शिमला: राजधानी के ऐतिहासिक रिज मैदान पर स्थित क्राइस्ट चर्च में लगी ऐतिहासिक बेल की आवाज अब शिमला के लोगों को सुनाई देगी. खास बात ये है कि 40 सालों के बाद ये खास आवाज ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 25 दिसंबर यानि क्रिसमस से सुनाई देगी.
बता दें कि शिमला के ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च में 150 साल पुरानी एक वार्निंग बेल है. ये बेल ब्रिटिश काल के दौरान बनाई गई थी और बेल को इंग्लैंड से शिमला लाया गया था. जब इस बेल को यहां लाया गया तो उसके बाद 1982 तक लगातार इसकी आवाज ऐतिहासिक चर्च और राजधानी शिमला में गूंजती थी, लेकिन उसके बाद इस बेल में आई तकनीकी खामियों के चलते ये बेल खराब हो गई थी. पिछले 40 सालों से ना इसे ठीक किया गया और ना ही इसे ठीक करने को लेकर कोई प्रयास किए गए. ऐसे में अब इस बेल को शिमला निवासी मिस्टर विक्टर डीन ठीक कर रहे हैं. उन्होंने इस बेल के पूरे सिस्टम को स्टडी करने के बाद ही इसे ठीक करने का काम शुरू किया है.
चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि मिस्टर विक्टर डीन इस बेल को ठीक कर रहे हैं और अपना पूरा समय इस काम के लिए दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बेल के जो पार्ट्स गुम हो गए थे उन्हें नए सिरे से बनाया गया है और साथ ही जो पुराने पार्ट्स खराब हो गए थे उन्हें दोबारा ठीक किया गया है. साथ ही इसमें पेंट करके नए नट बोल्ट, हैमर, वायर, रस्सा लगाया गया है.
चर्च के फादर मोहन लाल ने कहा कि बेल के कुछ पार्ट्स चंडीगढ़ से लाए गए हैं, तो कुछ शिमला में ही तैयार किए गए हैं. शिमला के ओल्ड बसस्टैंड के पास एक सरदार जी ने इस बेल के पार्ट्स देखकर लोहे को हूबहू ढांचे में डाल कर पार्ट्स तैयार किए हैं. उन्होंने बताया कि लकड़ी का सांचा भी इस बेल के लिए नया बनाकर तैयार किया गया है.
बता दें कि इस बेल को चर्च में शुरू होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले बजाया जाता है. जिससे लोगों को इस बात की जानकारी मिल सके की चर्च में प्रार्थना सभा शुरू होने वाली है. 150 साल पुरानी क्रिसमस बेल को ठीक करने के बाद 25 दिसंबर को चर्च होने वाली प्रार्थना सभा से 5 मिनट पहले बजाया जाएगा. इसके बाद हर रविवार को ये बेल चर्च में बजाई जाएगी.
इस बेल में छह सुर है और इसे रस्से से खींच कर बजाया जाता है. इसमें छह पाइप लगी है, जिसमें से छह सुर निकलते है और सरगम के सुरों की ध्वनि पैदा करते हैं. शिमला के क्राइस्ट चर्च में बजने वाली इस बेल को पहले क्रिसमस की शुरुआत पर रात 12 बजे और न्यू ईयर की शुरुआत पर रात 12 बजे बजाया जाता था. साथ ही किसी की मृत्यु होने पर शोक संदेश देने के लिए इस बेल को बजाया जाता था, लेकिन इस समय इसके बजाने में फर्क है ओर गेप में इसे बजाया जाता है.