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भावुक हुए विक्रमादित्य, बोले: हमेशा पिता वीरभद्र सिंह के दिखाए रास्ते पर चलूंगा - भावुक हुए विक्रमादित्य सिंह

मानसून सत्र के पहले दिन सदन में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर शोक जताया गया. इस दौरान अन्य सदस्यों के साथ विक्रमादित्य सिंह ने भी शोक उद्गार में हिस्सा लिया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने जन्म से ही वीरभद्र सिंह को राजनेता और जननेता के रूप में देखा. वीरभद्र सिंह ने दलगत राजनीति और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर प्रदेश के हर क्षेत्र में विकास कार्य किए.

विक्रमादित्य सिंह
विक्रमादित्य सिंह
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Published : Aug 2, 2021, 10:20 PM IST

Updated : Aug 2, 2021, 10:37 PM IST

शिमला: हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है. मानसून सत्र के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर शोक जताया गया. इस दौरान अन्य सदस्यों के साथ विक्रमादित्य सिंह ने भी शोक उद्गार में हिस्सा लिया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आज पिता वीरभद्र सिंह उनके साथ नहीं हैं. वो दुखी हैं, लेकिन उनका आशीर्वाद हमेश उनपर बना रहेगा.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने जन्म से ही वीरभद्र सिंह को राजनेता और जननेता के रूप में देखा. वीरभद्र सिंह ने दलगत राजनीति और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर प्रदेश के हर क्षेत्र में विकास कार्य किए. इस दौरान विक्रमादित्य सिंह ने पिता वीरभद्र सिंह के दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज में बिताए दिनों को जिक्र किया. साथ ही स्व. इंदिरा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के सानिध्य में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात का भी जिक्र किया और पहली बार लोकसभा टिकट मिलने की रोचक घटना भी सुनाई.

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विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वीरभद्र सिंह जानते थे कि अफसरशाही से कैसे काम लेना है. इस बारे में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. वीरभद्र सिंह जिस स्तर के व्यक्तित्व के साथ बात करते थे, उन्हीं में ढल जाया करते थे. विक्रमादित्य सिंह ने देव समाज के कल्याण के लिए वीरभद्र सिंह के योगदान को भी याद किया. उन्होंने स्व. नरेंद्र बरागटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बरागटा का निधन शिमला जिला, खासकर बागवानी के लिए बहुत बड़ा आघात है.

ये भी पढ़ें: स्मृति शेष: जब बेटियों के आंसुओं से भींग गए थे वीरभद्र सिंह, अपनी जेब से भरी पूरी फीस

शिमला: हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो गया है. मानसून सत्र के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन पर शोक जताया गया. इस दौरान अन्य सदस्यों के साथ विक्रमादित्य सिंह ने भी शोक उद्गार में हिस्सा लिया. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि आज पिता वीरभद्र सिंह उनके साथ नहीं हैं. वो दुखी हैं, लेकिन उनका आशीर्वाद हमेश उनपर बना रहेगा.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने जन्म से ही वीरभद्र सिंह को राजनेता और जननेता के रूप में देखा. वीरभद्र सिंह ने दलगत राजनीति और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर प्रदेश के हर क्षेत्र में विकास कार्य किए. इस दौरान विक्रमादित्य सिंह ने पिता वीरभद्र सिंह के दिल्ली स्थित सेंट स्टीफन कॉलेज में बिताए दिनों को जिक्र किया. साथ ही स्व. इंदिरा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के सानिध्य में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मुलाकात का भी जिक्र किया और पहली बार लोकसभा टिकट मिलने की रोचक घटना भी सुनाई.

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विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वीरभद्र सिंह जानते थे कि अफसरशाही से कैसे काम लेना है. इस बारे में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वीरभद्र सिंह के व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. वीरभद्र सिंह जिस स्तर के व्यक्तित्व के साथ बात करते थे, उन्हीं में ढल जाया करते थे. विक्रमादित्य सिंह ने देव समाज के कल्याण के लिए वीरभद्र सिंह के योगदान को भी याद किया. उन्होंने स्व. नरेंद्र बरागटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बरागटा का निधन शिमला जिला, खासकर बागवानी के लिए बहुत बड़ा आघात है.

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Last Updated : Aug 2, 2021, 10:37 PM IST
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