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Himachal Ropeway Accident: केबल कार रोपवे फंसने की होगी मजिस्ट्रेट जांच, सरकार के आदेशों के बाद टीम गठित - himachal pradesh news

हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में सोमवार (Parwanoo Timber Trail Ropeway accident) को बीच में रुकी ट्रॉली फंसने मामले की मजिस्ट्रेट जांच की जाएगी. हादसे के बाद मंगलवार को टिंबर ट्रेल रिसॉर्ट (टीटीआर) के ट्रॉली ऑपरेटरों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. मंगलवार को पुलिस की टीम एएसपी सोलन अशोक वर्मा (Himachal Ropeway Accident) की अगुवाई में रिसॉर्ट पहुंची. यहां ट्रॉली को ऑपरेट करने वाले तकनीकी कर्मचारियों से पूछताछ के बाद जांच टीम ने रोपवे प्वाइंट का निरीक्षण किया.

Himachal Ropeway Accident
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Published : Jun 21, 2022, 9:48 PM IST

कसौली/सोलन: हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में सोमवार को बीच में रुकी ट्रॉली फंसने मामले की मजिस्ट्रेट जांच की जाएगी. सरकार की ओर से जारी आदेशों के बाद कमेटी बनाई गई है. एडीसी जफर इकबाल की अध्यक्षता में टीम का गठन किया गया है. अब टीम के द्वारा जांच करने के बाद रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी. रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही हादसे के असल कारणों का पता चल सकेगा.

वहीं, हादसे के बाद मंगलवार को टिंबर ट्रेल रिसॉर्ट (टीटीआर) के ट्रॉली ऑपरेटरों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. मंगलवार को पुलिस की टीम एएसपी सोलन अशोक वर्मा की अगुवाई में रिसॉर्ट पहुंची. यहां ट्रॉली को ऑपरेट करने वाले तकनीकी कर्मचारियों से पूछताछ के बाद जांच टीम ने रोपवे प्वाइंट का निरीक्षण किया. उधर, उपायुक्त कृतिका कुलहरी ने कहा कि सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के लिए टीम का गठन कर दिया है.

मई में हुआ था निरीक्षण: बताया जा रहा है कि बीते मई में तकनीकी कमेटी ने रोपवे का निरीक्षण किया था. उन्होंने रिपोर्ट सही पाए जाने के बाद आगामी छह माह के संचालन के लिए हरी झंडी दी थी. अधीक्षण अभियंता (मेकेनिकल) लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञों की टीम ने भी बीते दिसंबर में निरीक्षण किया था. दोनों रिपोर्टों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. निरीक्षण के एक माह बाद ही रोपवे में तकनीकी खराबी आने से अब कई सवाल खड़े हो गए हैं.

ऐसे होती है रोपवे की जांच: रोपवे जांच के लिए दो तरह (Parwanoo Timber Trail Ropeway accident) के टेस्ट होते हैं. पुर्जों और वायर रोपवे का अल्ट्रासोनिक टेस्ट होता है. इसमें पुर्जों और वायर रोप में छोटी से छोटी खामी का पता लगाया जाता है. वायर रोप की जांच के लिए केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनवाद झारखंड लैब की ओर से हर छह माह बाद जांच की जाती है. एनडीटी टेस्ट में पुर्जों और अन्य चीजों में फाल्ट का पता लगाया जाता है. यह टेस्ट नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेटरीज की ओर से किया जाता है. कुछ पुर्जों को छह माह में बदलना पड़ता है.

दो तरह की टीमें करती हैं जांच: रोपवे की जांच दो तरह की टीमें करती हैं. पहली टीम अधीक्षण अभियंता की अगुवाई में जांच करती है जबकि दूसरी टीम अधिशाषी अभियंता की अगुवाई में निरीक्षण करती है. अधीक्षण अभियंता की निगरानी में टीम साल में एक बार निरीक्षण करती है. इस दौरान सभी तरह की जांच होती है, जिसका रिकॉर्ड लॉगबुक में भी रहता है. दूसरी टीम हर छह माह में जांच करती है. इस दौरान भारत की मान्यता प्राप्त लैब से भी विशेषज्ञों को जांच में शामिल किया जाता है.

छह घंटे हवा में अटकी थी 11 लोगों की सांसें: बीते (Himachal Ropeway Accident) सोमवार को केबल कार रोलर खराब होने की वजह से ट्रॉली अचानक रास्ते में ही रुक गई थी. इससे जमीन से 150 फीट ऊंचाई पर दिल्ली के पांच परिवारों के 10 पर्यटकों सहित 11 लोगों की सांसें छह घंटे तक हवा में अटकी रहीं. बाद में इन सभी को रस्सी के सहारे रेस्क्यू कर उतारा गया था.

