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मां शूलिनी के दरबार मे सुबह से लगा श्रद्धालुओं का तांता, नियमों के साथ मंदिरों में हो रहा दर्शन

आज से नवरात्र शुरू हो चुके हैं मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का आना जाना लगा है, मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइज और थर्मल स्कैनिंग के बाद ही लोगों को मंदिर में प्रवेश मिल रहा है मंदिर में प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगी है. इस बार नवरात्र पर्व 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक चलने वाले हैं.

Devotees reaching Shulini temple for darshan in solan
मां शूलिनी मंदिर.
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Published : Oct 17, 2020, 11:31 AM IST

सोलन: आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. कोरोना संकट के बीच नवरात्रों में मंदिर खुलना और लोगों का मां के दर्शन करना लोगों के लिए किसी शांति से कम नहीं है. शारदीय नवरात्र मां नव दुर्गा जी की उपासना का पर्व हर साल श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण यह संभव ना हो पाया. इस बार नवरात्र पर्व 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक चलने वाले हैं.

धर्म ग्रंथों और के अनुसार, शारदीय नवरात्र भगवती दुर्गा जी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है. नवरात्र के पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, जो अपने भक्तों को खुशी शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है. नवरात्र का हर दिन देवी के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं नवरात्र का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है.

वीडियो रिपोर्ट.

ये कहते है पुजारी
मां शूलिनी मंदिर के पुजारी रामस्वरूप शर्मा का कहना है कि आज से नवरात्र शुरू हो चुके हैं मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का आना जाना लगा है, मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइज और थर्मल स्कैनिंग के बाद ही लोगों को मंदिर में प्रवेश मिल रहा है मंदिर में प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगी है.

मंदिरों मे बुजुर्ग ,गर्भवती महिलाओं और बच्चों के आने पर रोक
श्रद्धालुओं के लिए मंदिरों के कपाट खुल चुके हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को मंदिर के द्वार, दीवारें, धार्मिक पुस्तकें मूर्तियां को छूने की इजाजत नहीं है, ना ही मंदिरों में घंटी बजाने की अनुमति है. उन्होंने कहा कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से छोटे बच्चे के मंदिरों को प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई है.

भक्तों के चेहरे की रौनक लौटी, बोले मां के दीदार से मिला सुकून
वहीं, मंदिर में मां के दर्शन करने आ रहे भक्तों का कहना है कि लंबे अरसे के बाद उन्हें मंदिर के अंदर मां के दर्शन करने को मिल रहे हैं. उनका कहना है कि वे रोजाना मंदिर के बाहर से ही माथा टेक कर मां से महामारी के लड़ने की कामना करते थे, लेकिन आज जिस तरह से मां के कपाट खोले गए हैं और मां के दर्शन उन्हें साक्षात करने को मिल रहे हैं उसे देखकर उन्हें सुकून मिल रहा है.

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रदेश में नवरात्रि के दिनों में मंदिर तो खुल रहे हैं लेकिन आस्था के साथ-साथ लोगों को कोरोना वायरस अभी ध्यान रखा जा रहा है. इस बात में दो राय नहीं है कि प्रशासन और सरकार जनता की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन जिम्मेदारी सबकी बराबर की है.

सोलन: आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है. कोरोना संकट के बीच नवरात्रों में मंदिर खुलना और लोगों का मां के दर्शन करना लोगों के लिए किसी शांति से कम नहीं है. शारदीय नवरात्र मां नव दुर्गा जी की उपासना का पर्व हर साल श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण यह संभव ना हो पाया. इस बार नवरात्र पर्व 17 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक चलने वाले हैं.

धर्म ग्रंथों और के अनुसार, शारदीय नवरात्र भगवती दुर्गा जी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है. नवरात्र के पावन दिनों में हर दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, जो अपने भक्तों को खुशी शक्ति और ज्ञान प्रदान करती है. नवरात्र का हर दिन देवी के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरूप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं नवरात्र का पर्व शक्ति की उपासना का पर्व है.

वीडियो रिपोर्ट.

ये कहते है पुजारी
मां शूलिनी मंदिर के पुजारी रामस्वरूप शर्मा का कहना है कि आज से नवरात्र शुरू हो चुके हैं मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का आना जाना लगा है, मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइज और थर्मल स्कैनिंग के बाद ही लोगों को मंदिर में प्रवेश मिल रहा है मंदिर में प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगी है.

मंदिरों मे बुजुर्ग ,गर्भवती महिलाओं और बच्चों के आने पर रोक
श्रद्धालुओं के लिए मंदिरों के कपाट खुल चुके हैं, लेकिन श्रद्धालुओं को मंदिर के द्वार, दीवारें, धार्मिक पुस्तकें मूर्तियां को छूने की इजाजत नहीं है, ना ही मंदिरों में घंटी बजाने की अनुमति है. उन्होंने कहा कि 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और 10 साल से छोटे बच्चे के मंदिरों को प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई है.

भक्तों के चेहरे की रौनक लौटी, बोले मां के दीदार से मिला सुकून
वहीं, मंदिर में मां के दर्शन करने आ रहे भक्तों का कहना है कि लंबे अरसे के बाद उन्हें मंदिर के अंदर मां के दर्शन करने को मिल रहे हैं. उनका कहना है कि वे रोजाना मंदिर के बाहर से ही माथा टेक कर मां से महामारी के लड़ने की कामना करते थे, लेकिन आज जिस तरह से मां के कपाट खोले गए हैं और मां के दर्शन उन्हें साक्षात करने को मिल रहे हैं उसे देखकर उन्हें सुकून मिल रहा है.

कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच प्रदेश में नवरात्रि के दिनों में मंदिर तो खुल रहे हैं लेकिन आस्था के साथ-साथ लोगों को कोरोना वायरस अभी ध्यान रखा जा रहा है. इस बात में दो राय नहीं है कि प्रशासन और सरकार जनता की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन जिम्मेदारी सबकी बराबर की है.

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