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पानी के बिलों पर घमासान जारी, लोगों ने मीटर को बताया खराब, निगम ने दिया ये जवाब

शिमला में कई क्षेत्रों में हवा से पानी के मीटर घूमने की शिकायतें जल निगम में आ रही हैं. कई इलाकों में मीटर के फटने के मामले सामने भी आए हैं, जिसकी वजह से मीटर की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है.

faulty water meter shimla
पानी के मीटर खराब शिमला
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Published : Feb 8, 2020, 8:28 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में पानी के भारी भरकम बिल आने के बाद पानी के मीटरों पर सवाल उठ रहे हैं. शहर में कई क्षेत्रों में हवा से मीटर घूमने की शिकायतें जल निगम में आ रही हैं. कई इलाकों में मीटर के फटने के मामले सामने भी आए हैं, जिसकी वजह से मीटर की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है.

लोगों का आरोप है कि मीटर खराब होने से ही पानी के भारी भरकम बिल आ रहे हैं. वहीं, जल प्रबंधन निगम ने मीटर की गुणवत्ता को लेकर उठाए जा रहे सवालों को सिरे से खारिज करते हुए अच्छी क्वॉलिटी के मीटर शहर में लगाने का दावा किया है.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं, जल प्रबंधन निगम के एमसी धर्मेंद्र गिल ने कहा कि शहर में आईएसआई मार्क के पानी के मीटर लगाए गए है जिसकी गुणवत्ता पर सवाल उठना नामुमकिन है. शहर में मीटर लगाने से पहले आईएसआई की टीम ने बाकायदा निरीक्षण किया था जिसके बाद ही ये मीटर शहर में लगाए गए है. शिमला में ही नहीं आईपीएच विभाग ने प्रदेश के कई हिस्सों में ये मीटर लगाए हैं.

धर्मेंद्र गिल ने कहा कि शहर में यदि मीटर खराब है तो वे वार्डो में ही जेई कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और कंपनी मीटर उसी समय बदल रही है. बता दें कि शिमला नगर निगम ने 2016 में सभी पुराने मीटर बदल कर नए मीटर लगाने के लिए 9 करोड़ की राशि खर्च की थी.

नए मीटर की कीमत 2800 रुपये है. हालांकि, मीटर लगने के समय उस कंपनी ने एक साल की वारंटी दी थी. निगम ने मुफ्त में ये मीटर लगाए, लेकिन अब इस मीटर की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए जा रहे है.

ये भी पढ़ें: प्रदेश के कॉलेजों में बॉयोमेट्रिक मशीनों से ही लगेगी हाजिरी, शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश

शिमला: राजधानी शिमला में पानी के भारी भरकम बिल आने के बाद पानी के मीटरों पर सवाल उठ रहे हैं. शहर में कई क्षेत्रों में हवा से मीटर घूमने की शिकायतें जल निगम में आ रही हैं. कई इलाकों में मीटर के फटने के मामले सामने भी आए हैं, जिसकी वजह से मीटर की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे है.

लोगों का आरोप है कि मीटर खराब होने से ही पानी के भारी भरकम बिल आ रहे हैं. वहीं, जल प्रबंधन निगम ने मीटर की गुणवत्ता को लेकर उठाए जा रहे सवालों को सिरे से खारिज करते हुए अच्छी क्वॉलिटी के मीटर शहर में लगाने का दावा किया है.

वीडियो रिपोर्ट

वहीं, जल प्रबंधन निगम के एमसी धर्मेंद्र गिल ने कहा कि शहर में आईएसआई मार्क के पानी के मीटर लगाए गए है जिसकी गुणवत्ता पर सवाल उठना नामुमकिन है. शहर में मीटर लगाने से पहले आईएसआई की टीम ने बाकायदा निरीक्षण किया था जिसके बाद ही ये मीटर शहर में लगाए गए है. शिमला में ही नहीं आईपीएच विभाग ने प्रदेश के कई हिस्सों में ये मीटर लगाए हैं.

धर्मेंद्र गिल ने कहा कि शहर में यदि मीटर खराब है तो वे वार्डो में ही जेई कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं और कंपनी मीटर उसी समय बदल रही है. बता दें कि शिमला नगर निगम ने 2016 में सभी पुराने मीटर बदल कर नए मीटर लगाने के लिए 9 करोड़ की राशि खर्च की थी.

नए मीटर की कीमत 2800 रुपये है. हालांकि, मीटर लगने के समय उस कंपनी ने एक साल की वारंटी दी थी. निगम ने मुफ्त में ये मीटर लगाए, लेकिन अब इस मीटर की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए जा रहे है.

ये भी पढ़ें: प्रदेश के कॉलेजों में बॉयोमेट्रिक मशीनों से ही लगेगी हाजिरी, शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश

Intro:राजधानी शिमला में पानी के भारी भरकम बिल आने के बाद पानी के मीटरों पर सवाल उठ रहे है। शहर में कई क्षेत्रों में हवा से मीटर घूमने की शिकायतें जल निगम में आ रही । यही नही कई इलाकों में मीटर के फटने के मामले पहुच रहे है जिससे मीटर की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए जा रहे है। आरोप है कि मीटर खराब होने से ही पानी के भारी भरकम बिल आ रहे हैं ।
वही जल प्रबधन निगम ने मीटर की गुणवत्ता को लेकर उठाए जा रहे सवालों को सिरे से खारिज करते हुए अच्छी क्वॉलिटी के मीटर शहर में लगाने का दावा किया है।


Body:जल प्रबधन निगम के एमसी धर्मेंद्र गिल ने कहा कि शहर में आईएसआई मार्क के पानी के मीटर लगाए गए है जिसकी गुणवत्ता पर सवाल उठना नामुमकिन है। शहर में मीटर लगाने से पहले आईएसआई की टीम ने बाकायदा निरीक्षण किया था जिसके बाद ही ये मीटर शहर में लगाए गए है। शिमला में ही नही आइपीएच विभाग द्वारा प्रदेश के कई हिस्सों में ये मीटर लगाए गए है। उन्होंने कहा कि शहर में यदि मीटर खराब है तो वे वार्डो में ही जेई कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते है और जहा मीटर खराब है उन्हें कंपनी उसी समय बदल रही है।


Conclusion:बता दे शिमला नगर निगम ने 2016 में सभी पुराने मीटर बदल कर नए मीटर लगाने के लिए 9 करोड़ की राशि खर्च की थी। नए मीटर की कीमत 2800 रुपए है। हालांकि जब मीटर लगाए गए थे उस समय कंपनी द्वारा एक साल की वारंटी दी थी। निगम की ओर से मुफ्त में ये मीटर लगाए गए लेकिन अब इस मीटर की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए जा रहे है।
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