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युनेस्को की टीम ने की कालका-शिमला ट्रैक की असेसमेंट, विश्वधरोहर के रखरखाव की ली जानकारी

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Published : Dec 11, 2019, 11:22 PM IST

विश्व धरोहर कालका शिमला हेरिटेज ट्रैक का जायजा लेने के लिए यूनेस्को की टीम शिमला रेलवे स्टेशन पहुंची. यूनेस्को की दो सदस्य टीम ने ट्रैक के रखरखाव व अन्य मशीनरी की असेसमेंट की.

unesco team  visit shimla kalka railway track
unesco team visit shimla kalka railway track

शिमलाः विश्व धरोहर कालका शिमला हेरिटेज ट्रैक को किस तरह से सहेज कर रखा जा रहा है. इस बात का जायजा लेने के लिए यूनेस्को की टीम शिमला रेलवे स्टेशन पहुंची. यूनेस्को की दो सदस्य टीम ने ट्रैक के रखरखाव व अन्य मशीनरी की जानकारी ली.

टीम बुधवार दोपहर कालका से शिमला रेलवे स्टेशन झरोखा कोच से सफर कर पहुंचे. इस दौरान इनके साथ रेलवे के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे. यूनेस्को की ओर से नाउ ह्याशी और माइकल पियर्सन ने हैरिटेज ट्रैक की असेसमेंट की.

वीडियो.

टीम ने शिमला रेलवे स्टेशन पहुंच कर यहां स्टेशन कंट्रोल रूम के साथ ही ट्रैक पर लगे हेरिटेज इक्विपमेंट्स को जांचने के साथ ही स्टीम इंजन को भी देखा. इसके बाद टीम के लिए विशेष रूप से स्टीम इंजन शिमला रेलवे स्टेशन से ओल्ड बस स्टैंड स्थित बाबा भलखू संग्रहालय तक चलाया गया. बाबा भलखू म्यूजियम पहुंचने पर टीम ने इस म्यूजियम के बारे में भी जानकारी ली.

इस बारे डिविजन मेकेनिकल इंजीनियर आदित्य शर्मा ने कहा कि कालका-शिमला ट्रैक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है कि वर्ल्ड हेरिटेज का लेबल हमारे पास है और टाइम टू टाइम इसकी असेसमेंट होती है जिसके लिए हमें मैनेजमेंट प्लान के तहत काम करना होता है.

आदित्य शर्मा ने कहा कि टीम ने यहां काम करने के तरीके को जांच रही है और इसके सुधार के उपाय दिए जायेंगे. उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने हमें जो वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है उसके लिए हमारी यूनेस्को के प्रति हमारी जवाबदेही है.

वहीं, टीम के सदस्यों में रेलवे को जहां डॉक्यूमेंटेशन को सही करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही अपना बफर जोन प्रोटेक्ट करने के साथ ही किस तरह से हेरिटेज चीज़ों को बचाना है, इसको लेकर सुझाव टीम ने दिए है.

यूनेस्को की टीम के सदस्यों ने कहा कि कालका से शिमला तक का सफर जो उन्होंने झरोखा कोच में किया और स्टीम इंजन का सफर भी बेहद अच्छा रहा है. उन्होंने कहा कि बाकी असेसमेंट की रिपोर्ट को लेकर वे कोई खुलासा नहीं कर सकते है. बता दें की कालका शिमला ट्रैक को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: कभी एशिया में प्रसिद्ध थी सिरमौर की अदरक, आज इस वजह से खो चुकी है पहचान

शिमलाः विश्व धरोहर कालका शिमला हेरिटेज ट्रैक को किस तरह से सहेज कर रखा जा रहा है. इस बात का जायजा लेने के लिए यूनेस्को की टीम शिमला रेलवे स्टेशन पहुंची. यूनेस्को की दो सदस्य टीम ने ट्रैक के रखरखाव व अन्य मशीनरी की जानकारी ली.

टीम बुधवार दोपहर कालका से शिमला रेलवे स्टेशन झरोखा कोच से सफर कर पहुंचे. इस दौरान इनके साथ रेलवे के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे. यूनेस्को की ओर से नाउ ह्याशी और माइकल पियर्सन ने हैरिटेज ट्रैक की असेसमेंट की.

वीडियो.

टीम ने शिमला रेलवे स्टेशन पहुंच कर यहां स्टेशन कंट्रोल रूम के साथ ही ट्रैक पर लगे हेरिटेज इक्विपमेंट्स को जांचने के साथ ही स्टीम इंजन को भी देखा. इसके बाद टीम के लिए विशेष रूप से स्टीम इंजन शिमला रेलवे स्टेशन से ओल्ड बस स्टैंड स्थित बाबा भलखू संग्रहालय तक चलाया गया. बाबा भलखू म्यूजियम पहुंचने पर टीम ने इस म्यूजियम के बारे में भी जानकारी ली.

