किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में होलसेलर व्यवसाय को कोरोना वायरस की मार झेलनी पड़ी रही है, जिसके चलते इस साल होलसेलर की दुकानों में कमाई के साथ आयात-निर्यात पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है.
रिकांगपिओ के होलसेलर मोहन नेगी ने कहा कि पिछले लंबे समय से पूरे देश में लॉकडाउन जैसी स्थिति है, जिसके कारण करीब दो महीने तक होलसेलर की दुकानें बंद रहीं. दुकाने बंद रहने से सप्लाई का सारा काम ठप पड़ गया था. वहीं, लॉकडाउन के दौरान निचले क्षेत्रों से रोजमर्रा के सामानों के आयात रुकने से भी होलसेलर्स को कई परेशानियां झेलनी पड़ी.
इसके साथ ही जिला किन्नौर में पंचायतों ने अपने-अपने क्षेत्रों मे बाहरी इलाकों से आने वाले वाहनों, सामानों की खरीदारी पर भी प्रतिबंध लगाया था, जिससे होलसेल के सामान जिसमें चावल, आटा, तेल, चीनी व दूसरी सभी तरह के खाद्य पदार्थों की डिमांड भी नहीं आई.
वहीं, दूसरी ओर रिकांगपिओ के होलसेलर सूरज भान का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान होलसेल का करीब 90 फीसदी काम रुका हुआ था. ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों और दूसरे लोगों की डिमांड कम हो गई थी. वहीं, कई इलाकों में तो सामान की डिमांड पूरी तरह बंद थी. अनलॉक-1 व अनलॉक-2 में भी लोगों ने होलसेल से सामानों की खरीदारी कम कर दी जिसके चलते इस वर्ष होलसेल के व्यापार को काफी नुकसान पहुंचा है.
सूरज भान का कहना है कि इस वर्ष सभी होटल बंद है. शादी समारोह भी कम हो रहे हैं. वहीं, सभी बड़े कार्यक्रमों के रद्द होने से भी होलसेल का काम कर रहे व्यापारियों को काफी नुकसान पहुंचा है. रिकांगपिओ के सभी बड़े होलसेलर्स का कहना है कि इस बार पर्यटन क्षेत्र में भी सभी व्यापार ठप हैं. इस वजह से होलसेलर्स को अपने कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो रहा है.
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