नहीं चलेगा रोपवे: हादसे के बाद रोपवे को जांच होने तक चलने से रोक लगा दी है. जब तक जांच पूरी नहीं है तब तक प्रबंधक इसका संचालन नहीं कर सके सकते. वहीं हादसे के बाद से बुकिंग भी कैंसिल होनी शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें- करसोग में पेयजल योजना में लापरवाही बरतने पर ठेकेदार पर गिरेगी गाज, अधिशाषी अभियंता ने दिए टेंडर रद्द करने के आदेश

कसौली/सोलन: हिमाचल प्रदेश के प्रवेश द्वार परवाणू में सोमवार को बीच में रुकी ट्रॉली फंसने मामले की मजिस्ट्रेट जांच की जाएगी. सरकार की ओर से जारी आदेशों के बाद कमेटी बनाई गई है. एडीसी जफर इकबाल की अध्यक्षता में टीम का गठन किया गया है. अब टीम के द्वारा जांच करने के बाद रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी. रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही हादसे के असल कारणों का पता चल सकेगा.

वहीं, हादसे के बाद मंगलवार को टिंबर ट्रेल रिसॉर्ट (टीटीआर) के ट्रॉली ऑपरेटरों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. मंगलवार को पुलिस की टीम एएसपी सोलन अशोक वर्मा की अगुवाई में रिसॉर्ट पहुंची. यहां ट्रॉली को ऑपरेट करने वाले तकनीकी कर्मचारियों से पूछताछ के बाद जांच टीम ने रोपवे प्वाइंट का निरीक्षण किया. उधर, उपायुक्त कृतिका कुलहरी ने कहा कि सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के लिए टीम का गठन कर दिया है.

मई में हुआ था निरीक्षण: बताया जा रहा है कि बीते मई में तकनीकी कमेटी ने रोपवे का निरीक्षण किया था. उन्होंने रिपोर्ट सही पाए जाने के बाद आगामी छह माह के संचालन के लिए हरी झंडी दी थी. अधीक्षण अभियंता (मेकेनिकल) लोक निर्माण विभाग की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञों की टीम ने भी बीते दिसंबर में निरीक्षण किया था. दोनों रिपोर्टों को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया गया है. निरीक्षण के एक माह बाद ही रोपवे में तकनीकी खराबी आने से अब कई सवाल खड़े हो गए हैं.

ऐसे होती है रोपवे की जांच: रोपवे जांच के लिए दो तरह (Parwanoo Timber Trail Ropeway accident) के टेस्ट होते हैं. पुर्जों और वायर रोपवे का अल्ट्रासोनिक टेस्ट होता है. इसमें पुर्जों और वायर रोप में छोटी से छोटी खामी का पता लगाया जाता है. वायर रोप की जांच के लिए केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान धनवाद झारखंड लैब की ओर से हर छह माह बाद जांच की जाती है. एनडीटी टेस्ट में पुर्जों और अन्य चीजों में फाल्ट का पता लगाया जाता है. यह टेस्ट नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड केलिब्रेशन लेबोरेटरीज की ओर से किया जाता है. कुछ पुर्जों को छह माह में बदलना पड़ता है.

दो तरह की टीमें करती हैं जांच: रोपवे की जांच दो तरह की टीमें करती हैं. पहली टीम अधीक्षण अभियंता की अगुवाई में जांच करती है जबकि दूसरी टीम अधिशाषी अभियंता की अगुवाई में निरीक्षण करती है. अधीक्षण अभियंता की निगरानी में टीम साल में एक बार निरीक्षण करती है. इस दौरान सभी तरह की जांच होती है, जिसका रिकॉर्ड लॉगबुक में भी रहता है. दूसरी टीम हर छह माह में जांच करती है. इस दौरान भारत की मान्यता प्राप्त लैब से भी विशेषज्ञों को जांच में शामिल किया जाता है.

छह घंटे हवा में अटकी थी 11 लोगों की सांसें: बीते (Himachal Ropeway Accident) सोमवार को केबल कार रोलर खराब होने की वजह से ट्रॉली अचानक रास्ते में ही रुक गई थी. इससे जमीन से 150 फीट ऊंचाई पर दिल्ली के पांच परिवारों के 10 पर्यटकों सहित 11 लोगों की सांसें छह घंटे तक हवा में अटकी रहीं. बाद में इन सभी को रस्सी के सहारे रेस्क्यू कर उतारा गया था.

नहीं चलेगा रोपवे: हादसे के बाद रोपवे को जांच होने तक चलने से रोक लगा दी है. जब तक जांच पूरी नहीं है तब तक प्रबंधक इसका संचालन नहीं कर सके सकते. वहीं हादसे के बाद से बुकिंग भी कैंसिल होनी शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें- करसोग में पेयजल योजना में लापरवाही बरतने पर ठेकेदार पर गिरेगी गाज, अधिशाषी अभियंता ने दिए टेंडर रद्द करने के आदेश

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