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SURGICAL STRIKE के 5 साल: एक ऐसे कांग्रेसी जिन्होंने किया था सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत

पांच साल पूर्व जब वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम थे तो 30 सितंबर 2016 को सीएम के सरकारी आवास ओक ओवर में एक आयोजन में उन्होंने भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. तब उन्होंने कहा था कि कोई भी राष्ट्र अपने यहां विदेशी धरती पर प्रशिक्षण ले रहे आतंकियों द्वारा किए गए हमलों और बेकसूर लोगों की हत्याओं को सहन नहीं कर सकता. उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना की तरफ से आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक सही समय पर उठाया गया सही कदम है.

एक ऐसे कांग्रेसी जिन्होंने किया था सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत
एक ऐसे कांग्रेसी जिन्होंने किया था सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत
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Published : Sep 29, 2021, 12:20 PM IST

Updated : Sep 29, 2021, 1:53 PM IST

शिमला: वीरभद्र सिंह बेशक देह से स्मृति हो गए हैं, लेकिन उनके विचार आने वाली पीढ़ी के नेताओं का मार्गदर्शन करते रहेंगे. छह दशक के लंबे राजनीतिक जीवन से उपजे अनुभव और आम जन का नेता होने के कारण वीरभद्र सिंह का पूरे हिमाचल में व्यापक जनाधार था. यही कारण है कि वे अपने निजी विचारों को बहुत ही मजबूती से सांझा करते थे. ये वीरभद्र सिंह ही थे, जिन्होंने न केवल नोटबंदी का स्वागत किया था, बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना की पीठ भी थपथपाई थी.

पांच साल पूर्व जब वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम थे तो 30 सितंबर 2016 को सीएम के सरकारी आवास ओक ओवर में एक आयोजन में उन्होंने भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. दरअसल, उस समय ओक ओवर में दुनिया के 30 देशों के प्रतिनिधि एक शांति मार्च के आयोजन के सिलसिले में पहुंचे थे.

उस शांति मार्च को रवाना करने के बाद मीडिया से चर्चा में वीरभद्र सिंह ने पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. तब उन्होंने कहा था कि कोई भी राष्ट्र अपने यहां विदेशी धरती पर प्रशिक्षण ले रहे आतंकियों द्वारा किए गए हमलों और बेकसूर लोगों की हत्याओं को सहन नहीं कर सकता. उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना की तरफ से आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक सही समय पर उठाया गया सही कदम है.

इसी तरह वीरभद्र सिंह ने नोटबंदी का भी स्वागत किया था. मंडी में एक आयोजन में 9 नवंबर 2016 को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि ये साहसिक कदम है. इससे कालेधन की समस्या पर अंकुश लगेगा. हालांकि, उन्होंने इसके लिए पर्याप्त तैयारी की बात भी कही थी. उल्लेखनीय है कि नोटबंदी व सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस नेतृत्व की राय अलग थी.

इसी तरह वीरभद्र सिंह ने राम मंदिर निर्माण का भी भरपूर समर्थन किया था. इसके अलावा धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने वाले वे देश के पहले मुख्यमंत्री थे. वर्ष 2006 में जब धर्मांतरण को लेकर देश भर में कोई खास हलचल नहीं थी, वीरभद्र सिंह की दूरदृष्टि ने इस खतरे को भांप लिया था. वरिष्ठ मीडियाकर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि वीरभद्र सिंह की निजी सोच थी. वे अपने विचारों को लेकर दृढ़ रहते थे. उन्होंने देश में राजनीति का वो युग देखा है, जब आजादी के बाद से कांग्रेस की विचारधारा का व्यापक प्रभाव था. वीरभद्र सिंह बेशक सारी उम्र कांग्रेस में रहे, लेकिन अपने निजी विचार प्रकट करने में हमेशा दृढ़ता दिखाते थे.

ये भी पढ़ें: पहाड़ों पर फिदा बॉलीवुड! फिर शुरू हुआ लाइट, कैमरा और एक्शन का दौर, शूटिंग के लिए पहुंचने लगे निर्माता

शिमला: वीरभद्र सिंह बेशक देह से स्मृति हो गए हैं, लेकिन उनके विचार आने वाली पीढ़ी के नेताओं का मार्गदर्शन करते रहेंगे. छह दशक के लंबे राजनीतिक जीवन से उपजे अनुभव और आम जन का नेता होने के कारण वीरभद्र सिंह का पूरे हिमाचल में व्यापक जनाधार था. यही कारण है कि वे अपने निजी विचारों को बहुत ही मजबूती से सांझा करते थे. ये वीरभद्र सिंह ही थे, जिन्होंने न केवल नोटबंदी का स्वागत किया था, बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना की पीठ भी थपथपाई थी.

पांच साल पूर्व जब वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम थे तो 30 सितंबर 2016 को सीएम के सरकारी आवास ओक ओवर में एक आयोजन में उन्होंने भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. दरअसल, उस समय ओक ओवर में दुनिया के 30 देशों के प्रतिनिधि एक शांति मार्च के आयोजन के सिलसिले में पहुंचे थे.

उस शांति मार्च को रवाना करने के बाद मीडिया से चर्चा में वीरभद्र सिंह ने पीओके में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. तब उन्होंने कहा था कि कोई भी राष्ट्र अपने यहां विदेशी धरती पर प्रशिक्षण ले रहे आतंकियों द्वारा किए गए हमलों और बेकसूर लोगों की हत्याओं को सहन नहीं कर सकता. उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना की तरफ से आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक सही समय पर उठाया गया सही कदम है.

इसी तरह वीरभद्र सिंह ने नोटबंदी का भी स्वागत किया था. मंडी में एक आयोजन में 9 नवंबर 2016 को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि ये साहसिक कदम है. इससे कालेधन की समस्या पर अंकुश लगेगा. हालांकि, उन्होंने इसके लिए पर्याप्त तैयारी की बात भी कही थी. उल्लेखनीय है कि नोटबंदी व सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस नेतृत्व की राय अलग थी.

इसी तरह वीरभद्र सिंह ने राम मंदिर निर्माण का भी भरपूर समर्थन किया था. इसके अलावा धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने वाले वे देश के पहले मुख्यमंत्री थे. वर्ष 2006 में जब धर्मांतरण को लेकर देश भर में कोई खास हलचल नहीं थी, वीरभद्र सिंह की दूरदृष्टि ने इस खतरे को भांप लिया था. वरिष्ठ मीडियाकर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि वीरभद्र सिंह की निजी सोच थी. वे अपने विचारों को लेकर दृढ़ रहते थे. उन्होंने देश में राजनीति का वो युग देखा है, जब आजादी के बाद से कांग्रेस की विचारधारा का व्यापक प्रभाव था. वीरभद्र सिंह बेशक सारी उम्र कांग्रेस में रहे, लेकिन अपने निजी विचार प्रकट करने में हमेशा दृढ़ता दिखाते थे.

ये भी पढ़ें: पहाड़ों पर फिदा बॉलीवुड! फिर शुरू हुआ लाइट, कैमरा और एक्शन का दौर, शूटिंग के लिए पहुंचने लगे निर्माता

Last Updated : Sep 29, 2021, 1:53 PM IST
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