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हिमाचल को देश का पहला प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए सरकार कृतसंकल्प: कंवर

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि ऊना जिला में 47 करोड़ रुपये की लागत से उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किया जा रहा है. इसमें भारतीय नस्ल की रेड सिंधी, साहीवाल, थारपारकर नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और अन्य कार्य किए जाएंगे.

organic farming in himachal
हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती
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Published : Oct 20, 2020, 12:35 PM IST

सोलन: प्रदेश के कृषि, पशुपालन मत्स्य पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार हिमाचल को पहला प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशाल किसान योजना के तहत 25 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं.

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि ऊना जिला में 47 करोड़ रुपये की लागत से उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किया जा रहा है. इसमें भारतीय नस्ल की रेड सिंधी, साहीवाल, थारपारकर नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और अन्य कार्य किए जाएंगे.

प्रदेश में पहाड़ी नस्ल की गाय को अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है. इस गाय को गौरी ब्रांड नाम दिया गया है. इस कार्य के लिए 10 करोड़ रुपये की परियोजना को भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है. केंद्र सरकार ने गोकुल ग्राम भी स्वीकृत किया है.

वीडियो

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मध्यम से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली पहाड़ी गाय की अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है. उन्होंने युवा किसानों से आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर प्रदेश सहित देश को रासायनिक जड़ से मुक्ति दिलाने में युवाओं आगे आएं.

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 12 जिलों के 80 विकास खंडों के 80,400 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वर्ष 1 लाख किसान और 20,000 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इस कार्यशाला में 79 युवा किसान भाग ले रहे हैं. इनमें से 57 स्नातक, 19 परास्नातक और एक पीएचडी है. उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वह लोग खुद आगे आकर प्राकृतिक खेती को अपनाएं ताकि वह लोग अपने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को एक रोल मॉडल की तरह सभी लोगों के सामने रख सके

सोलन: प्रदेश के कृषि, पशुपालन मत्स्य पालन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि सरकार हिमाचल को पहला प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए कृतसंकल्प है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशाल किसान योजना के तहत 25 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं.

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि ऊना जिला में 47 करोड़ रुपये की लागत से उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किया जा रहा है. इसमें भारतीय नस्ल की रेड सिंधी, साहीवाल, थारपारकर नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और अन्य कार्य किए जाएंगे.

प्रदेश में पहाड़ी नस्ल की गाय को अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है. इस गाय को गौरी ब्रांड नाम दिया गया है. इस कार्य के लिए 10 करोड़ रुपये की परियोजना को भारत सरकार से सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हो गई है. केंद्र सरकार ने गोकुल ग्राम भी स्वीकृत किया है.

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वीरेंद्र कंवर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मध्यम से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली पहाड़ी गाय की अच्छी नस्ल तैयार करने के लिए कार्य किया जा रहा है. उन्होंने युवा किसानों से आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती को अपनाकर प्रदेश सहित देश को रासायनिक जड़ से मुक्ति दिलाने में युवाओं आगे आएं.

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 12 जिलों के 80 विकास खंडों के 80,400 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वर्ष 1 लाख किसान और 20,000 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इस कार्यशाला में 79 युवा किसान भाग ले रहे हैं. इनमें से 57 स्नातक, 19 परास्नातक और एक पीएचडी है. उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वह लोग खुद आगे आकर प्राकृतिक खेती को अपनाएं ताकि वह लोग अपने क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को एक रोल मॉडल की तरह सभी लोगों के सामने रख सके

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