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पर्यावरण का सिरमौर हिमाचल: कार्बन क्रेडिट वाला एशिया का पहला राज्य, ग्रीन फैलिंग पर रोक, फॉरेस्ट कवर भी शानदार

हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट के लिए विश्व बैंक से पुरस्कृत किया गया है. वीरभद्र सिंह सरकार के समय हिमाचल को कार्बन क्रेडिट यानी (world environment day 2022) वातावरण से कार्बन कम करने के लिए 1.93 करोड़ रुपए की राशि इनाम के तौर पर मिली थी. भारत का पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश दुनिया के सामने मिसाल है. हिमाचल को पर्यावरण संरक्षण का सिरमौर कहा जा सकता है. इसकी कई वजहें हैं, आइए, एक-एक कर जानते हैं कि पर्यावरण संरक्षण में हिमाचल का क्या योगदान है.

world environment day and himachal pradesh
पर्यावरण का सिरमौर हिमाचल
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Published : Jun 4, 2022, 9:35 PM IST

शिमला: पूरी दुनिया इस समय पर्यावरण संकट की बात कर रहा है, लेकिन भारत का पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश दुनिया के सामने मिसाल है. हिमाचल को पर्यावरण संरक्षण का सिरमौर कहा जा सकता है. इसकी कई वजहें हैं, आइए, एक-एक कर जानते हैं कि पर्यावरण संरक्षण में हिमाचल का क्या योगदान है.

हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट के लिए विश्व बैंक से पुरस्कृत किया गया है. वीरभद्र सिंह सरकार के समय हिमाचल को कार्बन क्रेडिट यानी वातावरण से कार्बन कम करने के लिए 1.93 करोड़ रुपए की राशि इनाम के तौर पर मिली थी. हिमाचल प्रदेश में फॉरेस्ट कवर फिलहाल 27 फीसदी है जिसे साल 2030 तक 33 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है.

एक बूटा बेटी के नाम- हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण (world environment day and himachal pradesh) और फॉरेस्ट कवर बढ़ाने (Forest cover in Himachal) को लेकर एक अनूठी योजना शुरू की है. इस योजना में परिवार में बेटी के जन्म पर वन विभाग पांच पौधे और एक किट देता है. पौधे का नाम बेटी के नाम पर ही रखा जाता है. साथ ही वहां बेटी के नाम की पट्टिका लगाई जाती है. हिमाचल प्रदेश में कई जंगलों का स्वामित्व देवताओं के पास है. ऐसे जंगलों से कोई एक टहनी भी नहीं काट सकता. वहीं, राज्य सरकार ने ग्रीन फैलिंग यानी हरी टहनी के कटान पर रोक लगाई है.

वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए- हिमाचल प्रदेश में 15 साल में 20 करोड़ से अधिक पौधे रोपे हैं. इन पौधों की सर्वाइवल रेट अस्सी फीसदी है. राज्य के कुल क्षेत्रफल का 66 फीसदी हिस्सा अलग-अलग तरह के वनों से ढका है. हिमाचल में वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए सरकार ने चार अलग-अलग तरह की योजनाएं चलाई हैं. एक बूटा बेटी के नाम, विद्यार्थी वन मित्र योजना, वन समृद्धि-जन समृद्धि और सामुदायिक वन संवर्धन योजना उल्लेखनीय हैं.

पर्यावरण के अन्य पहलुओं की तरफ देखें तो हिमाचल प्रदेश देश का पहला (world environment day 2022) खुला शौच मुक्त राज्य है. यहां काफी पहले ही राज्य का खुला शौच मुक्त का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था. हिमाचल छह साल पहले खुले में शौच मुक्त घोषित हुआ है. इस उपलब्धि के लिए राज्य को विश्व बैंक से 155 करोड़ रुपए की ग्रांट भी मिली. यही नहीं, मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री आईएएस अकादमी में हिमाचल का ये मॉडल पढ़ाया गया है.

प्लास्टिक पर प्रतिबंध- देश में प्लास्टिक (World Environment Day 2022 India) पर प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल पहला राज्य है. हिमाचल ने बरसों पहले ही प्लास्टिक के खतरे को महसूस कर लिया था. वर्ष 1999 में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राज्य में प्लास्टिक के कैरी बैग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था. उसके बाद जयराम सरकार ने थर्मोकोल से बने कप-प्लेट भी बैन कर दिए. यही नहीं, प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण करने वाला भी हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है.

