सोलन: प्राइमरी स्कूल सलोगड़ा की जर्जर और दयनीय हालत लेकर आज वीरवार को अभिभावक संघ सोलन और ग्रामीणों ने आज रोष प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार से जल्द से जल्द बच्चों के लिए स्कूल बनवाने की मांग की है. फोरलेन निर्माण के बाद एनएच पांच के साथ बने प्राइमरी स्कूल सलोगड़ा की बिल्डिंग में दरारें आ चुकी है. जिससे वहां पर बच्चों के बैठना सुरक्षित नहीं हैं. वहीं, आज रोष प्रदर्शन के दौरान अभिभावक संघ सोलन और स्थानीय ग्रामीणों ने रोष प्रदर्शन करते हुए कहा कि अभी तक न जाने कितनी बार ज्ञापन और आश्वासन दिये जा चुके है लेकिन न तो प्रशासन अभी तक कुछ कर पाया है और न ही सरकार इस कड़ी में कुछ कर पाई है.
मीडिया को जानकारी देते हुए अभिभावक संघ सोलन के अध्यक्ष मनोज कश्यप ने कहा कि पिछले तीन चार सालों से सलोगड़ा प्राइमरी स्कूल की हालत जर्जर और दयनीय है जिसके बारे में न जाने ग्रामीण और यहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक कितनी बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन आज तक इस बारे में कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है. मनोज ने कहा कि एक बार फिर बरसात का मौसम आ चुका है. ऐसे में एनएच किनारे बनी पुलियों से पानी स्कूल की बिल्डिंग पर आ रहा है, जिससे स्कूल की बिल्डिंग पर और भी ज्यादा खतरा बन चुका है. उन्होंने कहा कि इस स्कूल में करीब 150 से 200 बच्चे पढ़ते हैं जिन्हें अब दो निजी कमरों में पढ़ाया जा रहा है. जिसकी हालत भी दयनीय है. मनोज ने कहा कि सरकार और प्रशासन जल्द से जल्द सलोगड़ा प्राइमरी स्कूल बनाए, ताकि यहां पर पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर सुविधा और बेहतर शिक्षा मिल सके.
बता दें कि सलोगड़ा का प्राइमरी स्कूल 40 से 50 साल पुराना है. ऐसे में बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए यह कई गांव के लिए केंद्र हैं. करीब 4 साल पहले परवाणू से शिमला तक फोरलेन का कार्य शुरू हुआ था, ऐसे में फोरेलन की जद में सलोगड़ा स्कूल भी आ चुका है. स्कूल भवन में न तो महिला अध्यापकों के लिए शौचालय की सुविधा है और न ही पीने के पानी की सुविधा और तो और स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं है. हालांकि प्रशासन द्वारा स्कूल के लिए जमीन देखी जा रही है, लेकिन जिस तरह से स्कूल के ऊपर फोरलेन कम्पनी द्वारा पुलियों का निर्माण किया गया है, वह बरसात में कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है.
प्राइमरी स्कूल के साथ ही सेकेंडरी स्कूल भी हैं. ऐसे में बरसात में स्कूल भवन के ऊपर बनी पुलियां बड़ी तबाही का कारण बन सकती हैं. इससे बच्चों के साथ-साथ अध्यापकों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होना शुरू हो चुका है. स्कूल में न तो अध्यापकों को पानी की सुविधा मिल पा रही है और न ही शौचालय की. जिस कमरे में स्कूल का स्टाफ बैठ रहा है, वहां पर भी कमरे में दरारें आ चुकी हैं. शायद शिक्षा विभाग और प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है, तभी तो यह मामला पिछले 4 साल लटका नजर आ रहा है.
ये भी पढे़ं- Himachal Cabinet Meeting: अपने गृह जिले पर मेहरबान सीएम जयराम, कैबिनेट मीटिंग में मंडी को मिले कई तोहफे