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चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर संजौली कॉलेज में दी गई श्रद्धांजलि - संजौली

देशभर में वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसी कड़ी में एसएफआई की संजौली इकाई ने महान क्रांतिकारी को पुष्पांजलि अर्पित कर देश की आजादी के लिए उनके बलिदान को याद किया.

भगत सिंह
पुष्पांजलि अर्तित करते कॉलेज स्टाफ के सदस्य.
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Published : Jul 23, 2020, 6:57 PM IST

शिमला: राजधानी शिमला के राजकीय महाविद्यालय संजौली में आजादी के वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. इस दौरान कॉलेज प्रधानाचार्य, कॉलेज स्टाफ छात्र और छात्राएं मौजूद रहे.

एसएफआई संजौली इकाई के पूर्व अध्यक्ष नितीश ने कहा कि आजादी में चंद्रशेखर आजाद का बहुत बड़ा योगदान रहा है. चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एशियन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने आजादी के लिए भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर एक बहुत बड़ा योगदान दिया. एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी और एक निडर क्रांतिकारी चंद्रशेखर का जन्म 23 जुलाई 1906 को भाबरा, मध्य प्रदेश में हुआ था. काकोरी ट्रेन डकैती, विधानसभा में बम की घटना और लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए लाहौर में सॉन्डर्स की हत्या जैसी घटनाओं में शामिल थे.

नितीश ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद समाजवाद में विश्वास करते थे. अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’का गठन किया. चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह सहित कई अन्य क्रांतिकारियों के लिए एक परामर्शदाता थे. वो किसी भी तरह से संपूर्ण आजादी चाहते थे. लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिये चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पायंट्स सांन्डर्स की हत्या कर दी थी.

एसएफआई संजौली इकाई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जीवित रहते हुए वे अंग्रेज़ सरकार के लिए आतंक का पर्याय रहे. साथियों में से एक के धोखा देने के कारण, 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें घेर लिया था. उन्होंने बहादुरी से मुकाबला किया लेकिन कोई दूसरा रास्ता न मिलने पर उन्होंने खुद को गोली मार ली और एक ‘आजाद’आदमी के तौर पर मरने के अपने संकल्प को पूरा किया. चंद्रशेखर आजाद आज अभी भी करोड़ों भारतीयों के नायक हैं और शहीद भगत सिंह, द लीजेंड ऑफ भगत सिंह और 23 मार्च 1931 जैसी फिल्मों में उनके जीवन पर आधारित चरित्र दिखाए गए हैं.

ये भी पढ़ें: बस किराए में बढ़ोतरी के खिलाफ कांग्रेस ने किया प्रदर्शन, जमकर उड़ी सामाजिक दूरी की धज्जियां

शिमला: राजधानी शिमला के राजकीय महाविद्यालय संजौली में आजादी के वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. इस दौरान कॉलेज प्रधानाचार्य, कॉलेज स्टाफ छात्र और छात्राएं मौजूद रहे.

एसएफआई संजौली इकाई के पूर्व अध्यक्ष नितीश ने कहा कि आजादी में चंद्रशेखर आजाद का बहुत बड़ा योगदान रहा है. चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एशियन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने आजादी के लिए भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर एक बहुत बड़ा योगदान दिया. एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी और एक निडर क्रांतिकारी चंद्रशेखर का जन्म 23 जुलाई 1906 को भाबरा, मध्य प्रदेश में हुआ था. काकोरी ट्रेन डकैती, विधानसभा में बम की घटना और लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए लाहौर में सॉन्डर्स की हत्या जैसी घटनाओं में शामिल थे.

नितीश ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद समाजवाद में विश्वास करते थे. अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’का गठन किया. चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह सहित कई अन्य क्रांतिकारियों के लिए एक परामर्शदाता थे. वो किसी भी तरह से संपूर्ण आजादी चाहते थे. लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिये चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पायंट्स सांन्डर्स की हत्या कर दी थी.

एसएफआई संजौली इकाई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जीवित रहते हुए वे अंग्रेज़ सरकार के लिए आतंक का पर्याय रहे. साथियों में से एक के धोखा देने के कारण, 27 फरवरी 1931 को अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद में ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें घेर लिया था. उन्होंने बहादुरी से मुकाबला किया लेकिन कोई दूसरा रास्ता न मिलने पर उन्होंने खुद को गोली मार ली और एक ‘आजाद’आदमी के तौर पर मरने के अपने संकल्प को पूरा किया. चंद्रशेखर आजाद आज अभी भी करोड़ों भारतीयों के नायक हैं और शहीद भगत सिंह, द लीजेंड ऑफ भगत सिंह और 23 मार्च 1931 जैसी फिल्मों में उनके जीवन पर आधारित चरित्र दिखाए गए हैं.

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