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Banks strike from Thursday: जानें कब तक हड़ताल पर रहेंगे बैंककर्मी - Himachal Hindi News

सरकार द्वारा इस शीतकालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण के उद्देश्य से बैंकिंग कानून ( संशोधन ) विधेयक 2021 प्रस्तावित है ,जिसका बैंक कर्मी पूर्ण रूप से बैंको को इस निजीकरण करने के निर्णय का विरोध कर रहे, बैंक के अंबरेला संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Union)के माध्यम से बैंकों द्वारा पूर्ण रूप से विरोध किया जा रहा. जिस कारण यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन द्वारा सभी सार्वजनिक बैंकों में 16 और 17 दिसंबर को देश व्यापी हड़ताल (Two day banks strike) की घोषणा की गई.

Banks strike from Thursday
बैंकों की हड़ताल कल से
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Published : Dec 15, 2021, 4:40 PM IST

शिमला : सरकार द्वारा इस शीतकालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण के उद्देश्य से बैंकिंग कानून ( संशोधन ) विधेयक 2021 प्रस्तावित है ,जिसका बैंक कर्मी पूर्ण रूप से बैंको को इस निजीकरण करने के निर्णय का विरोध कर रहे, बैंक के अंबरेला संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Union)के माध्यम से बैंकों द्वारा पूर्ण रूप से विरोध किया जा रहा. जिस कारण यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन द्वारा सभी सार्वजनिक बैंकों में 16 और 17 दिसंबर को देश व्यापी हड़ताल (Two day banks strike)की घोषणा की गई.



यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के कन्वीनर नरेंद्र शर्मा ने बताया यह हमारे संज्ञान में लाया गया कि सरकार संसद के चालू सत्र में ' बैंकिंग कानून ( संशोधन ) विधेयक 2021 पेश कर रही, ताकि सरकार जनता का निजीकरण कर सके. यह सभी जानते कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सामान्य रूप से हमारे देश के आर्थिक विकास में और विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों और देश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं. राष्ट्रीयकृत बैंकों ने कृषि , लघु व्यापार , लघु व्यवसाय , लघु उद्योग , परिवहन के विकास और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में प्रमुख भूमिका निभाई.


यूनियन अधिकारियों द्वारा बताया गया कि एकमात्र मुद्दा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का विशाल गैर - निष्पादित आस्तियों ( एनपीए ) का था जिसमें बड़ा हिस्सा बड़े कॉरपोरेट्स का था. क्रमिक सरकारों ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण , सरफेसी अधिनियम , आईबीसी , आदि जैसी पहल की, लेकिन उन्हें वांछित परिणाम नहीं मिले और इसलिए अंततः बैंकों को उन ऋणों को लॉस घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा जिसके परिणामस्वरूप भारी नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार नए बिल के माध्यम से सरकारी क्षेत्र बैंक की हिसेदारी 51 फीसदी से कम कर दी, जोंकि निजीकरण है. उन्होंने कहा कि बैंक एक सुरक्षित क्षेत्र था, जिसमे युवा अन्य निजी नौकरी छोड़ कर आए थे ,लेकिन अब वहीं युवा परेशान हो गए कि बैंक भी निजी हो रहे.

शिमला : सरकार द्वारा इस शीतकालीन सत्र में बैंकों के निजीकरण के उद्देश्य से बैंकिंग कानून ( संशोधन ) विधेयक 2021 प्रस्तावित है ,जिसका बैंक कर्मी पूर्ण रूप से बैंको को इस निजीकरण करने के निर्णय का विरोध कर रहे, बैंक के अंबरेला संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum of Bank Union)के माध्यम से बैंकों द्वारा पूर्ण रूप से विरोध किया जा रहा. जिस कारण यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन द्वारा सभी सार्वजनिक बैंकों में 16 और 17 दिसंबर को देश व्यापी हड़ताल (Two day banks strike)की घोषणा की गई.



यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन के कन्वीनर नरेंद्र शर्मा ने बताया यह हमारे संज्ञान में लाया गया कि सरकार संसद के चालू सत्र में ' बैंकिंग कानून ( संशोधन ) विधेयक 2021 पेश कर रही, ताकि सरकार जनता का निजीकरण कर सके. यह सभी जानते कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सामान्य रूप से हमारे देश के आर्थिक विकास में और विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों और देश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं. राष्ट्रीयकृत बैंकों ने कृषि , लघु व्यापार , लघु व्यवसाय , लघु उद्योग , परिवहन के विकास और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में प्रमुख भूमिका निभाई.


यूनियन अधिकारियों द्वारा बताया गया कि एकमात्र मुद्दा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का विशाल गैर - निष्पादित आस्तियों ( एनपीए ) का था जिसमें बड़ा हिस्सा बड़े कॉरपोरेट्स का था. क्रमिक सरकारों ने ऋण वसूली न्यायाधिकरण , सरफेसी अधिनियम , आईबीसी , आदि जैसी पहल की, लेकिन उन्हें वांछित परिणाम नहीं मिले और इसलिए अंततः बैंकों को उन ऋणों को लॉस घोषित करने के लिए मजबूर होना पड़ा जिसके परिणामस्वरूप भारी नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि सरकार नए बिल के माध्यम से सरकारी क्षेत्र बैंक की हिसेदारी 51 फीसदी से कम कर दी, जोंकि निजीकरण है. उन्होंने कहा कि बैंक एक सुरक्षित क्षेत्र था, जिसमे युवा अन्य निजी नौकरी छोड़ कर आए थे ,लेकिन अब वहीं युवा परेशान हो गए कि बैंक भी निजी हो रहे.

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