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शिमला में सादगी से मना विश्वकर्मा दिवस, COVID-19 गाइडलाइन का किया गया पालन - शिमला में सादगी से मना विश्वकर्मा दिवस

राजधानी शिमला में इस बार सादगी से विश्वकर्मा दिवस मनाया गया. कोरोना के चलते इस बार न ही लंगर लगा और न ही हवन का आयोजन किया गया. कोरोना को लेकर सरकारी की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन किया गया.

शिमला में सादगी से मना विश्वकर्मा दिवस
शिमला में सादगी से मना विश्वकर्मा दिवस
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Published : Nov 15, 2020, 2:27 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला में विश्वकर्मा दिवस इस बार सादगी से मनाया गया. कोरोना महामारी के चलते न तो इस बार लंगर और न ही हवन का आयोजन किया गया. शिमला के रुल्दुभट्टा विश्वकर्मा मंदिर में बहुत कम लोग मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे. लोगों ने औजारों, मशीनरी की पूजा-अर्चना की और इस कोरोना महामारी को खत्म करने की प्राथना की .

हालांकि हर साल विश्वकर्मा दिवस पर लंगर और भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता था और दिन भर लंगर चलता था. इस बार कोरोना महामारी के चलते सादगी के साथ केवल पूजा अर्चना की गई और हलवे का प्रसाद वितरित किया गया.

वीडियो रिपोर्ट

रुल्दुभट्टा विश्वकर्मा सभा के प्रधान बनारसी सिंह ने कहा कि दीपावली के दूसरे दिन विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है. दिवाली की पहली रात को इन औजारों की साफ-सफाई की जाती है. दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है. वहीं, दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज पर फैक्ट्रियों में इनकी पूजा-अर्चना के बाद काम आंरभ किया जाता है.

दिवाली के दूसरे दिन औजारों को टीका लगा कर रखा गया और औजारों को दूसरे दिन उठाते हैं. उन्होंने कहा की सुबह मूर्ती को स्नान कराया गया और उसके बाद नए वस्त्र पहनाकर पूजा-अर्चना की गई. कोरोना महामारी के चलते इस बार लंगर का आयोजन नहीं किया गया और सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक ही पूजा-अर्चना की गई

बता दें की विश्वकर्मा दिवस पर औजारों की पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन कामगार औजारों से काम नहीं करते हैं. शिमला के तारादेवी एचआरटीसी वर्कशॉप मंदिर में विश्व कर्मा दिवस पर औजारों की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इसके साथ ही फैक्ट्रियों सहित अन्य सभी जगहों पर भी औजारों की पूजा की गई.

शिमला: राजधानी शिमला में विश्वकर्मा दिवस इस बार सादगी से मनाया गया. कोरोना महामारी के चलते न तो इस बार लंगर और न ही हवन का आयोजन किया गया. शिमला के रुल्दुभट्टा विश्वकर्मा मंदिर में बहुत कम लोग मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचे. लोगों ने औजारों, मशीनरी की पूजा-अर्चना की और इस कोरोना महामारी को खत्म करने की प्राथना की .

हालांकि हर साल विश्वकर्मा दिवस पर लंगर और भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता था और दिन भर लंगर चलता था. इस बार कोरोना महामारी के चलते सादगी के साथ केवल पूजा अर्चना की गई और हलवे का प्रसाद वितरित किया गया.

वीडियो रिपोर्ट

रुल्दुभट्टा विश्वकर्मा सभा के प्रधान बनारसी सिंह ने कहा कि दीपावली के दूसरे दिन विश्वकर्मा दिवस मनाया जाता है. दिवाली की पहली रात को इन औजारों की साफ-सफाई की जाती है. दूसरे दिन इनकी पूजा की जाती है. वहीं, दिवाली के तीसरे दिन भाई दूज पर फैक्ट्रियों में इनकी पूजा-अर्चना के बाद काम आंरभ किया जाता है.

दिवाली के दूसरे दिन औजारों को टीका लगा कर रखा गया और औजारों को दूसरे दिन उठाते हैं. उन्होंने कहा की सुबह मूर्ती को स्नान कराया गया और उसके बाद नए वस्त्र पहनाकर पूजा-अर्चना की गई. कोरोना महामारी के चलते इस बार लंगर का आयोजन नहीं किया गया और सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक ही पूजा-अर्चना की गई

बता दें की विश्वकर्मा दिवस पर औजारों की पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन कामगार औजारों से काम नहीं करते हैं. शिमला के तारादेवी एचआरटीसी वर्कशॉप मंदिर में विश्व कर्मा दिवस पर औजारों की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इसके साथ ही फैक्ट्रियों सहित अन्य सभी जगहों पर भी औजारों की पूजा की गई.

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