसका उत्पादन शुरू नहीं हुआ है. वर्तमान में बीबीएन में करीब 10 उद्योगों में इस दवा का उत्पादन हो रहा है. यह उत्पादन उन उद्योगों में हो रहा है जिनके पास कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है.

वीडियो रिपोर्ट.

हिमाचल के 50 उद्योगों के पास दवा उत्पादन का लाइसेंस

डिप्टी ड्रग कंट्रोलर हिमाचल प्रदेश मनीष कपूर ने बताया कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के उत्पादन का लाइसेंस हिमाचल में करीब 50 उद्योगों के पास है. वहीं जिला सोलन के बीबीएन क्षेत्र में करीब 23 ऐसे उद्योग हैं जो इस दवा को बनाते हैं. एक उद्योग में प्रतिदिन 2 लाख से 1 करोड़ तक की गोलियां प्रतिदिन तैयार करने की क्षमता रखते हैं.

भारत में इस दवा का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को बीबीएन में स्थापित जिड्स कैडिला, सिपला, टोरेंट फार्मा और डॉ. रेड्डी लैब को लॉकडाउन में उद्योग को चलाने में आ रही सभी दिक्कतों को दूर करने के निर्देश दिए थे. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने इनके साथ-साथ अन्य फार्मा उद्योगों को दूसरे राज्यों और प्रदेश के अन्य जिलों में फंसे कर्मचारियों को लाने के लिए वन टाइम अनुमति देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. करीब 10 उद्योगों को अब तक यह अनुमति मिल चुकी है. इससे लग रहा है कि आने वाले दिनों में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का बड़ी मात्रा में उत्पादन होगा.

हिमाचल में होता है 40 फीसदी दवा का उत्पादन

आपको बता दें कि देश में कुल दवा के उत्पादन का 40 फीसद उत्पादन हिमाचल में ही होता है. यही कारण है कि इस दवा के लिए देश की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की नजर बीबीएन पर टिकी हुई है. बीबीएन की कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों में इस दवा का उत्पादन होता है. यह कंपनियां देश को आपूर्ति करने के साथ-साथ विदेशों को भी निर्यात करती है. हिमाचल प्रदेश में करीब 50 ऐसे उद्योग है जो हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का उत्पादन करते हैं. वहीं अगर बात जिला सोलन के बद्दी, बरोटिवाला, नालागढ़ क्षेत्र की की जाए तो जिला सोलन में 23 उद्योग है जो उस दवा को बनाते हैं.

ब्राजील ने हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की संजीवनी से की थी तुलना

दुनिया भर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है और भारत हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन दवा का भारत सबसे बड़ा निर्यातक हैं. इस लिए अमेरिकी समेत करीब 30 देशों ने भारत से इस दवा के निर्यात की मांग की थी. ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने पीएम मोदी लिखे पत्र में कहा था कि, "जिस तरह से हनुमान ने भगवान राम के भाई लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हिमालय से संजीवनी लाए थे, उसी तरह भारत की ओर से यह मदद लोगों की जिंदगी बचाएगी".

Last Updated : Apr 16, 2020, 11:41 AM IST
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