नेताओं को थैंक्यू बोलते हैं पेड़- हिमाचल की विधानसभा देश की पहली ई-विधानसभा है. यहां सारा काम पेपरलेस होता है. इस तरह हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं. सालाना 15 करोड़ रुपए के कागज की बचत होती है. हिमाचल विधानसभा छह साल पूर्व ई-विधानसभा हो चुकी है. देश के कई राज्य हिमाचल की ई-विधानसभा कार्यप्रणाली को अपने यहां लागू करना चाहते हैं. कई राज्य इस ई-विधान प्रणाली को देखने और सीखने के लिए हिमाचल आते हैं.

मलेशिया की पार्लियामेंट के अध्यक्ष अमीन पांदिकर 2018 में हिमाचल आए तो ई-विधान देखकर हैरान रह गए. ई-विधान का ये सफर आगे बढ़ा है. अब हिमाचल विधानसभा में बजट भी पेपरलेस पेश किया जाता है. साथ ही कैबिनेट मीटिंग भी पेपरलेस होती है. अब हिमाचल सचिवालय भी ई-सचिवालय होने वाला है. हिमाचल प्रदेश में पहले सेब की पैकिंग के लिए लकड़ी की पेटियां प्रयोग में लाई जाती थी. फिर बाद में इसे गत्ते की पेटियों में बदला गया. अस्सी के दशक में लकड़ी की पेटियां प्रयोग में लाया जाना बंद हो गया था.

इको वॉरियर- हिमाचल प्रदेश में इको वॉरियर के नाम से प्रादेशिक सेना है. राज्य सरकार ने मार्च 2006 को शिमला जिला के कुफरी में हिमाचल इको वॉरियर की स्थापना की थी. ये 133 प्रादेशिक सेना डोगरा रेजिमेंट की है. डेढ़ दशक के कार्यकाल में इको वॉरियर यूनिट ने अस्सी लाख पौधे रोपे हैं. वहीं, सात साल पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निजी भूमि से भी हरे पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

वन्य प्राणियों का संरक्षण- पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर हिमाचल प्रदेश ने शानदार काम किया है. हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां स्नो लैपर्ड व उसके शिकार बनने वाले जानवरों का मूल्यांकन किया जाता है. यहां स्नो लैपर्ड की गिनती का काम पूरा किया गया है. स्नो लैपर्ड हिमाचल प्रदेश का राज्य पशु है और पर्यावरण में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. हिमाचल में राज्य पक्षी जाजुराना के संवर्धन के लिए भी बेहतरीन काम हो रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार हिमाचल प्रदेश की पर्यावरण संरक्षण योजनाओं को वित्तायोग ने भी सराहा है.

शिमला: पूरी दुनिया इस समय पर्यावरण संकट की बात कर रहा है, लेकिन भारत का पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश दुनिया के सामने मिसाल है. हिमाचल को पर्यावरण संरक्षण का सिरमौर कहा जा सकता है. इसकी कई वजहें हैं, आइए, एक-एक कर जानते हैं कि पर्यावरण संरक्षण में हिमाचल का क्या योगदान है.

हिमाचल प्रदेश एशिया का पहला राज्य है, जिसे कार्बन क्रेडिट के लिए विश्व बैंक से पुरस्कृत किया गया है. वीरभद्र सिंह सरकार के समय हिमाचल को कार्बन क्रेडिट यानी वातावरण से कार्बन कम करने के लिए 1.93 करोड़ रुपए की राशि इनाम के तौर पर मिली थी. हिमाचल प्रदेश में फॉरेस्ट कवर फिलहाल 27 फीसदी है जिसे साल 2030 तक 33 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है.

एक बूटा बेटी के नाम- हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण (world environment day and himachal pradesh) और फॉरेस्ट कवर बढ़ाने (Forest cover in Himachal) को लेकर एक अनूठी योजना शुरू की है. इस योजना में परिवार में बेटी के जन्म पर वन विभाग पांच पौधे और एक किट देता है. पौधे का नाम बेटी के नाम पर ही रखा जाता है. साथ ही वहां बेटी के नाम की पट्टिका लगाई जाती है. हिमाचल प्रदेश में कई जंगलों का स्वामित्व देवताओं के पास है. ऐसे जंगलों से कोई एक टहनी भी नहीं काट सकता. वहीं, राज्य सरकार ने ग्रीन फैलिंग यानी हरी टहनी के कटान पर रोक लगाई है.

वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए- हिमाचल प्रदेश में 15 साल में 20 करोड़ से अधिक पौधे रोपे हैं. इन पौधों की सर्वाइवल रेट अस्सी फीसदी है. राज्य के कुल क्षेत्रफल का 66 फीसदी हिस्सा अलग-अलग तरह के वनों से ढका है. हिमाचल में वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए सरकार ने चार अलग-अलग तरह की योजनाएं चलाई हैं. एक बूटा बेटी के नाम, विद्यार्थी वन मित्र योजना, वन समृद्धि-जन समृद्धि और सामुदायिक वन संवर्धन योजना उल्लेखनीय हैं.

पर्यावरण के अन्य पहलुओं की तरफ देखें तो हिमाचल प्रदेश देश का पहला (world environment day 2022) खुला शौच मुक्त राज्य है. यहां काफी पहले ही राज्य का खुला शौच मुक्त का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था. हिमाचल छह साल पहले खुले में शौच मुक्त घोषित हुआ है. इस उपलब्धि के लिए राज्य को विश्व बैंक से 155 करोड़ रुपए की ग्रांट भी मिली. यही नहीं, मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री आईएएस अकादमी में हिमाचल का ये मॉडल पढ़ाया गया है.

प्लास्टिक पर प्रतिबंध- देश में प्लास्टिक (World Environment Day 2022 India) पर प्रतिबंध लगाने वाला हिमाचल पहला राज्य है. हिमाचल ने बरसों पहले ही प्लास्टिक के खतरे को महसूस कर लिया था. वर्ष 1999 में प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राज्य में प्लास्टिक के कैरी बैग पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था. उसके बाद जयराम सरकार ने थर्मोकोल से बने कप-प्लेट भी बैन कर दिए. यही नहीं, प्लास्टिक कचरे से सड़क निर्माण करने वाला भी हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है.

नेताओं को थैंक्यू बोलते हैं पेड़- हिमाचल की विधानसभा देश की पहली ई-विधानसभा है. यहां सारा काम पेपरलेस होता है. इस तरह हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं. सालाना 15 करोड़ रुपए के कागज की बचत होती है. हिमाचल विधानसभा छह साल पूर्व ई-विधानसभा हो चुकी है. देश के कई राज्य हिमाचल की ई-विधानसभा कार्यप्रणाली को अपने यहां लागू करना चाहते हैं. कई राज्य इस ई-विधान प्रणाली को देखने और सीखने के लिए हिमाचल आते हैं.

मलेशिया की पार्लियामेंट के अध्यक्ष अमीन पांदिकर 2018 में हिमाचल आए तो ई-विधान देखकर हैरान रह गए. ई-विधान का ये सफर आगे बढ़ा है. अब हिमाचल विधानसभा में बजट भी पेपरलेस पेश किया जाता है. साथ ही कैबिनेट मीटिंग भी पेपरलेस होती है. अब हिमाचल सचिवालय भी ई-सचिवालय होने वाला है. हिमाचल प्रदेश में पहले सेब की पैकिंग के लिए लकड़ी की पेटियां प्रयोग में लाई जाती थी. फिर बाद में इसे गत्ते की पेटियों में बदला गया. अस्सी के दशक में लकड़ी की पेटियां प्रयोग में लाया जाना बंद हो गया था.

इको वॉरियर- हिमाचल प्रदेश में इको वॉरियर के नाम से प्रादेशिक सेना है. राज्य सरकार ने मार्च 2006 को शिमला जिला के कुफरी में हिमाचल इको वॉरियर की स्थापना की थी. ये 133 प्रादेशिक सेना डोगरा रेजिमेंट की है. डेढ़ दशक के कार्यकाल में इको वॉरियर यूनिट ने अस्सी लाख पौधे रोपे हैं. वहीं, सात साल पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने निजी भूमि से भी हरे पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

वन्य प्राणियों का संरक्षण- पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर हिमाचल प्रदेश ने शानदार काम किया है. हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां स्नो लैपर्ड व उसके शिकार बनने वाले जानवरों का मूल्यांकन किया जाता है. यहां स्नो लैपर्ड की गिनती का काम पूरा किया गया है. स्नो लैपर्ड हिमाचल प्रदेश का राज्य पशु है और पर्यावरण में इसका महत्वपूर्ण स्थान है. हिमाचल में राज्य पक्षी जाजुराना के संवर्धन के लिए भी बेहतरीन काम हो रहा है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अनुसार हिमाचल प्रदेश की पर्यावरण संरक्षण योजनाओं को वित्तायोग ने भी सराहा है.

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