शिमलाः विश्व धरोहर कालका शिमला हेरिटेज ट्रैक को किस तरह से सहेज कर रखा जा रहा है. इस बात का जायजा लेने के लिए यूनेस्को की टीम शिमला रेलवे स्टेशन पहुंची. यूनेस्को की दो सदस्य टीम ने ट्रैक के रखरखाव व अन्य मशीनरी की जानकारी ली.
टीम बुधवार दोपहर कालका से शिमला रेलवे स्टेशन झरोखा कोच से सफर कर पहुंचे. इस दौरान इनके साथ रेलवे के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे. यूनेस्को की ओर से नाउ ह्याशी और माइकल पियर्सन ने हैरिटेज ट्रैक की असेसमेंट की.
टीम ने शिमला रेलवे स्टेशन पहुंच कर यहां स्टेशन कंट्रोल रूम के साथ ही ट्रैक पर लगे हेरिटेज इक्विपमेंट्स को जांचने के साथ ही स्टीम इंजन को भी देखा. इसके बाद टीम के लिए विशेष रूप से स्टीम इंजन शिमला रेलवे स्टेशन से ओल्ड बस स्टैंड स्थित बाबा भलखू संग्रहालय तक चलाया गया. बाबा भलखू म्यूजियम पहुंचने पर टीम ने इस म्यूजियम के बारे में भी जानकारी ली.
इस बारे डिविजन मेकेनिकल इंजीनियर आदित्य शर्मा ने कहा कि कालका-शिमला ट्रैक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है कि वर्ल्ड हेरिटेज का लेबल हमारे पास है और टाइम टू टाइम इसकी असेसमेंट होती है जिसके लिए हमें मैनेजमेंट प्लान के तहत काम करना होता है.
आदित्य शर्मा ने कहा कि टीम ने यहां काम करने के तरीके को जांच रही है और इसके सुधार के उपाय दिए जायेंगे. उन्होंने कहा कि यूनेस्को ने हमें जो वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है उसके लिए हमारी यूनेस्को के प्रति हमारी जवाबदेही है.
वहीं, टीम के सदस्यों में रेलवे को जहां डॉक्यूमेंटेशन को सही करने का सुझाव दिया है. इसके साथ ही अपना बफर जोन प्रोटेक्ट करने के साथ ही किस तरह से हेरिटेज चीज़ों को बचाना है, इसको लेकर सुझाव टीम ने दिए है.
यूनेस्को की टीम के सदस्यों ने कहा कि कालका से शिमला तक का सफर जो उन्होंने झरोखा कोच में किया और स्टीम इंजन का सफर भी बेहद अच्छा रहा है. उन्होंने कहा कि बाकी असेसमेंट की रिपोर्ट को लेकर वे कोई खुलासा नहीं कर सकते है. बता दें की कालका शिमला ट्रैक को वर्ष 2008 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया है.
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