इस बारे डिविजन मेकेनिकल इंजीनियर आदित्य शर्मा ने कहा कि कालका-शिमला ट्रैक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है कि वर्ल्ड हेरिटेज का लेबल हमारे पास है और टाइम टू टाइम इसकी असेसमेंट होती है जिसके लिए हमें मैनेजमेंट प्लान के तहत काम करना होता है.

आदित्य शर्मा ने कहा कि टीम ने यहां काम करने के तरीके को जांच रही है और इसके सुधार के उपाय दिए जायेंगे. उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने हमें जो वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है उसके लिए हमारी यूनेस्को के प्रति हमारी जवाबदेही है.

वहीं, टीम के सदस्यों में रेलवे को जहां डॉक्यूमेंटेशन को सही करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही अपना बफर जोन प्रोटेक्ट करने के साथ ही किस तरह से हेरिटेज चीज़ों को बचाना है, इसको लेकर सुझाव टीम ने दिए है.

यूनेस्को की टीम के सदस्यों ने कहा कि कालका से शिमला तक का सफर जो उन्होंने झरोखा कोच में किया और स्टीम इंजन का सफर भी बेहद अच्छा रहा है. उन्होंने कहा कि बाकी असेसमेंट की रिपोर्ट को लेकर वे कोई खुलासा नहीं कर सकते है. बता दें की कालका शिमला ट्रैक को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: कभी एशिया में प्रसिद्ध थी सिरमौर की अदरक, आज इस वजह से खो चुकी है पहचान

Intro:नोट:बाइट व्रैप से चैक करें। विश्व धरोहर कालका शिमला हेरिटेज ट्रैक को किस तरह से सहेज कर रखा जा रहा है इस बात का जायज़ा लेने के लिए यूनेस्को की टीम शिमला रेलवे स्टेशन पहुंची। टीम में यूनेस्को की ओर से दो सदस्य शामिल रहे जिन्होंने ट्रैक के रखरखाव के साथ ही यहां रखी गयी सभी हेरिटेज मशीनरी ओर अन्य सभी तरह के चीजों को देखा और उनके बारे में जानकारी भी अधिकारियों से ली। टीम बुधवार दोपहर 3 बकजर 10 मिनट पर कालका से शिमला रेलवे स्टेशन झरोखा कोच से सफर कर पहुंचे। इस दौरान इनके साथ रेलवे के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। यूनेस्को की ओर से नाउ ह्याशी ओर माइकल पियर्सन ने हैरिटेज ट्रैक की असेसमेंट की ओर अब यह अपनी रिपोर्ट देंगे।


Body:रिपोर्ट में किस तरह से ट्रैक को सहेज कर रखा गया है और किस तरह से इस ट्रैक की ऐतिहासिकता को बचाया जा रहा है इस पर अपनी पूरी रिपोर्ट देंगे। टीम ने शिमला रेलवे स्टेशन पहुंच कर यहां स्टेशन कंट्रोल रूम के साथ ही ट्रैक पर लगे हेरिटेज इक्विपमेंट्स को जांचने के साथ ही स्टीम इंजन को भी देखा। इसके बाद टीम के लिए विशेष रूप से स्टीम इंजन शिमला रेलवे स्टेशन से ओल्ड बस स्टैंड स्थित बाबा भलखू संग्रहालय तक चलाया गया। इस दौरान स्टीम इंजन की क्या खासियत यह भी उन्हें बताया गया। बाबा भलखू म्यूजियम पहुंचने पर टीम ने इस म्यूजियम के बारे में भी जानकारी ली। कौन-कौन सी वस्तुएं यहां इस म्यूजियम में सहेज कर रखी गई है उसके बारे में यूनेस्को की टीम के सदस्यों को बताया गया। डिविजन मेकेनिकल इंजीनियर आदित्य शर्मा ने कहा कि कालका-शिमला ट्रैक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है । हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है कि वर्ल्ड हेरिटेज का लेबल हमारे पास है और टाइम टू टाइम इसकी असेसमेंट होती है जिसके लिए हमें मैनेजमेंट प्लान के तहत काम करना होता है। आज जो टीम आई है वह यह देख रही है कि हम काम सही तरीके से कर पा रहे है या नहीं या उसमें किस तरह के सुधार किए जा सकते है।


Conclusion:उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने हमें जो वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है उसके लिए हमारी यूनेस्को के प्रति हमारी जवाबदेही है। वहीं टीम के सदस्यों में रेलवे को जहां डॉक्यूमेंटेशन को सही करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही अपना बफर जोन प्रोटेक्ट करने के साथ ही किस तरह से हेरिटेज चीज़ों को बचाना है इसको लेकर सुझाव टीम ने दिए है। वहीं यूनेस्को की टीम के सदस्यों ने कहा कि कालका से शिमला तक का सफर जो उन्होंने झरोखा कोच में किया और स्टीम इंजन का सफर भी बेहद अच्छा रहा है बाकी असेसमेंट की रिपोर्ट को लेकर वह कोई खुलासा नहीं कर सकते है। बता दे की कालका शिमला ट्रैक को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है।
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